नई दिल्ली । बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पहले सरकार टकराते हैं फिर राज्यपाल से और अब सीधे चुनाव आयोग से भिड़ते नजर आ रहे हैं। दरअसल केके पाठक ने चुनाव आयोग को जो पत्र लिखा है उसमे कहा गया है कि शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाना गलत है। उन्हें तत्काल ड्यूटी से हटाया जाये।
पाठक द्वारा राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया है कि शिक्षा विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिए तैनात अस्थायी कर्मियों को लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाना गलत है।
केके पाठक ने बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा कि आउटसोर्सिंग के माध्यम से अस्थायी रूप से नियुक्ति कर्मियों को चुनाव के कार्य में लगाना उचित नहीं है। राज्य में पर्याप्त संख्या में शिक्षक और शिक्षा कर्मी हैं, जिन्हें लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया है।
ऐसे में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को पाठक ने सलाह दी है कि वे अपने स्तर से जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दें कि शिक्षा विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मियों को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाए। पाठक के पत्र पर चुनाव आयोग की कोई प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आयी है।
बता दें कि बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने उन्हें राजभवन तलब किया था। लेकिन केके पाठक द्वारा राजभवन ना पहुंचकर राज्यपाल के आदेश को भी ठेंगा दिखाया गया है। केके पाठक द्वारा राज्यपाल के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर यह नसीहत दी जा चुकी है कि राज्यपाल शिक्षा विभाग के कामकाज में हस्तक्षेप न करें। वैसे भी सर्वोच्च संवैधानिक पद बैठे राज्यपाल को केके पाठक यूनिवर्सिटी का एक अधिकारी करार दे चुके हैं।
राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच चल रही तकरार की असल वजह केके पाठक का राजभवन की किसी मीटिंग में नहीं जाना बताया जाता है। इस वजह से यूनिवर्सटी के प्रोफेसर से लेकर कर्मचारियों तक का वेतन और पेंशन तक रुका हुआ है। राजभवन ने इन्हीं मुद्दों पर केके पाठक को सुबह 10 बजे राज्यपाल से मिलने को बुलाया था। जहां राज्यपाल अपने दफ्तर में उनका इंतजार करते रहे लेकिन केके पाठक नहीं पहुंचे।
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