खराब वित्तीय निर्णयों के चलते कंगाल हो चुके केरल की वापमंथी सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से 3000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। इस कर्ज से केरल अपने रोजमर्रा के खर्चों को चलाएगा। जबकि इससे पहले पिछले माह जब केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में केरल को 5000 करोड़ रुपए का लोन देने की पेशकश की थी तब उसे इसे लेने से इंकार कर दिया था।
उस दौरान अदालत में केंद्र सरकार ने ये प्रस्ताव रखा था कि जो भी कर्ज केरल को दिया जाएगा, वह पिछले वित्तीय वर्ष के लिए उधार की सीमा में शामिल किया जाएगा। लेकिन तब केंद्र सरकार की उस शर्त को केरल ने खारिज कर दिया था।
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लेकिन अब नए वित्तीय वर्ष में उसी सीमा को मानकर केरल ने केंद्र से 3000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। पहले केरल की वामपंथी सरकार ने ये सोचता ता कि नए वित्तीय वर्ष के लिए क्रेडिट सीमा की अधिसूचना जल्द ही आ जाएगी और अपनी जरूरत के हिसाब से वो केंद्र से कर्ज ले लेगा। लेकिन 9 अप्रैल को भी कोई अधिसूचना नहीं थी और राज्य ने अदालत में बताई गई राशि उधार लेने की अस्थायी अनुमति मांगी।
कर्मचारियों को देगा पेमेंट
केरल कौमुदी की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल सरकार इन पैसों का इस्तेमाल कर्मचारियों के डीए बकाए की एक किस्त का भुगतान करने और स्थानीय निकायों को फंड देने के लिए कर सकती है। उल्लेखनीय है कि सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत उधार लेने के सामान्य प्रावधान के तहत केरल चालू वर्ष में 37,500 करोड़ रुपये उधार ले सकता है। केंद्र सरकार इसमें से KIIFB और पेंशन कंपनी के जरिए लिया गया कर्ज काट सकती है।
गौरतलब है कि ऐसा तीसरी बार हुआ है कि वामपंथी सरकार ने सहकारी बैंकों से ऋण लिया है।
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