हिन्‍दुओं को बार-बार गौ मांस खिलाते मुसलमानों को ये नफरत मिलती कहां से है !

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

विश्‍व में आप किसी भी देश में चले जाएं, विचारधारा और संस्‍कृतियों के बीच तर्क, विरोधाभास समेत एक दूसरे के प्रति वैमनस्‍यता और क्रूरता के मामले आपको देखने को मिल ही जाएंगे। बहुत कम संस्‍कृतियां हैं जो अपने समेत दूसरी संस्‍कृति के विश्‍वास का भी उसी तरह से सम्‍मान करती हैं जैसा कि वे अपने स्‍तर पर श्रद्धावान है। कहने को इस्‍लाम को लेकर भी खूब कहा जाता है कि वह भाईचारे में विश्‍वास करता है। दीनी तालीम में उन तमाम आयतों का जिक्र किया जाता है जो किसी भी व्‍यक्‍ति‍ से नफरत करने की मनाही करती हैं। दूसरों को सदैव मदद करने का भरोसा देती हैं। कहा जाता है कि इस्‍लाम दूसरे के भरोसे को कभी नहीं तोड़ने का नाम है, किंतु व्‍यवहार में जब गैर मुस्‍लिमों के प्रति कई इस्‍लामवादियों की अंदर भरी नफरत किसी न किसी रूप में बाहर निकलती दिखती है तो यह विश्‍वास करना मुश्‍किल हो जाता है कि क्‍या वास्‍तव में इस्‍लाम प्रेम, भाईचारे और दूसरे के विश्‍वास को बनाए रखने में विश्‍वास करने वाला मजहब है भी या नहीं ?

समोसे जैसे भारतीय पकवान में जोकि संपूर्ण देश में एक तरह से ही नाश्‍ते के रूप में पसंद किया जाता है, जब उसे कोई बार-बार आपके विश्‍वास को कमजोर करने के लिए उपयोग करे और हर बार उपयोगकर्ता मुसलमान हो, तब जरूर कई प्रश्‍न स्‍वत: ही उठ खड़े होते हैं। क्‍या यह पहली बार है, जो गुजरात के वडोदरा से यह हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां समोसे में बीफ (गाय का मांस) भरकर बेचा जा रहा था ? जैसे आलू के समोसे लोग पसंद करते हैं, वैसे ही मांस के समोसे खानेवाले भी देश भर में हैं ।

बहुसंख्‍यक हिन्‍दू समाज या अन्‍य गैर मुसमलानों में भी एक बड़ी संख्‍या हो सकती है जोकि मांस के समोसे पसंद करे, किंतु हिन्‍दुओं का जो विश्‍वास, धारणा एवं श्रद्धा है, वह कभी भी गौ मांस भक्षण के लिए अनुमति नहीं देती। गाय के प्रति एक आम साधारण हिन्‍दू के मन में भी अपार श्रद्धा भाव है। ऐसे में उसे भ्रम में रखकर और सही जानकारी न देते हुए धोखे से गाय का मांस खिलाया जा रहा हो, तब आप सोचिए कि यह किस प्रकार की हिन्‍दुओं के लिए अंदर से नफरत और किस स्‍तर का यह जघन्‍य अपराध है। इसलिए कई बार यह विचार स्‍वत: आ जाता है कि आखिर इस प्रकार के कृत्‍य करनेवाले मुसलमानों में ये नफरत आती कहां से है।

फिलहाल पुलिस इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। संयोग देखिए कि इन सभी आठों का मजहब एक ही है, वह है इस्‍लाम । अभी हाल ही में वडोदरा सिटी जोन 4 की स्थानीय अपराध शाखा ने हुसैनी समोसा सेंटर के आपूर्तिकर्ताओं से 113 किलोग्राम गाय के मांस के साथ-साथ भरे हुए कई समोसे जिनकी भाराई 152 किलोग्राम थी, जब्त किए थे। तब तत्‍काल में यूसुफ शेख, नईम शेख, हनीफ भठियारा, दिलावर पठान, मोइन हब्दाल और मोबिन शेख गिरफ्तार हुए थे। इसके बाद पुलिस ने आगे जांच के बाद अन्‍य दो लोगों को भी गिरफ्तार किया है। गाय के मांस के आपूर्तिकर्ता के रूप में आनंद जिले के भालेज का फरदीन मोहम्मद, इमरान यूसुफ कुरैशी जो हुसैनी समोसा सेंटर आपूर्तिकर्ताओं के साझीदार भी हैं। पूछताछ के दौरान इमरान कुरैशी ने पुलिस को बताया कि वह अपने साथी फरदीन मोहम्मद के साथ मिलकर गाय के मांस की सप्लाई का कारोबार चला रहा था।’

पुलिस ने इस प्रकरण में बताया है कि शहर भर में कई लोगों ने यह सोचकर ये समोसे खा लिए कि ये मांस के समोसे हैं। ‘ दुकान मालिक हर दिन बड़ी मात्रा में कच्चा समोसा (तला हुआ नहीं) तैयार करते थे और उन्हें शहर भर की दुकानों में आपूर्ति करते थे, जहां उन्हें तला जाता था और ग्राहकों को बेचा जाता था। यूसुफ शेख समोसा को मांस समोसे के रूप में बेचता था।’ जैसा कि भारत में पशु क्रूरता नियम हैं, इन सभी पर गुजरात पशु संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2017 की धारा 8 और धारा 10 के तहत मामला दर्ज किया गया है, जो गोहत्या विरोधी कानून के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान करता है। लेकिन प्रश्‍न यह है कि क्‍या यह पहली बार है, जब गौ मांस उन्‍हें खिलाया जा रहा था, जोकि गाय की पूजा करते हैं ?

इसमें भी विचार करनेवाली बात यह है कि यह नफरत इसी पीढ़ी में आई हो, ऐसा बिल्‍कुल नहीं है। पुलिस की पूछताछ में आरोपित यूसूफ शेख ने बताया है कि यह काम उसे उसके पिता से मिला है। यानी कि ये पहले से ही गौ मास भक्षण हिन्‍दुओं को बिना उन्‍हें ये बताए कि वे जो समोसा खा रहे हैं उसमें गौ मांस है, खिलाते आ रहे हैं।

मई 2023 में भी गुजरात में एक प्रकरण सामने आया था। सूरत में गौ हत्या और बीफ बेचने के आरोप में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। माँगरोल पंचायत के कोसाडी गाँव में जलपान की दुकान चलाने वाला इस्माइल युसूफ समोसे में गोमांस भरकर बेचता था । पुलिस पूछताछ में उसने कबूला कि गोमांस युक्त समोसा बनाने के लिए वह सुलेमान उर्फ सुल्लू सलीम भीखू और नगीन वसावा उर्फ साइमन वसावा से गोमांस खरीदता है। इस्माइल ने बताया कि सुलेमान और साइमन कोसाडी गाँव के नदी तट पर गायों को काटते हैं।

सूरत के बाद पुलिस ने पिछले साल ही नवसारी से मोहम्मद अब्दुल सूज को पकड़ा था । मोहम्मद अब्दुल सूज नवसारी जिले के दाबेल गांव में दुकान लगाता था। मोहम्मद अब्दुल सूज के खिलाफ शिकायत मिल रही थी कि वह अपने समोसों में कुछ गलत चीज मिला रहा है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने सैंपल जांच के लिए भेजे। एफएसएल की रिपोर्ट आने पर पुष्टि हुई कि वह भी समोसों में गोमांस मिलाकर बेच रहा था।

पिछले साल की तरह ही इससे पहले 2022 में भी देश भर में इस प्रकार की घटनाएं प्रकाश में आईं। झारखंड के साहिबगंज जिले में एक युवक की इसलिए पिटाई कर दी गई क्योंकि उसने गौ मांस खाने से इनकार कर दिया था। मामला राधा नगर इलाके का है, यहां चंदन रविदास को मिथुन शेख एवं 4 अन्य मुस्लिम युवकों ने जबरन गौ मांस खिलाने का प्रयास किया, मना करने पर चंदन रविदास की जमकर पिटाई की गई। यानी कि आप यदि वर्ष प्रति वर्ष इस तरह की घटनाओं को खोजते हैं तो देश भर में कहीं न कहीं इस प्रकार की घटनाएं आपको होती दिखती हैं। इन सभी घटनाओं में जो समानता है वह हे कि इस्‍लाम को माननेवाले गौ मांस भक्षण करते हुए और किसी भी तरह से इनके द्वारा उन लोगों को गौ मांस खिलाते हुए पाया जाता है जोकि गाय पर श्रद्धा भाव रखते हैं।

हिन्‍दुओं के लिए गाय का महत्‍व कितना अधिक है, वह उनके धर्म ग्रंथों में आए इन उदाहरणों से सहज समझा जा सकता है –

यः पौरुषेयेण करविषा समङकते यो अश्वेयेन पशुयातुधानः।
यो अघ्न्याया भरति कषीरमग्ने तेषांशीर्षाणि हरसापि वर्श्च॥- (ऋग वेद, मंडल 10, सूक्त 87, ऋचा 16)

इसका अर्थ हुआ कि जो मनुष्य नर, अश्व अथवा किसी अन्य पशु का मांस सेवन कर उसको अपने शरीर का भाग बनाता है, गौ की हत्या कर अन्य जनों को दूध आदि से वंचित रखता है, हे अग्निस्वरूप राजा, अगर वह दुष्ट व्यक्ति किसी और प्रकार से न सुने तो आप उसका मस्तिष्क शरीर से विदारित करने के लिए संकोच मत कीजिए।

देखा जाए तो हिन्दू धर्म में अश्‍व, नर, गाय, श्वान, सर्प, सुअर, शेर, गज और पवित्र पक्षी (हंसादि) का मांस खाना वर्जित किया गया है। हालांकि कुछ संहिताओं में जैसा कि सुश्रुत संहिता में मिलता है, आयुर्वेदज्ञ सुश्रुत कहते हैं कि बहुत आवश्‍यक होने पर ही रोगोपचार में शरीर की पुष्टि हेतु कभी-कभी मांसाहार करना जरूरी होता है। सुश्रुत संहिता कहती है कि मांस, लहसुन और प्याज औषधीय है। औषधि किसी बीमारी के इलाज के लिए होती है आपके जिव्हा के स्वाद के लिए या इसका नियमित सेवन करने के लिए नहीं होती है। अर्थात, यदि मांस भक्षण भी करना पड़े तो वह जीभ के स्‍वाद के लिए नहीं, बल्‍कि स्‍वास्‍थ्‍य के लिए है, वह भी जब आयुर्वेदाचार्य, चिकित्‍सक बताएं तभी किया जाए, अन्‍यथा नहीं।

उपनिषदों में बताया गया है कि जैसा अन्न होगा, वैसा ही मन बनता है – अन्नमयं ही सोम्य मनः। (छान्दोग्योपनिषद, 6। 5। 4) अर्थात् अन्न का असर मन पर प़ड़ता है। अन्न के सूक्ष्म सारभाग से मन (अन्तःकरण) बनता है। दूसरे नम्बर के भाग से वीर्य, तीसरे नम्बर के भाग से रक्त आदि और चौथे नम्बर के स्थूल भाग से मल बनता है, जोकि बाहर निकल जाता है। अतः मनको शुद्ध बनाने के लिये भोजन शुद्ध, पवित्र होना चाहिये।

भोजन की शुद्धि से मन (अन्तःकरण) की शुद्धि होती है- आहार शुद्धौ सत्त्व शुद्धिः (छान्दोग्योपनिषद 2। 26। 2)। जहाँ भोजन करते हैं, वहाँ का स्थान, वायुमण्डल, दृश्य तथा जिस पर बैठकर भोजन करते हैं, वह आसन भी शुद्ध, पवित्र होना चाहिये। कारण कि भोजन करते समय प्राण जब अन्न ग्रहण करते हैं, तब वे शरीर के सभी रोमकूपों से आसपास के परमाणुओं को भी खींचते, ग्रहण करते हैं। अतः वहाँ का स्थान, वायुमण्डल आदि जैसे होंगे, प्राण वैसे ही परमाणु खींचेंगे और उन्हीं के अनुसार मन बनेगा।

इसके साथ ही हिन्‍दू धर्म में श्रीमद्भगवत् गीता अन्न को तीन श्रेणियों में विभाजित करते हुए उसके सेवन के बारे में ज्ञान देती है।

“आहारस्त्वपि सर्वस्य त्रिविधो भवति प्रिय’’(17/7)।

यह तीन श्रेणियां हैं, सत्व, रज और तम। गीता के अनुसार अन्न से ही मन और विचार बनते हैं। जो मनुष्य सात्विक भोजन ग्रहण करता है उसकी सोच भी सात्विक होगी। अत: सात्विकता के लिए सात्विक भोजन, राजसिकता के लिए राजसिक भोजन और तामसी कार्यों के लिए तामसी भोजन होता है। गीता कहती है कि यदि कोई सात्विक व्यक्ति तामसी भोजन करने लगेगा तो उसके विचार और कर्म भी तामसी हो जाएंगे।

श्रीमद्भगवद्गीता में योगिराज श्रीकृष्ण स्पष्ट करते हैं कि आहार शुद्ध होने पर ही अंत:करण शुद्ध होता है और शुद्ध अंत:करण में ही ईश्वर में स्मृति सुदृढ़ होती है तथा स्मृति सुदृढ़ होने से हृदय की अविद्या जनित गांठे खुल जाती हैं। स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता को भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन के माध्यम से सारगर्भित रूप व्याख्यायित करते हैं। भगवद्गीता के छठे अध्याय के 17 वें श्लोक में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- ‘‘युक्ताहारविहारस्य युक्ताचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा।’’ अर्थात जिसका आहार और विहार संतुलित हो , जिसका आचरण अच्छा हो, जिसका शयन, जागरण व ध्यान नियम नियमित हो, उसके जीवन के सभी दु:ख स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं।

वस्‍तुत: ये है हिन्‍दुओं का आहार के प्रति उनका विश्‍वास, जिसका कि अधिकांश हिन्‍दू सदियों से परंपरागत रूप से पालन करते आ रहे हैं और दूसरी तरफ इस्‍लाम को माननेवाले वे कई लोग हैं जोकि अपनी नफरत को साकार रूप देने के लिए हिन्‍दू समेत गैर मुसलमानों के साथ वह व्‍यवहार कर रहे हैं, जोकि क्रूरता की श्रेणी मे आता है। क्‍योंकि ये मुसलमान उन तमाम हिन्‍दुओं एवं अन्‍य को वह सब धोखे से खिला रहे हैं, जिसे भौज्‍य पदार्थ के रूप में खाना भी वह पाप (अनुचित) समझते और मानते हैं ।

इस संदर्भ में एक निर्णय वर्ष 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट का आया था, इसके बारे में भी आज विचार करना जरूरी है। न्‍यायालय ने वैदिक, पौराणिक, सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक उपयोगिता को देखते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है। कोर्ट ने अपने दिए इस निर्णय में कहा, ‘भारत में गाय को माता मानते हैं। यह हिंदुओं की आस्था का विषय है। आस्था पर चोट करने से देश कमजोर होता है। जीभ के स्वाद के लिए जीवन छीनने का अधिकार नहीं है। गौ मांस खाना किसी का मौलिक अधिकार नहीं है।’

न्‍यायालय ने यहां तक कहा, ‘बूढ़ी बीमार गाय भी कृषि के लिए उपयोगी है, इसकी हत्या की इजाजत देना ठीक नहीं। गाय भारतीय कृषि की रीढ़ है। पूरे विश्व में भारत ही एक मात्र ऐसा देश है, जहां सभी संप्रदायों के लोग रहते हैं, सबकी पूजा पद्धति भले ही अलग हो, लेकिन सोच सभी की एक है। सब एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। कोर्ट ने कहा गाय को मारने वाले को छोड़ा तो वह फिर अपराध करेगा।’

यहां जावेद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्‍यायालय ने बताया भी कि भारत के 29 में से 24 राज्यों में गोवध प्रतिबंधित है। एक गाय जीवन काल में 410 से 440 लोगों का भोजन जुटाती है और गोमांस से केवल 80 लोगों का पेट भरता है। गोवध को रोकने के लिए इतिहास में किए गए प्रयासों के बारे में बताते हुए कोर्ट ने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने गो हत्या पर मृत्यु दण्ड देने का आदेश दिया था। इतना ही नहीं इतिहास में कई मुस्लिम और हिंदू राजाओं ने गोवध पर रोक लगाई थी। गाय का मल-मूत्र असाध्य रोगों में लाभकारी है। गाय की चर्बी को लेकर मंगल पाण्डेय ने क्रांति की। संविधान में भी गो संरक्षण पर बल दिया गया है। इसके साथ ही न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने गाय की विशेषताओं को लेकर बहुत कुछ यहां बताया था।

वस्‍तुत: यहां विषय भावनाओं के सम्‍मान एवं श्रद्धा का है। जब मुसलमानों को पता है कि हिन्‍दू एवं कई गैर मुसलमान गौ मांस भक्षण को निषेध मानते हैं तब फिर क्‍यों उनकी आस्‍था को बार-बार चोट पहुंचाने का प्रयास किन्‍हीं भी इस्‍लामवादियों इन किन्‍हीं भी मुसलमानों के द्वारा किया जा रहा है? वास्‍तव में पुलिस प्रशासन देश भर में गहराई से कार्रवाई करे तो पता नहीं कितने इस प्रकार के यूसुफ, नईम, हनीफ, दिलावर, मोइन और मोबिन जैसे गैर मुसलमानों से नफरत करनेवाले लोग गिरफ्तार होंगे जोकि किसी न किसी तरह से उनके विश्‍वास को ठेस पहुंचाने के काम में आज लगे हुए हैं। काश, अच्‍छा हो कि इस प्रकार की नफरत भरी सोच रखनेवाले भारत के जितने भी लोग हैं, वे अपनी इस नकारात्‍मक सोच को समाप्‍त कर देते।

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