ब्रिटेन की राजधानी लंदन से प्रकाशित होने वाले अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी साप्ताहिक ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने हाल ही में ऐसा आलेख छापा है जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधता है। यह हैरानी की बात है, इसलिए क्योंकि यह अखबार अक्सर भारत और भाजपानीत सरकार को निशाने पर लेता रहा है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस आलेख—’भारत का कुलीन वर्ग क्यों करता है नरेन्द्र मोदी का समर्थन?’—में छपा है कि भारत में आज ज्यादातर पढ़े—लिखे वोट देने वाले लोगों की पहली पसंद हैं प्रधानमंत्री मोदी।
सुप्रसिद्ध ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने छापा है कि हालांकि कुलीन माने जाने वाले लोग दुनिया में हर जगह उन नेताओं को पसंद नहीं करते हैं जो लोकप्रिय होते हैं, लेकिन भारत में इससे उलट कुलीन वर्ग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पसंद करता है। शिक्षित मतदाताओं के इस वर्ग में मोदी के प्रति समर्थन बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। लेख के लेखक आगे मोदी के प्रति इस समर्थन की वजहें भी गिनाते हैं। उनके अनुसार, इसके पीछे तीन कारण हैं-वर्ग राजनीति, अर्थव्यवस्था तथा शासन में दमदार व्यक्ति। इन बिन्दुओं पर मोदी को तोलते हुए कुलीन वर्ग मोदी का प्रशंसक है।
लंदन का अखबार इसे ‘मोदी विरोधाभास’ बताता है। आगे वह लिखता है कि भारत के प्रधानमंत्री को बहुत बार अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसे ‘राइटविंग’ लोकप्रिय व्यक्तियों के साथ जोड़कर देखा जाता है। लेकिन मोदी कोई ऐसे वैसे दमदार इंसान नहीं हैं। भारत में मोदी के तीसरी बार सरकार बनाने की पूरी उम्मीद है। आलेख में लिखा गया है कि अधिकांश स्थानों पर डोनाल्ड ट्रंप जैसे प्रसिद्ध संस्थान विरोधी जन के लिए समर्थन तथा ब्रेक्जिट जैसी नीतियों और विश्वविद्यालय शिक्षा के बीच विपरीत संबंध होते हैं। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। यह मोदी विरोधाभास कहा जा सकता है। इस चीज से यह आसानी से समझाया जा सकता है कि मोदी आज एक बड़े लोकतंत्र के सबसे लोकप्रिय नेता क्यों बने हुए हैं।
इस आलेख में गैलप सर्वे को उद्धृत करते हुए लिखा गया है कि अमेरिका में जवाब देने वाले विश्वविद्यालयीन शिक्षा लिए सिर्फ 26 प्रतिशत लोगों ने ट्रंप के प्रति हामी भरी, जबकि कालेज स्तर से नीचे की शिक्षा पाए 50 प्रतिशत लोग उनके समर्थन में आए। परन्तु भारत में मोदी ने इस चलन को मोड़ा है। इसी लेख में ‘प्यू रिसर्च’ को भी उद्धृत किया गया है। इसके हवाले से लिखा गया है कि प्राथमिक विद्यालय स्तर से आगे की शिक्षा न लेने वाले 66 प्रतिशत लोगों ने साल 2017 में मोदी को लेकर “बहुत अनुकूल” विचार व्यक्त किया था। लेकिन इस बढ़कर शिक्षित 80 प्रतिशत लोगों ने मोदी को अपनी पहली पसंद कहा।
भारत के उच्च-मध्यम वर्ग का आकार और धन तेजी से बढ़ रहा है। लेख कहता है कि 2005 के बाद के काल में उच्च-मध्यम वर्ग में कांग्रेस की अच्छी पैठ थी। लेकिन 2010 के दशक में मंदी तथा भ्रष्टाचार के साथ ही एक के बाद एक घोटालों की वजह से स्थितियां बदल गईं। लेकिन मोदी सरकार के रहते भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति वैश्विक स्तर पर काफी बढ़ गई है।
इसी प्रकार साल 2019 के आम चुनाव की बात करें तो एक सर्वेक्षण में देखा गया था कि कालेज की डिग्री लेने वाले करीब 42 प्रतिशत मतदाताओं ने मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी के प्रति समर्थन व्यक्त किया था। इसके उलट सिर्फ प्राथमिक स्तर की शिक्षा लेने वाले करीब 35 प्रतिशत लोग ही मोदी को पसंद करने वाले दिखे।
‘द इकोनॉमिस्ट’ में प्रकाशित यह लेख कहता है कि पढ़े—लिखे लोगों में प्रधानमंत्री मोदी का सफल होना अन्य समूहों के बीच समर्थन की कीमत पर नहीं दिखता। ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ के एक विशेषज्ञ का कहना है कि दूसरे लोकप्रिय नेताओं के जैसे ही उनकी सबसे ज्यादा पहुंच भी निचले वर्ग के मतदाताओं के मध्य बनी है।
यही लेख अर्थव्यवस्था को भी एक बड़ा कारक मानता है। इसमें कहा यह गया है कि भारत की दमदार जीडीपी वृद्धि असमान रूप से बंटने के बाद भी भारत के उच्च-मध्यम वर्ग का आकार और धन तेजी से बढ़ रहा है। लेख कहता है कि 2005 के बाद के काल में उच्च-मध्यम वर्ग में कांग्रेस की अच्छी पैठ थी। लेकिन 2010 के दशक में मंदी तथा भ्रष्टाचार के साथ ही एक के बाद एक घोटालों की वजह से स्थितियां बदल गईं। लेकिन मोदी सरकार के रहते भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति वैश्विक स्तर पर काफी बढ़ गई है।
भारत को आज कुछ लोगों की सोच के अनुसार एक मजबूत नेता के राज की सच में आवश्यकता है। लेखक ने चीन तथा पूर्वी एशिया के हालात की तरफ संकेत किया है। वहां देखकर लोगों को लगता है कि यहां शासन मजबूत हो तो आर्थिक विकास की रुकावटें दूर हो सकती हैं। लेख कहता है कि कुलीन वर्ग वालों को लगता है कि मोदी को वे तब तक समर्थन देते रहेंगे जब तक कि कोई भरोसे लायक विकल्प देखने में नहीं आएगा।
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