नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने महरौली की ध्वस्त हो चुकी अखूंदजी मस्जिद में रमजान और ईद के मौके पर नमाज पढ़ने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सिंगल बेंच ने एक महीना पहले जब कोई राहत दी है तो डिवीजन बेंच फिलहाल कोई भी अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकती है।
याचिका इंतजामिया कमेटी मदरसा बहरुल उलूम और कब्रिस्तान ने दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि ईद के साथ रमजान का महीना खत्म हो जाएगा इसलिए नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए। यह याचिका सिंगल बेंच के उस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी, जिसे जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की सिंगल बेंच ने शब-ए-बारात के मौके पर नमाज पढ़ने और कब्रगाह जाने की बेरोकटोक इजाजत देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि मस्जिद फिलहाल दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के कब्जे में है और इस मामले से संबंधित मुख्य मामला हाई कोर्ट में लंबित है। हाई कोर्ट में मुख्य मामले की सुनवाई 7 मई को होने वाली है। ऐसे में इस याचिका पर कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।
मुख्य मामले में सुनवाई के दौरान 2 फरवरी को कोर्ट ने डीडीए से पूछा था कि क्या उसने महरौली की छह सौ साल पुरानी अखूंदजी मस्जिद को ध्वस्त करने के पहले कोई वैध नोटिस जारी किया था। मुख्य मामले पर सुनवाई के दौरान डीडीए की ओर से पेश वकील संजय कात्याल ने कहा था कि मस्जिद को ध्वस्त करने की अनुशंसा धार्मिक कमेटी ने 4 जनवरी को की थी। इसी अनुशंसा के आधार पर मस्जिद को ध्वस्त किया गया।
कात्याल ने कहा था कि 4 जनवरी के पहले धार्मिक कमेटी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ को इस मामले पर अपना पक्ष रखने का मौका दिया था। इस पर शम्स ख्वाजा ने कहा कि धार्मिक कमेटी को मस्जिद को ध्वस्त करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। तब कोर्ट ने डीडीए से पूछा कि आप ये बताएं कि मस्जिद को गिराने से पहले क्या कोई वैध नोटिस जारी किया गया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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