पहली बार चुनाव के लिए ऐसे बनाए गए थे Ballot Box, जानिए दिलचस्प कहानी

चुनाव के लिए 2 लाख से अधिक मतदान केंद्रों के लिए लगभग 20 लाख मतपेटियों की आवश्यकता थी।

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Mahak Singh

जब देश में पहले लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही थी तो यह मुद्दा उठा कि मतपेटियों की व्यवस्था कैसे की जाएगी साथ ही, इन बक्सों को किस आकार का रखा जाना चाहिए? चुनाव आयोग की चिंता यह थी कि मतपेटी (बैलेट बॉक्स) ऐसी होनी चाहिए जिससे छेड़छाड़ न की जा सके।

20 लाख बैलेट बॉक्स की जरूरत

2 लाख से अधिक मतदान केंद्रों के लिए लगभग 20 लाख मतपेटियों की आवश्यकता थी। इस बात का भी ध्यान रखना था कि ये बहुत ज्यादा महंगे न हों। चुनाव आयोग ने तय किया कि उसके द्वारा तय माप के मुताबिक सभी मतपेटियां स्टील की बनेंगी। बॉक्स ऐसे होने चाहिए कि उनमें अलग-अलग ताले की जरूरत न पड़े। प्रत्येक बॉक्स 8 इंच ऊँचा, 9 इंच लम्बा और 7 इंच चौड़ा होना था।

बॉक्स को 20 गेज स्टील से बनाया जाना था। बॉक्स का डिजाइन इस तरह रखा गया था कि इसका कोई भी हिस्सा बाहर की ओर न निकला हो। इससे बक्सों को एक साथ पैक करना आसान हो जाता।

इन कंपनियों ने बनाया बैलेट बॉक्स का डिजाइन

मतपेटियां बनाने के लिए कई कंपनियों से डिजाइन और कीमत मांगी गई थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑलविन मेटल्स लिमिटेड हैदराबाद ने 4 रुपये 15 आने, मेसर्स गोदरेज एंड बॉयस ने प्रति बॉक्स 5 रुपये, बंगो स्टील फर्नीचर लिमिटेड, ओरिएंटल मेटल प्रेसिंग वर्क्स, बॉम्बे ने 4 रुपये 15 आने और कलकत्ता ने 4 रुपये 6 आने की कीमत बताई। इन सब के अलावा कई कंपनियों ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्राइस कोट दिया था। इनमें गणेशदास रामगोपाल एंड संस लखनऊ, इंपीरियल सर्जिकल कंपनी लखनऊ जैसी कई कंपनियां शामिल थीं।

राज्यों को चुनाव आयोग द्वारा तय डिजाइन के अनुसार किसी भी इकाई से बैलट बॉक्स बनाने की छूट दी गई। पहले आम चुनाव में मतपेटी तैयार करने पर कुल 1 करोड़ 22 लाख 87 हजार 349 रुपये का खर्च आया था।

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