मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और कथित शाही ईदगाह से जुड़ी 13.37 एकड़ भूमि को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जिस स्थान पर कथित ईदगाह है वक्फ बोर्ड उसे अपना बता रहा है। इसी को लेकर गुरुवार को हाई कोर्ट में बहस के दौरान हिन्दू पक्ष के वकील अजय कुमार सिंह ने अदालत में बताया कि मौजूदा विवाद वक्फ के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और ये एक दीवानी मामला है।
उन्होंने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के 1999 के फैसले का जिक्र करते हुए बताया कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, धार्मिक मामलों से जुड़े विवादों का निपटारा सिविल अदालत के द्वारा ही किया जाएगा। इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की बेंच ने की।
मुस्लिम पक्ष ने मांगा समय
रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की वकील तस्लीमा अजीज अहमदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुईं। हालांकि, उन्होंने अपनी बहस पूरी कर ली थी, लेकिन अपनी बहस को इंटीग्रेट करने के लिए उन्होंने कोर्ट से कुछ और समय की मांग की। लेकिन, तब तक कोर्ट का वक्त पूरा हो गया था, जिसके बाद जस्टिस मयंक जैन ने इस मामले की सुनवाई को 18 अप्रैल तक के लिए टाल दिया।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि हाल ही में एक आरटीआई के जबाव में भारतीय पुरातत्व विभाग ने खुलासा किया था कि मुगल शासक औरगंजेब ने मस्जिद बनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि में बने मंदिर को तुड़वाया था। कहा जा रहा है कि यह प्रमाण मथुरा में शाही ईदगाह को हटाने के लिए हिन्दू पक्ष द्वारा लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई में निर्णायक साबित हो सकता है।
यूपी में मैनपुरी के रहने वाले अजय प्रताप सिंह ने आरटीआई के जरिए भगवान केशवदेव के मंदिर को तोड़े जाने के बारे में मांगी थी। मामला श्रीकृष्णए जन्मभूमि परिसर से सम्बंधित बताया गया था। एएसआई आगरा क्षेत्र की ओर से अजय प्रताप की आरटीआई का जवाब दिया गया था, जिसमें मुगल आक्रमणकारी औरंगजेब द्वारा केशवदेव मंदिर को तोड़े जाने की पुष्टि की गई है। एएसआई ने यह जानकारी मथुरा में श्रीकृष्णे जन्मकभूमि 1920 गजट के एतिहासिक रिकार्ड के आधार पर दी है।
एएसआई की ओर से उपलब्ध कराए गए ब्यौरे में गजट का कुछ अंश भी शामिल है, जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि कटरा टीले के कुछ हिस्सें जो कि नजूल के कब्जे में नहीं थे, जहां पहले केशवदेव मंदिर था, उसे तोड़ दिया गया और औरगंजेब की मस्जिद के लिए प्रयोग किया गया।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह मस्जिद हटाने के लिए लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे प्रमुख याचिकाकर्ता महेन्द्र प्रताप सिंह महेन्द्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि एएसआई की ओर से उपलब्ध जानकारी को वह हाईकोर्ट में पेश करेंगे। इससे ईदगाह मस्जिद के सर्वे की हमारी मांग को मजबूती मिलेगी।
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