लोकसभा चुनाव-2024 से पहले एक बार फिर से पाकिस्तान भारत में माहौल बिगाड़ने की कोशिशें कर रहा है। इसी क्रम में वहां के अखबार द डॉन ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में इस्लामिक कट्टरपंथियों के द्वारा की गई हिंसा के लिए भाजपा आईटी सेल और हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद व सोशल मीडिया को जिम्मेदार बता रहा है।
एएफपी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए द डॉन झूठ फैलाता है और हल्द्वानी में इस्लामिक कट्टरपंथियों की हिंसा को ‘मुस्लिम विरोधी दंगा’ बताता है। किसी परवेज कुरेशी नाम के मुस्लिम व्यक्ति का जिक्र करते हुए पाकिस्तानी अखबार ये झूठ फैलाता है कि कथित मुस्लिम विरोधी दंगे में उसके भाई की हत्या कर दी गई और भाजपा के लोग सोशल मीडिया के जरिए लंबे वक्त से मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैला रहे हैं औऱ उन्हें बाहरी बता रहे हैं।
पाकिस्तानी चैनल ने कुरैशी का जिक्र करते हुए दावा किया कि फरवरी में हल्द्वानी में हुई हिंसा से पहले फेसबुक और व्हाट्सएप पर कई भड़काऊ मैसेज को वायरल किया गया, इससे माहौल बिगड़ा। कुरैशी के हवाले से उसके भाई फहीम को पहले हिन्दू पड़ोसियों ने पहले उसकी कार को जला डाला और फिर उसकी हत्या कर दी।
उत्तराखंड बीजेपी आईटी सेल के नेता मनीस सैनी का जिक्र करते हुए द डॉन दावा करता है, “मोदी का सोशल मीडिया का उपयोग देशभर में युवाओं के बीच राष्ट्रवाद और देश भक्ति जागृत करता है।”
द डॉन कहता इस बात को स्वीकार करता है कि कि भारत में 19 अप्रैल से होने वाले आम चुनावों में तीसरी बार भी भाजपा के जीतने की व्यापक उम्मीद है।
हिन्दुओं पर पत्थरबाजी का आरोप
द डॉन सबसे बड़ा झूठ ये फैलाता है कि 8 फरवरी हल्द्वानी में पहले मस्जिद को तोड़ा गया और फिर हिन्दुओं की भीड़ इकट्ठा हुई और उसने नारेबाजी की। इसके बाद हिन्दुओं ने ही मुस्लिमों पर पत्थरबाजी की। साथ ही पाकिस्तानी अखबार ने एक झूठ और फैलाया कि महीनों से भाजपा आईटी सेल इंटरनेट के जरिए उत्तराखंड के मुस्लिमों को बाहरी बताकर ये जताने में लगी है कि उनके आने से वहां की डेमोग्राफी बदली है।
क्या है सच
लोकसभा चुनाव होने में अब एक माह से भी कम समय बचा है। ऐसे में पाकिस्तान समेत पश्चिमी अखबार ये नरैटिव गढ़ने की कोशिशें कर रहे हैं कि भारत में मुस्लिम असुरक्षित हैं। इसके लिए द डॉन ने ‘हल्द्वानी हिंसा’ का सहारा लिया। इसे वह ‘मुस्लिम विरोधी दंगा’ विरोधी दंगा बता रहा है। जबकि सच ये है कि हल्द्वानी में व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा के पीछे कुछ कट्टरपंथी मुस्लिमों का हाथ है। हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा का मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक है। मलिक ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने की नीयत से वहां पर मस्जिद व मदरसा बना दिया था। इसके अलावा वह 50 रुपए के दाम में प्रदेश के बाहर के मुस्लिमों को जमीनें बेच रहा था।
कई बार प्रशासन ने उसके अतिक्रमण को हटाया। लेकिन वह फिर से उसे वहीं बना देता था। कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर से फरवरी में प्रशासन की टीम पहुंची और उन्होंने अब्दुल मलिक को अतिक्रमण हटाने का नोटिस दिया। लेकिन जब दो दिन के बाद नगर निगम की टीम वहां पहुंची तो पहले से प्लानिंग के तहत घेरकर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया। कट्टरपंथियों की इस भीड़ में सबसे आगे महिलाएं और बच्चों को रखा गया। ताकि पुलिस एक्शन न ले पाए। कट्टरपंथियों ने पेट्रोल बम फेंके। जब अपनी जान बचाने के लिए 20 पुलिसवाले एक घर के अंदर घुस गए तो कट्टरपंथियों ने उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की।
दर्जनों गाड़ियां जला दी गई, बनभूलपुरा थाना इस्लामिक कट्टरपंथियों ने फूंक दिया। पाञ्चजन्य ने कई बार उत्तराखंड में डेमोग्राफी कैसे चेंज हुई है इसको लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की है।
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