भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल किस प्रखरता के साथ अपनी बात रखते हैं और किस तरह तथ्यों के साथ उसे स्पष्ट बताते हैं उसका एक नमूना कजाकिस्तान के अस्ताना शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सुरक्षा सम्मेलन में देखने में आया है। वहां आतंकवाद के संदर्भ में डोवल ने चीन और पाकिस्तान को खरी खरी सुनाई और कठघरे में खड़ा किया। उनका कहना था कि जो भी आतंकवाद के हमदर्द और प्रयोजक हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।
अस्ताना में शीर्ष सम्मेलन में आज के वातावरण को देखते हुए आतंकवाद का विषय बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवल इस सम्मेलन में विशेष रूप से भाग ले रहे हैं। कल उन्होंने इस सम्मेलन में सीमा पार आतंकवादी हरकतों में लगे जिहादियों और उनके साथ खड़े साजिश रचने वालों को आड़े हाथों लेते हुए विश्व समुदाय से इनके विरुद्ध एकजुट होकर कार्रवाई करने का आह्वान किया।
भारतीय एनएसए ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद के खतरे को जड़ मिटाने के लिए दोहरे मापदंडों को त्यागने की जरूरत है। सुरक्षा के मुद्दे पर आयोजित इस सम्मेलन में उनका ऐसा कहना स्पष्टत: आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान और उसके समर्थक चीन की तरफ था। इस मौके पर डोवल ने यह भी कहा कि एससीओ सदस्य देश एक दूसरे की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का हर तरह से सम्मान करें तो उचित होगा।
डोवल ने इस मौके पर मास्को के क्रोकस सिटी हॉल में गत दिनों हुए आतंकवादी हमले का उल्लेख करते हुए उसकी घोर निंदा की। भारतीय एनएसए ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद के खतरे को जड़ मिटाने के लिए दोहरे मापदंडों को त्यागने की जरूरत है। सुरक्षा के मुद्दे पर आयोजित इस सम्मेलन में उनका ऐसा कहना स्पष्टत: आतंकवाद के प्रायोजक पाकिस्तान और उसके समर्थक चीन की तरफ था। इस मौके पर डोवल ने यह भी कहा कि एससीओ सदस्य देश एक दूसरे की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता का हर तरह से सम्मान करें तो उचित होगा। उनका ऐसा कहना चीन द्वारा चलाई जा रही बीआरआई परियोजना को लेकर उठ रहे प्रश्नों के आलोक में देखा जाना चाहिए।
भारत के स्पष्ट बोलने वाले एनएसए ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसे तमाम तरह के आतंकवादी गुटों को लगातार समर्थन देने का आरोपी ठहराया। इसके साथ ही उन्होंने इसके लिए पैसा उपलब्ध कराने वालों और मदद देने वालों पर भी उंगली उठाई। पता चला है कि डोवल ने लश्कर-ए-तैयबा, अल कायदा व उसके साथी गुट, जैश-ए-मुहम्मद और आईएसआईएस सहित तमाम आतंकवादी संगठनों की तरफ से दुनिया के लिए पैदा हुए संकट पर विस्तार से बोला।
भारत की नीति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम दूसरे देशों के साथ कारोबार तथा जुड़ाव में वृद्धि करने का हमेशा तैयार रहते हैं। इस प्रकार का कदम इस प्रकार उठाना चाहिए जिससे एससीओ सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को कोई आंच न आए। यहां ध्यान देना होगा कि डोवल का यह संकेत चीन द्वारा क्षेत्र और सड़क संपर्क को लेकर बीआरआई परियोजना में सतर्कता बरतने की मांग करने से जुड़ा था।
सम्मेलन में भारत के एनएसए ने गत 22 मार्च को रूस की राजधानी मास्को के क्रोकस सिटी हॉल में आतंकवादी हमले का उल्लेख किया और उसकी कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने वहां मौजूद रूस के एनएसए पेत्रुशेव को कहा कि भारत हर तरह के आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के अभियान में रूस की सरकार तथा वहां के नागरिकों के साथ एकजुटता से खड़ा है। डोवल ने साफ कहा कि सीमापार आतंकवाद या अन्य किसी भी प्रकार की आतंकवादी हरकतों को सही नहीं ठहराया जा सकता।
सम्मेलन में अफगानिस्तान में एससीओ की ओर से फौरन मानवीय सहायता पहुंचाने की वकालत करते हुए डोवल ने उस देश् में एक समावेशी तथा प्रतिनिधि सरकार के गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी, महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने जैसे विषयों पर भी विचार व्यक्त किए तथा इन्हें आवश्यक बताया।
भारतीय एनएसए ने शस्त्रों तथा मादक पदार्थों की सीमापार से तस्करी पर चिंता व्यक्त की तथा आतंकवादियों द्वारा ड्रोन जैसी तकनीकों के प्रयोग की काट करने की जरूरत पर जोर दिया। डोवल ने अफगानिस्तान में आतंकवादी संजाल की बराबर बनी हुई मौजूदगी के साथ ही वहां के सुरक्षा हालात को लेकर भी चिंता प्रकट की। उनका कहना था कि चूंकि भारत उसके एकदम पड़ोस में है इसलिए वहां भारत की दृष्टि से सुरक्षा और आर्थिक हित जुड़े हैं।
सम्मेलन में अफगानिस्तान में एससीओ की ओर से फौरन मानवीय सहायता पहुंचाने की वकालत करते हुए डोवल ने उस देश् में एक समावेशी तथा प्रतिनिधि सरकार के गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी, महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने जैसे विषयों पर भी विचार व्यक्त किए तथा इन्हें आवश्यक बताया।
इस सम्मेलन में एससीओ के सदस्य देशों की सुरक्षा परिषदों के सचिव, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव भी मौजूद थे। डोवल ने कजाकिस्तान की इस पहल तथा सम्मेलन की सफल अध्यक्षता के प्रति भारत का समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत सक्रिय तथा रचनात्मक तौर पर एससीओ तथा इसके सदस्य देशों के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने को समर्पित है। उल्लेखनीय है कि एससीओ समूह में चीन, रूस, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान जैसे देश हैं।
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