कुख्यात अपराधी मुख्तार अंसारी की मृत्यु हो गई। बांदा जेल में 26 मार्च को स्वास्थ्य बिगड़ने पर उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था। लेकिन स्वास्थ्य जांच के बाद उसे वापस जेल भेज दिया गया था। 28 मार्च की देर शाम को अचानक एक बार फिर उसकी तबीयत बिगड़ गई। बेहोशी की हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई। माफिया की मृत्यु के बाद प्रदेश में कानून व्यवस्था नहीं बिगड़े, इसके लिए प्रदेशभर में धारा 144 लगा दिया गया है। खासतौर से पूर्वांचल में विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्तार अंसारी की मृत्यु के साथ ही उत्तर प्रदेश में अपराध का एक अध्याय समाप्त हो गया। 1988 में उसके खिलाफ गाजीपुर जिले में हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद उसके खिलाफ एक के बाद एक मुकदमे दर्ज हुए। उस पर कुल 65 मुकदमे दर्ज थे, जिनमें 8 उसके जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए थे। मुख्तार अंसारी 2005 से लगातार जेल में था। लेकिन जेल के भीतर से ही अपना आपराधिक साम्राज्य चला रहा था और गवाहों को लगातार धमका रहा था। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब सख्ती हुई तो मुख्तार छटपटाने लगा और पंजाब में कांग्रेस सरकार से साठगांठ करके अपना स्थानांतरण वहां की जेल में बंद हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने उसे वापस लाने का प्रयास शुरू किया, लेकिन पंजाब की कांग्रेस सरकार ने उसे आने नहीं दिया। तब उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्तार को लाने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल, लेकिन पंजाब सरकार ने उसकी जमकर पैरवी की और मुख्तार के बचाव में मुकदमा लड़ी।
मार्च 2021 में शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने पंजाब विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि सरकार के पास कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सरकार मुख्तार को बचाने के लिए करोड़ों रुपये मुकदमे पर खर्च कर रही है। उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की थी। हालांकि, कुछ दिन बाद ही सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार का पक्ष खारिज कर दिया और मुख्तार को बांदा जेल लाया जा सका। 2005 में गाजीपुर जिले में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।
चुनावी रंजिश के कारण इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। दरअसल, कृष्णानंद राय ने 2002 में मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से अफजाल अंसारी के खिलाफ जीत दर्ज की थी। इस सीट को अंसारी बंधुओं का प्रभाव वाला माना जाता था। इस हार से अंसारी बंधु भन्नाए हुए थे। इस चर्चित हत्याकांड में अफजाल और मुख्तार को आरोपी बनाया गया था। 2007 में अफजाल अंसारी, मुख्तार अंसारी और अन्य के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई हुई थी। इस हत्याकांड के बाद मुख्तार को किसी अदालत से जमानत नहीं मिली। करीब 19 वर्ष से वह जेल में बंद था।
बीते सात वर्ष के दौरान गैंगस्टर एक्ट के तहत राज्य सरकार मुख्तार अंसारी की 2 अरब 91 करोड़, 19 लाख 22 हजार 347 रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है। अन्य विधि एवं नियम के अंतर्गत उसकी 2 अरब 84 करोड़ 77 लाख 72 हजार 810 रुपये की संपत्ति का ध्वस्तीकरण किया गया है। माफिया के ठेकों और अवैध कारोबार को बंद कराया गया। इससे मुख़्तार अंसारी गिरोह को सालाना 2 अरब 12 करोड़ 46 लाख 83 हजार 432 रुपये का नुकसान हुआ है।
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