फ्रांस में लीसी मौरिस-रवेल स्कूल में प्रिंसिपल ने इस्लामिक कट्टरपंथियों की धमकी के बाद नौकरी छोड़ी
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फ्रांस में लीसी मौरिस-रवेल स्कूल में प्रिंसिपल ने इस्लामिक कट्टरपंथियों की धमकी के बाद नौकरी छोड़ी

फ्रांस देश के नियमानुसार कोई भी धार्मिक प्रतीक या पहनावे को स्कूलों में नहीं पहना जा सकता है ।

by सोनाली मिश्रा
Mar 31, 2024, 05:14 pm IST
in विश्लेषण
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फ्रांस में लीसी मौरिस-रवेल स्कूल के प्रिंसिपल को अपनी जान बचाने के लिए अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्होंने एक छात्रा से स्कूल परिसर में उसका हिजाब हटाने के लिए कहा था। जब उन्होंने छात्रा से यह कहा तो उसके बाद उन्हें उनकी जान को लेकर उन्हें धमकियां दी जाने लगीं और उन्होंने फिर अपनी सुरक्षा को लेकर नौकरी छोड़ना उचित समझा।

The principal of the Lycée Maurice-Ravel school in France was forced to resign after an angry mob of Muslims repeatedly threatened his life. He enforced the no headscarf rule and started getting threats on his life. France takes these threats seriously after having other teachers…

— WhatHappened.com (@JohnBla27209136) March 30, 2024

फ्रांस में स्कूलों में किसी भी प्रकार के धार्मिक प्रतीकों की अनुमति नहीं है और स्कूलों में हिजाब की भी अनुमति नहीं है। फ्रांस के स्कूलों में अबाया पहनने पर रोक लगा दी गयी थी और इसे लेकर जहां पहले छूट थी, वहां वर्ष 2023 में इसे भी प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि इसे पहनकर आने वाली लड़कियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी।

फ्रांस में स्कूलों में हिजाब पर पहले ही प्रतिबन्ध लगा हुआ है। यह स्पष्ट है कि फ्रांस देश के नियमानुसार कोई भी धार्मिक प्रतीक या पहनावे को स्कूलों में नहीं पहना जा सकता है फिर भी यह हैरान करने वाला मामला है कि कुछ लोग इन कानूनों का पालन तो करते नहीं हैं, बल्कि साथ ही यदि जिम्मेदार अधिकारी ऐसे किसी कानून का पालन करवाता है तो उसे धमकी दी जाती है।

मीडिया के अनुसार यह घटना 28 फरवरी 2024 की है। लीसी मौरिस-रवेल स्कूल में तीन मुस्लिम छात्राओं ने स्कूल के परिसर में हिजाब पहना हुआ था। जब उनके प्रिंसिपल ने कहा कि हिजाब की अनुमति नहीं है तो दो लड़कियों ने उनकी बात मान ली, मगर तीसरी ने ऐसा नहीं किया। उसने बहस की और फिर बाद में प्रिंसिपल पर ही झूठा आरोप लगा दिया कि छात्रा को हिजाब न उतारने के कारण पीटा गया।

इसके बाद प्रिंसिपल का जीवन बदल गया। उन्हें धमकियां मिलने लगीं। उन्हें जान से मारने के फोन आने लगे, उन्हें सोशल मीडिया पर धमकियां मिलने लगीं और इसके बाद उन्होंने विवश होकर नौकरी से इस्तीफा दे दिया। जब इस मामले की जांच कराई गयी तो मुस्लिम लड़की की शिकायत गलत पाई गयी और यह पाया गया कि प्रिंसिपल केवल कानून के अनुसार बात कर रहे थे और नियम का पालन करवाना चाह रहे थे।

इस शिकायत के झूठा निकलते ही फ्रांस की सरकार प्रिंसिपल के पक्ष में खड़ी हो गयी है। फ्रांस की सरकार ने यह कहा है कि लड़की के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। फ्रांस के प्रधानमंत्री जिब्राइल ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि सरकार उस मुस्लिम छात्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएगी।

फ्रांस में अब तक ऐसे मामलों में दो हत्याएं हो चुकी हैं, जिनमें सैम्युअल पैटी नामक शिक्षक का नाम सभी को याद होगा, जिनका गला रेत दिया गया था और गला रेतने वालों की उम्र भी 13-14 वर्ष की ही थी। इसके बाद ही फ्रांस में इन विषयों पर चर्चा होनी आरम्भ हुई थी। पिछले वर्ष अक्टूबर 2023 में एक और टीचर डॉमिनिक बर्नार्ड को भी अल्लाहू अकबर का नारा लगाते हुए चाकुओं से गोदकर मार दिया गया था।

फ्रांस में धर्म निरपेक्षता को बहुत महत्व दिया जाता है और यही कारण है कि इस घटना के बाद फ्रांस के प्रधानमंत्री गैब्रिएल अट्टल ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि “राज्य हमेशा उन अधिकारियों के साथ खड़ा रहेगा जो धर्मनिरपेक्षता के इन उल्लंघनों का सामना कर रहे हैं, हमारे शिक्षा संस्थानों में इस्लामिस्ट कट्टरता के इन प्रयासों का सामना कर रहे हैं।”

फ्रांस में लगातार मजहबी हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं और अभी भी पेरिस में हुए दंगों की तस्वीरें और वीडियो लोगों की स्मृति में हैं, जब फीफा विश्वकप में मोरक्को ने पुर्तगाल को हराया था और इस जीत का जश्न मनाने के लिए मोरक्को के इस्लामिस्ट ने पेरिस में पुलिस पर हमला किया था। और यहां तक कि फ्रांस की फीफा विश्वकप में पराजय की दुआ भी की गयी थी और जब सेमीफाइनल में फ्रांस मोरक्को से जीत गया था तो फ्रांस में दंगे फैल गए थे।

ईसाई बाहुल्य देश अब इस्लामिक कट्टरपंथ की आग में झुलस रहा है। कई घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। हालांकि इस घटना को लेकर फ्रांस के लगभग सभी दलों की ओर प्रिंसिपल के समर्थन में ही आवाजें उठी हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुअल मेक्रोन के मंत्री माउद ब्रेगेओं ने कहा कि हमें शिक्षक समुदाय का समर्थन करना चाहिए। फ्रांस में कट्टरता लगातार बढ़ रही है और कई ऐसे वीडियो भी सामने आ रहे हैं, जो अवैध शरणार्थियों द्वारा किए जा रहे अपराधों को दिखा रहे हैं।

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