मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला यानि कि वाग्देवी मंदिर (सरस्वती मंदिर) के आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के चल रहे सर्वे का रविवार को 10वां दिन है। सुबह छह बजे ASI की 25 सदस्यीय टीम मजदूरों के साथ वाग्देवी मंदिर परिसर यानी कि भोजशाला पहुंची। सबसे पहले टीम के सदस्यों ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए यहां भोजशाला समेत आसपास के 50 मीटर दायरे तक पूरे क्षेत्र का मेजरमेंट करने के साथ ही कुछ स्थानों को चिन्हित किया और उसके तत्काल बाद अपना सर्वे कार्य शुरू किया। एएसआई की टीम आज बाबा कमाल की दरगाह के आसपास भी काम कर रही है। रविवार को हिंदू पक्ष की ओर से गोपाल शर्मा,आशीष गोयल और मुस्लिम पक्ष की ओर से अब्दुल समद इस टीम के साथ सर्वे स्थान में दाखिल हुए।
उल्लेखनीय है कि रंगपंचमी होने के बाद भी सर्वे के नौवें दिन अधिकारी सुबह आठ बजे भोजशाला पहुंच गए थे, जहां सभी ने शाम पांच बजे तक कार्य किया था। धार कलेक्टर प्रियंका मिश्रा भी भोजशाला पहुंचीं थीं। उन्होंने परिसर का निरीक्षण करने के साथ ही एएसआई टीम से बात की थी । इसी के साथ सर्वे टीम में पांच नए सदस्य भी शामिल हुए जो कि आगरा, लखनऊ और भोपाल सर्कल के हैं। एक महिला अधिकारी बिहार से आई हैं। एएसआई मुख्यालय ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भोजशाला में किए जा रहे सर्वे कार्य की रिपोर्ट ली और आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
ASI मुख्यालय सर्वे पर रख रहा नजर
इसी के साथ भोजशाला मे चल रहे इस सर्वे पर पूरे देश की निगाहें होने के कारण मुख्यालय द्वारा अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। हिंदू पक्ष की ओर से आशीष जैन का कहना है कि वाग्देवी के मंदिर, भोजशाला के अंदर खुदाई के दौरान मिल रहे अवशेष एक बार फिर से आज यह पूरी तरह से स्पष्ट कर देंगे कि यहां का सच क्या है। वैसे भी भोजशाला के स्तंभ और दीवारों पर बनी आकृतियों से साफ दिखाई देता है कि यहां मां सरस्वती का मंदिर है, यह ज्ञान का स्थल है, शिलालेखों, स्तंभों और भोजशाला के टुकड़े संरचना के बारे में गवाही दे रहे हैं। फिर भी कानून के दायरे में अब जब सच बाहर आएगा, तो उसका अपना ही महत्व है।
एएसआई की टीम भोजशाला के पिछले हिस्से में खुदाई कर रही है। भोजशाला के पिछले हिस्से में तीन स्थानों पर गड्ढे किए गए हैं। गर्भगृह के पीछे करीब 12 फीट तक गड्ढा किया गया है। इस गड्ढे के आधार पर ही भवन की नींव तलाशी जा रही है। गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई और गहराई को बढ़ाया जा रहा है। इसके साथ दो अन्य गड्ढों से मिट्टी हटाकर परीक्षण किया जा रहा है। अभी तक टीम ने भोजशाला परिसर में मौजूद हवन कुंड की जांच की है। टीम के सदस्यों ने भोजशाला की छत, अकल कुइयां क्षेत्र में भी सर्वे किया है।
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जांच दल ने भोजशाला के अंदर बाहर से मिट्टी के सेम्पल लिए हैं। खुदाई करके निकाले गए पत्थरों के सेम्पल लिए हैं ताकि भोजशाला की सही उम्र पता लगाया जा सके। आसपास के स्थलों पर कार्बन डेटिंग की जा रही है। नींव की खुदाई तक जाने के लिए सीढ़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। साइट पर उत्खनन के अलावा रडार (जीपीआर), ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), कार्बन डेटिंग आदि तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सर्वे के दौरान वीडियो और फोटोग्राफी की भी इस्तेमाल की जा रही है।इसके साथ ही भोजशाला के बाहर कमाल मौला मज्जिद तक मार्किंग की गई। भोजशाला के बाहर कब्रिस्तान के सामने भी मार्किंग की गई। भोजशाला की छत को नापा है।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के निर्देश पर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एसएसआई) ने पिछले शुक्रवार यानी 22 मार्च से सर्वे शुरू किया था। आज दूसरा रविवार है, पिछले रविवार को भी सर्वे टीम ने अवकाश नहीं मनाया था और इस रविवार को भी टीम मुस्तैदी से सर्वे कार्य में जुटी हुई है। फिलहाल इस स्थान को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही परिसर पर अपना दावा प्रस्तुत करते हैं। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम इसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं। हिंदू समुदाय दावा करता है कि राजा भोज ने 1034 ईस्वी में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी। अंग्रेज इस मूर्ति को 1875 में लंदन ले गए थे।
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