देहरादून । लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने जहां एक ओर सनातन संस्कृति, राष्ट्रवाद लैंड जिहाद जैसे मुद्दे पकड़ लिए है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अल्प संख्यक वोटो पर डोरे डालने शुरू कर दिए है। कांग्रेस ने अपनी सभाओं मेंअल्पसंख्यक समुदाय को मोदी योगी धामी का हौवा दिखाकर समर्थन हासिल करने की रणनीति बनाई है।
चुनाव प्रचार अभियान में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच जुबानी जंग शुरू हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव में पहले से ही तमाम परेशानियों से जूझ रही कांग्रेस को उत्तराखंड में प्रत्याशियों को उनके भरोसे ही छोड़ दिया है। कांग्रेस में अभी तक स्टार प्रचारकों की सूची तक फाइनल नहीं हो सकी है। अभी तक कोई बड़ा नेता राज्य में नहीं दिखा। हालात यह हैं कि पार्टी की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा भी उत्तराखंड के टिकट बंटवारे, प्रचार में नहीं दिखी हैं।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन के अवसर पर भी कांग्रेस एकजुटता का संदेश देने में पिछड़ गई। दिग्गजों के बीच खींचतान से पहले प्रत्याशियों के चयन में विलंब हुआ। बाद में नामांकन के दौरान भी एका के प्रयास भी धरातल पर आकार लेने को तरस गए।
लेकिन नामांकन के अंतिम दिन कांग्रेस पार्टी और प्रत्याशियों ने शक्ति प्रदर्शन किया,उसमे जिस तरह से अल्पसंख्यक समुदाय की भीड़ देखी गई उससे देख कर यही लगा कि कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव में समर्थन पाने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के घरों में दस्तक दी है।
कांग्रेस की छोटी छोटी सभाएं भी अल्पसंख्यक आबादी में रखी जा रही है और वहां वक्ताओं द्वारा मोदी, योगी और धामी को निशाना बनाया जा रहा है। हरिद्वार देहरादून उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में मुस्लिम वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर है, कांग्रेस ने मोदी, योगी और धामी का हव्वा बनाकर अल्पसंख्यक वोटर्स को ये बताने का अभियान छेड़ा है कि कांग्रेस ही अल्पसंख्यकों की हितेषी है।
कांग्रेस के नेता और खास तौर पर मुस्लिम नेता, उत्तराखंड सरकार के द्वारा यूसीसी लागू करने को शरीयत , दीन के खिलाफ बताते रहे है। कांग्रेस नेता ये भी दुष्प्रचार करते है कि मोदी और धामी सरकार जो भी नए नए कानून बना रही है वो मुस्लिमो के खिलाफ है।यूसीसी ,सी ए ए ,धारा 370, ट्रिपल तलाक, धर्मांतरण कानून जैसे उदाहरण देकर,अल्पसंख्यक समुदाय में ये डर एक बार फिर बिठाया जा रहा है कि अगली बार मोदी सरकार, आबादी नियंत्रण बिल ले आएगी।
दूसरी और बीजेपी ने ट्रिपल तलाक, यूसीसी, जनधन और अन्य लाभार्थी योजनाओं के बहाने मुस्लिम महिलाओ के वोटो को अपनी तरफ खींचने का प्रचार शुरू किया है। राजनीति के कुछ ये जानकर मानते है कि अब मुस्लिम वोटों में विभाजन हो रहा है और मुस्लिम महिलाएं पीएम मोदी को वोट देने जाएंगी।
हालंकि कुछ राजनीतिक समीक्षक ये मानते है कि मुस्लिम महिलाएं या मुस्लिम पुरुष बीजेपी को वोट देने से कतराता है और वो कभी भी बीजेपी के साथ नही जाएगा।
पिछले विधान सभा चुनाव में पछुवा देहरादून में कांग्रेस नेता रहे अकील अहमद ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग उठा दी थी जो कांग्रेस को भारी पड़ गई, बाद में अतीक अहमद को कांग्रेस ने छ साल के लिए पार्टी से निकाल दिया और अकील अहमद ने अब अपना ही राजनीतिक दल आम इंसान विकास पार्टी बना लिया। जिसने हरिद्वार सीट से लोकसभा का पर्चा भरा और वो निरस्त हो गया।
हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरीश रावत अपने पुत्र और लोकसभा प्रत्याशी वीरेंद्र रावत की जन सभाएं अल्पसंख्यक आबादी में सुनिश्चित कर रहे है। कांग्रेस को हिंदू बेल्ट में वो समर्थन भी नही मिल रहा जो आज से 15 साल पहले मिला करता था। हरिद्वार और उधम सिंह नगर से बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी घोषित कर कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी है, इस लिए कांग्रेस अब खुलकर मुस्लिम हितेषी बन कर अपना प्रचार अभियान शुरू कर रही है।
कांग्रेस नेता, धामी सरकार के लैंड जिहाद, लव जिहाद मजार जिहाद जैसे मामलो की कारवाई को गलत ठहराते हुए सरकार के खिलाफ पहले भी बयान देते रहे है। देहरादून में मुस्लिम सेवा संगठन और अन्य धार्मिक मुस्लिम संस्थाएं बीजेपी के केंद्र सरकार और धामी सरकार की नीतियों की आलोचना करती रही है।
हल्द्वानी बनभूलपुरा हिंसा मामले में धामी सरकार ने भू माफिया अब्दुल मलिक और उसके गैंग पर जो सख्ती दिखाई है, उससे जमीयत उलूम ए हिंद जैसे संगठनों के नेताओ ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की दिशा तय की है। उलूम के प्रमुख महमूद मदनी, कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य रह चुके है और वो धामी सरकार ने एक्शन के खिलाफ गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर ,प्रशासन के कारवाई का विरोध करते है।
हल्द्वानी अतिक्रमण मामले में हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ने के लिए कांग्रेस के हल्द्वानी विधायक और नेता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद को वकील के रूप में खड़ा करते रहे है और इसके पीछे मकसद है मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति ही है।
उत्तराखंड में श्री राम मंदिर लोकार्पण दिवस के दिन कांग्रेस को इस बात का एहसास भी हो गया था कि अब हिंदू वोटबैंक उनके हाथ से निकल चुका है, यही वजह थी कि इस बार लोकसभा चुनाव में जब टिकट लेने देने की बात सामने आई तो कई बड़े दिग्गजों ने कांग्रेस का टिकट लेने से ही मना कर दिया।
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में अभी रमजान चल रहे है और रोजा अफ्तार के बहाने भी कांग्रेस नेताओ ने अल्पसंख्यकों को अपनी तरफ खींचने का अभियान शुरू किया है, जालीदार टोपी पहने कांग्रेस नेता इन रोजा अफ्तार की दावतो में शामिल होकर मोदी धामी सरकार को कोस रहे है।
बरहाल एक बार फिर कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की राह पकड़ ली है अब इसे उनकी मजबूरी कहें या फिर हिंदू वोट बैंक का गिरता हुआ जनाधार, जिसे देख कर राजनीतिक समीक्षक भी कह रहे है कि कांग्रेस का जनाधार अब सिमट रहा है इसी लिए पार्टी के कई दिग्गज ,विधायक पूर्व विधायक पार्टी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो रहे है।
टिप्पणियाँ