नौटंकी की राजनीति में माहिर आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार से शायद इस मामले में दिल्ली सरकार से स्पर्धा चल रही है कि हम दोनों में से कौन बड़ा। लगभग डेढ़ साल पहले आम आदमी पार्टी के पंजाब के विधायकों ने दावा किया था कि भाजपा आप्रेशन लोटस के तहत उन्हें पार्टी बदलने के लिए 25-25 करोड़ रूपये देने का प्रलोभन दे रही है परन्तु यह सारा प्रकरण केवल झूठ पर आधारित था और इसकी पटकथा चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के एक मंत्री के निवास पर लिखी गई थी। आप्रेशन लोटस का दावा करने वाले एक विधायक शीतल अंगुराल ने दो दिन पहले आम आदमी पार्टी छोड़ कर भाजपा का दामन थामा है और अब अंगुराल ने दावा किया है पूरा मामला बोगस था।
चंडीगढ़ में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान शीतल अंगुराल ने बताया एक मंत्री के घर इस काम के लिए 13 विधायकों को बुलाया गया और सभी को आप्रेशन लोटस की शिकायत करने को कहा गया। इनमें से तीन विधायकों ने इंकार कर दिया। इन विधायकों को कहा गया कि आपको शिकायत के अतिरिक्त कुछ नहीं करना, सारा काम एक कैबिनेट मंत्री करेंगे।
ज्ञात रहे कि करीब डेढ़ साल पहले ऑपरेशन लोटस मामले में आम आदमी पार्टी के दो विधायकों जांलधर पश्चिमी हलके के विधायक शीतल अंगुराल और जालंधर केंद्रीय हलके के विधायक रमन अरोड़ा ने बयान दर्ज करवाए थे। मोहाली थाने में केस दर्ज होने के बाद इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई थी। लेकिन विजिलेंस डेढ़ साल बाद भी कोई ऐसा तथ्य सामने नहीं आया जिससे किसी को इस केस में नामजद किया जा सके।
पंजाब में आप की सरकार बनने के लगभग पांच महीने के बाद 13 सितंबर 2022 को वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने आरोप लगाया कि भाजपा आप सरकार को गिराना चाहती है। आप के विधायकों को 25-25 करोड़ में खरीदने के लिए ऑफर दी थी। जिसके बाद 14 सितंबर 2022 को मोहाली स्टेट क्राइम सेल में केस दर्ज किया। इसके बाद विजिलेंस ने इस मामले में एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया। ऑपरेशन लोटस के कारण आम आदमी पार्टी और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के रिश्तों में भी दरार पैदा हो गई थी। ऑपरेशन लोटस के बाद राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था। इस सत्र को राज्यपाल ने पहले मंजूरी दी लेकिन बाद में विपक्ष के नेताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इसका विरोध दर्ज करवाया। विपक्ष का कहना था कि पंजाब विधानसभा के नियमों के अनुसार सरकार विश्वास प्रस्ताव नहीं ला सकती है।
इसके बाद राज्यपाल ने विशेष सत्र बुलाने के लिए दी गई स्वीकृति को वापस ले लिया था। फिर पंजाब सरकार ने 27 सितंबर से तीन अक्टूबर 2022 तक सत्र बुलाने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा। सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा उसमें सरकारी कामकाज के लिए सत्र बुलाने की बात कही। सत्र बुलाने की मंजूरी मिलने के बाद सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव ले आई। विधानसभा में भी विपक्ष ने इसका विरोध किया था और जमकर हंगामा किया था। लेकिन जिस ऑपरेशन लोटस को लेकर इतना बवाल हुआ उसमें हाथ अभी तक खाली हैं और अब खुद शिकायतकर्ता शीतल अंगुराल ने पूरे प्रकरण से पर्दा हटा दिया है। यहां यह भी वर्णननीय है कि दो दिन पहले भी आम आदमी पार्टी के तीन विधायकों ने आप्रेशन लोटस के नए आरोप लगाए और दावा किया कि उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बनाया जा रहा है। हैरानी की बात है कि न तो इस आरोप को लेकर न तो इन विधायकों ने इसकी लिखित शिकायत दर्ज करवाई है और न ही आम आदमी पार्टी की ही सरकार ने कोई कार्रवाई की परन्तु भाजपा ने चुनाव आयोग से इस मामले का संज्ञान लेते हुए जांच करने की मांग की है। इस प्रकरण से एक बात उजागर हो गई है कि आम आदमी पार्टी राजनीति के लिए किस तरह विधानसभा जैसी पवित्र संवैधानिक संस्था और प्रशासन का दुरुपयोग कर रही है। भाजपा में शामिल होने के बाद विधायक शीतल अंगुराल ने अपने विधायिकी पद से भी त्यागपत्र दे दिया है।
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