दुनिया में कोरोना महामारी फैलाने वाला चीन अब आर्थिक मोर्चे पर फंस गया है। उसकी ‘शून्य-कोविड’ नीति ने आर्थिक तनावों की तीव्रता बढ़ा दी है। देश पर भारी कर्ज है, रियल एस्टेट, विदेशी निवेशकों और पोर्टफोलियो प्रबंधकों के आत्मविश्वास में गिरावट देखी जा रही है। इसके निवारण हेतु किए जा रहे उपाय कारगर नहीं हो रहे
बीते तीन दशकों में चीन ने असाधारण विकास यात्रा शुरू की, जो बड़े पैमाने पर गुप्त रूप से अमेरिकी निगमों की भागीदारी से संचालित है। अमेरिकी कंपनियों ने उन्नत तकनीकी जानकारी के साथ चीन की अर्थव्यवस्था में खरबों डॉलर का निवेश किया, जिससे चीन ‘दुनिया की फैक्ट्री’ के रूप में अग्रणी देश बना। अमेरिकी निगमों और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच यह सहजीवी संबंध पारस्परिक रूप से लाभप्रद साबित हुआ। इस तरह व्यवहार हासिलकर चीन ने अमेरिकी उपभोक्ताओं की मांगों को पूरा किया। इससे चीन की अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई और विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़कर लगभग 3.22 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
चीन ने अमेरिकी ट्रेजरी बांड में अपना भंडार रखा है, जो अभी लगभग 850 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें अमेरिकी ऋण की कुल विदेशी हिस्सेदारी का लगभग 11 प्रतिशत शामिल है। हालांकि, अब चीन ने रणनीति बदल ली है। वह धीरे-धीरे डॉलर पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। 2016 में चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में अमेरिकी ट्रेजरी बांड की हिस्सेदारी 59 प्रतिशत थी, जो 2023 में घटकर 25 प्रतिशत रह गई।
जैसे ही चीन की आर्थिक शक्ति चरम पर पहुंची, वुहान लैब में बने कोरोना वायरस के उद्भव से दुनिया घबरा गई। इसके बावजूद कहा जा रहा था कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन आगामी दशक में संभावित रूप से अमेरिका से आगे निकल जाएगा।
कोरोना ने दिया झटका
2022 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन की हिस्सेदारी 18.4 प्रतिशत थी। हालांकि यह अनुमान 2020 के लिए ही था। कोरोना के प्रकोप के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। 2022 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद 103.86 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो 2023 में बढ़कर 112.6 ट्रिलियन डॉलर हो गया। लेकिन वैश्विक जीडीपी में चीन की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आ रही है। यह इन दो वर्ष में 18.4 प्रतिशत से गिरकर 2023 में 17 प्रतिशत रहा।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ तनाव के साथ इस रणनीतिक विविधीकरण ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। विशेष रूप से चीन ने दिसंबर 2023 में कई दशक बाद पहली बार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बहिर्वाह का अनुभव किया, जो अधिक सौहार्दपूर्ण देशों में अतिरिक्त आपूर्ति शृंखला स्थापित करने की मांग करने वाले बहुराष्ट्रीय निगमों की प्रवृत्ति का संकेत देता है। कोरोना के वैश्विक फैलाव और चीन की सख्त ‘शून्य-कोविड’ नीति ने इन आर्थिक तनावों की तीव्रता को और बढ़ा दिया है। नतीजतन, विनिर्माण कंपनियों को अपने परिचालन का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे चीन से बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है।
चीन का असाधारण विकास लंबे समय से बड़े पैमाने पर रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र पर निर्भर रहा, जो देश की जीडीपी का लगभग 30 प्रतिशत है और अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान देता है। चीन में निर्माण कार्य कितने व्यापक पैमाने पर हुआ, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 2011 और 2013 के बीच उसने 20वीं सदी में अमेरिका की तुलना में अधिक सीमेंट की खपत की। हालांकि, ताबड़तोड़ निर्माण के कारण चीन में भुतहा शहर बढ़ते गए, क्योंकि इन शहरों में बने बुनियादी ढांचे बहुत हद तक खाली हैं। यह महत्वपूर्ण पूंजी के गलत आवंटन को दर्शाता है।
कर्ज का बढ़ता बोझ
विकास गति को बनाए रखने और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के निर्धारित महत्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्थानीय सरकारों ने तेजी से उधार लेना शुरू किया। इससे चीन का ऋण संचय खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। प्रमुख वैश्विक वित्तीय उद्योग इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल फाइनेंस (आईआईएफ) कॉर्पोरेट की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 की पहली तिमाही में चीन का घरेलू और सरकारी ऋण सहित कुल ऋण जीडीपी के 303 प्रतिशत तक पहुंच गया। उच्च जीडीपी विकास दर को बनाए रखने के प्रयासों में स्थानीय चीनी सरकारों ने अपरंपरागत उपायों का सहारा लिया, जैसे लोकल गवर्नमेंट फाइनेसिंग व्हीकल (एलजीएफवी) बनाना और शैडो बैंकों से ऋण लेना। एलजीएफवी, जिसे स्थानीय वित्तपोषण मंच (एलएफपी) के रूप में भी जाना जाता है चीन में स्थानीय सरकार द्वारा वित्त उपलब्ध कराने वाला एक तंत्र है।
गोल्डमैन सैक्स ने 2022 के अंत तक चीन के कुल स्थानीय सरकारी कर्ज के 13.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया था, जो कर्ज के बोझ की भयावहता को दर्शाता है। चीन के राज्य-स्वामित्व वाले उद्यमों (एसओई) को रणनीतिक रूप से सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के गुप्त उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नियोजित किया जाता है, जिसमें इसके 9 करोड़ सीसीपी कैडरों को रोजगार और जीवनशैली की सुरक्षा शामिल है। कुल 6,363 एसओई के साथ इन संस्थाओं पर सामूहिक रूप से 15.6 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का भारी-भरकम ऋण है, जो चीन के 29 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल कॉर्पोरेट ऋण का 56 प्रतिशत है। जून 2023 तक चीन की घरेलू ऋण संरचना में मुख्य रूप से उपभोक्ता ऋण, क्रेडिट कार्ड ऋण, निजी उधार और व्यवसाय संचालन ऋण शामिल थे, जिनकी राशि 38.6 ट्रिलियन युआन यानी 5.38 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
हालांकि, चीन के सेंट्रल बैंक ने कड़े प्रतिबंध लागू किए हैं। इस कारण छोटे बैंकों पर जोखिम कम तो हुआ है, लेकिन इसने इन बैंकों में से लगभग 4,000 बैंकों को प्रणालीगत जोखिम में भी डाल दिया है। पिछले वर्ष चीन के नीति निर्माताओं को बैंक चलाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि 2022 में हेनान प्रांत में तीन बैंक विफल हो गए थे। बैंकों के आर्थिक संघर्ष और भी बढ़ गए हैं, क्योंकि चीन में हजारों लोगों ने बैंक से कर्ज लेकर जो फ्लैट खरीदे थे, वे अब तक अधूरे हैं। इसलिए लोग कर्ज नहीं चुका रहे हैं। इससे रियल एस्टेट क्षेत्र का संकट गहरा रहा है, संपत्ति की कीमतें गिर रही हैं और बड़ी संख्या में बांड लाने वाले डेवलपर्स डिफॉल्टर हो रहे हैं। आलम यह है कि चीन की वित्तीय प्रणाली पर 46 ट्रिलियन युआन (6.8 ट्रिलियन डॉलर) का ऋण बकाया है।
अभी भी देश के संकटग्रस्त डेवलपर्स पर 13 ट्रिलियन युआन का ऋण बकाया है। चीन के प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा अपतटीय चूक के कारण हांगकांग की अदालत को भारी कर्ज में डूबी देश की रियल एस्टेट दिग्गज एवर ग्रांडे की संपत्ति का परिसमापन शुरू करने का आदेश देना पड़ा। चीन में 1,300 से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाओं के स्वामित्व और लगभग 2,00,000 व्यक्तियों के कार्यबल के साथ एवर ग्रांडे ने अप्रत्यक्ष रूप से सालाना 3.8 मिलियन नौकरियों के सृजन में योगदान दिया था। कंपनी पर चीन की जीडीपी के 1.6 प्रतिशत कर्ज का बोझ था। रियल एस्टेट क्षेत्र की चिंताओं के जवाब में चीनी सरकार ने कई उपाय लागू किए, जिनमें घर खरीदारों के लिए ईएमआई कम करना, बैंकों से संकटग्रस्त संपत्ति डेवलपर्स को ऋण बढ़ाने का आग्रह करना और ब्याज दरों को कम करना शामिल है।
विदेशी निवेशकों ने मोड़ा मुंह
इस स्थिति में विदेशी निवेशकों और पोर्टफोलियो प्रबंधकों के आत्मविश्वास में भी धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही है, जो 2021 की मंदी के बाद से सीएसआई 300 इंडेक्स के बाजार पूंजीकरण में 7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की भारी गिरावट से परिलक्षित है। 5 फरवरी, 2024 को चीनी सीएसआई इंडेक्स 8 प्रतिशत तक गिर गया, जिससे एक्सचेंज ने मजबूरन 30 प्रतिशत शेयरों में कारोबार रोक दिया। जवाब में सरकार ने तेजी से उपायों की एक शृंखला शुरू की, जिसमें 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज और चीनी ब्रोकरेज में कम बिक्री पर प्रतिबंध शामिल है। इसके अतिरिक्त, अर्थव्यवस्था को उच्च युवा बेरोजगारी दर और कमजोर विदेशी व घरेलू मांग जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उपभोक्ता कीमतों में गिरावट आ रही है। इससे उभरती अपस्फीति प्रवृत्तियों के संकेत मिलते हैं।
वर्तमान में चीनी अर्थव्यवस्था मंदी, जिसमें ऋण-से-जीडीपी स्तर 300 प्रतिशत से अधिक है और चीनी रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा अपने विदेशी बांडों पर चूक शामिल है। ये परिस्थितियां वैश्विक वित्तीय बाजारों में सदमे की लहर भेजने की क्षमता रखती हैं। ऐसी चिंताएं हैं कि यह स्थिति इस बार चीन से उत्पन्न होने वाले सबप्राइम संकट की पुनरावृत्ति कर सकती है। स्थानीय सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए विशेष प्रयोजन वाहनों के उपयोग से प्रेरित चीनी शैडो बैंकिंग प्रणाली, जो 10 ट्रिलियन डॉलर की है, ने कई ऋण चूक का अनुभव किया है। 2008 में अमेरिका में 3.2 ट्रिलियन डॉलर के सबप्राइम संकट को संबोधित करने की फेडरल रिजर्व की क्षमता के विपरीत, चीनी युआन के पास विश्व आरक्षित मुद्रा की स्थिति का अभाव है। इस कारण ऐसे संकटों को कम करने के विकल्प सीमित हो गए हैं।
ऋण जाल कूटनीति
इसके अलावा, चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना 3.7 ट्रिलियन डॉलर की है। इसमें लगभग 2,600 लघु परियोजनाएं शामिल हैं, फिर भी चीन की ऋण जाल कूटनीति की रणनीति विफल होती दिख रही है। कई देशों ने बीआरआई ऋण चुकाने से इनकार कर दिया है, जिससे चीन को शर्तों पर फिर से बातचीत करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 2024 में चीनी अर्थव्यवस्था के 5 प्रतिशत से नीचे रहने का आईएमएफ का अनुमान उस देश के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां उत्पन्न करता है, जो कभी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में अमेरिका से आगे निकलने की आकांक्षा रखता था।
साथ ही, लगातार वर्षों से घटती जनसंख्या वृद्धि दर ने शी जिनपिंग प्रशासन को एक बच्चे की नीति को छोड़ने और तीन बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने को मजबूर किया है। इन उपायों के बावजूद, सामाजिक असंतोष लगातार बढ़ रहा है। जो कड़े सेंसरशिप और निगरानी तंत्र के कारण और बढ़ गया है। जिनपिंग सरकार ने आंतरिक निगरानी के लिए बजट में 196 बिलियन डॉलर आवंटित किए हैं। ये संकेतक सोवियत शैली के विघटन और चीन के बाल्कनीकरण की याद दिलाते हुए बढ़ते आंतरिक असंतोष का संकेत देते हैं।
हालांकि, चीन अभी भी यह नहीं मान रहा कि उसकी अर्थव्यवस्था ढलान पर है। 16 जनवरी को दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने आल्प्स (पर्वत शृंखला) से चीनी अर्थव्यवस्था की तुलना करते हुए कहा कि इस ‘लहरदार पर्वत शृंखला’ को दूर से ही सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है। लेकिन अगले ही दिन जारी आधिकारिक आंकड़ों से चीन के आर्थिक परिदृश्य में दो उल्लेखनीय उतार-चढ़ाव का पता चला। पहला, देश की जनसंख्या 2023 में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट और दूसरा, डॉलर के संदर्भ में इसकी जीडीपी में सिकुड़न। यानी आर्थिक महाशक्ति चीन के दिन अब लद रहे हैं।
1960-70 के दशक में माओत्से तुंग के अधीन स्थिर रहने के बाद चीन 1980 के दशक में दुनिया के लिए खुला और विकास की सीढ़ी चढ़ते हुए 1990 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में उसने अपनी हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से लगभग दस गुना बढ़ाकर 2021 में 18.4 प्रतिशत कर ली। लेकिन पिछले दो वर्ष में इसकी हिस्सेदारी में आई 1.4 प्रतिशत की गिरावट 1960 के दशक के बाद से सबसे बड़ी है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन द्वारा छोड़े गए अंतर को मुख्य रूप से अमेरिका और अन्य उभरते देशों ने पाटा है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के 8 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 105 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद जताई है। लेकिन इस लाभ में से चीन को कोई भी हिस्सा नहीं मिलेगा जबकि अमेरिका को 45 प्रतिशत और अन्य उभरते देशों को 50 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। उभरते देशों में से सिर्फ पांच देशों भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, ब्राजील और पोलैंड को यह 50 प्रतिशत लाभ मिलेगा। यह आने वाले समय में संभावित सत्ता परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है।
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