राजनीति में महिला चेहरा होना अलग बात है, लेकिन महिलाओं का दर्द, उनकी वेदना, उनके अंतर्मन की व्यथा को समझना अलग बात है। देश में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री होने का दावा करने वाली पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीति किस आधार पर टिकी है, यह बताने की यहां आवश्यकता नहीं है। पश्चिम बंगाल के हालात पर वहां का हाईकोर्ट भी कई बार टिप्पणी कर चुका है। एक तरफ ममता बनर्जी देश में एकमात्र महिला मुख्यमंत्री होने का दावा कर अपना प्रचार करती हैं तो दूसरी तरफ संदेशखाली में हुए महिला उत्पीड़न, यौन शोषण पर वह चुप्पी साध लेती हैं। इससे उनकी असंवेदनशीलता का पता चलता है। वह खुद एक महिला हैं, लेकिन एक महिला होने के नाते महिलाओं के प्रति संवेदना तो कम से कम उनके मन जरूर होनी चाहिए, लेकिन ऐसा कहीं दिखाई नहीं देता।
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में जो हुआ उसकी देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चा हुई। ये चर्चा नकारात्मक थी, लेकिन आज संदेशखाली की पीड़िता और बशाीरहाट से भाजपा उम्मीदवार बनीं रेखा पात्रा बड़ा नाम और बड़ा चेहरा बन चुकी हैं। वह खुद पीड़िता हैं, बावजूद इसके उन्होंने आवाज उठाई, बशीरहाट से रेखा पात्रा चुनावी मैदान में हैं। संदेशखाली की रेखा ममता दीदी पर भारी पड़ने वाली हैं।
आज दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बशीरहाट से भाजपा उम्मीदवार और संदेशखाली पीड़िता रेखा पात्रा से बात की। उन्होंने उन्हें ‘शक्ति स्वरूपा’ कहकर संबोधित किया। रेखा पात्रा वही हैं जिन्होंने संदेशखाली में हिंदू महिलाओं के साथ हुए अत्याचारों पर आवाज उठाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रेखा पात्रा से बातचीत करना, उनको आश्वासन देना और यह कहना कि कोई भी जरूरत तो मुझे बताएं यह सीधा सा संदेश है कि वह महिला अधिकारों, महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर कितना गंभीर हैं।
इसी विषय पर हमने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा से बातचीत की तो उनका कहना था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले संदेशखाली की पीड़िताओं से मुलाकात करना, इसके बाद संदेशखाली पीड़िता और बशीरहाट उम्मीदवार रेखा से फोन पर बातचीत कर उन्हें शक्ति स्वरूपा कहना, माताओं बहनों का हाथ उनके सिर पर होने की बात करना। उनकी सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘मैं रेखा पात्रा से मिल चुकी हूं। वह पहली महिला हैं जिन्होंने संदेशखाली में हुए अत्याचारों को लेकर सबसे पहले आवाज उठाई थी। वह जिस तरह की परिवारिक पृष्ठभूमि से आती हैं वहां हर दिन संघर्ष ही संघर्ष है, बंगाल में बेहद विषम परिस्थितियां हैं, बावजूद इसके वह घबराई नहीं, वह आगे आईं, उन्होंने आवाज उठाई और अपनी बात रखी। लीडरशिप उनमें पहले से ही थी। बस उन्हें एक मौका देने की आवश्यकता थी। ऐसा हो पाया क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। उनकी सोच, उनका विजन किस तरह का है इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं।’
एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष ने कहा कि आज जिस तरह से रेखा पात्रा ने प्रधानमंत्री से बातचीत की तो उससे उनकी बड़ी सोच का भी पता चलता है। अपनी बातचीत में उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि वह किसी के खिलाफ नहीं है। वह अपने क्षेत्र में सबके लिए उपलब्ध रहेंगी भले ही वह उनके खिलाफ क्यों न रहा हो। बेहद सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाली रेखा पात्रा की सोच उन्हें बड़ा बनाती है।
पीएम मोदी द्वारा रेखा पात्रा से की गई बातचीत के संक्षिप्त अंश
प्रधानमंत्री ने नमस्कार के संबोधन के साथ अपनी बातचीत शुरू की। उन्होंने कहा कि आप एक बड़ा दायित्व निभाने जा रही हैं। कैसा लग रहा है ? इस पर रेखा पात्रा ने कहा, बहुत अच्छा लग रहा है। आपका हाथ हमारे सिर पर है। आप हमारे लिए भगवान की तरह हैं। ऐसा लग रहा है रामजी का हाथ हमारे साथ है।
इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि माताओं, बहनों का हाथ मेरे सिर पर है। मुझे आपका संदेश मिला था, मैं यथासंभव कोशिश करता हूं कि अपने कार्यकर्ताओं से बात करता रहूं। मैं यह जानता हूं आप बंगाल की विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों में प्रचार कर रही हैं। आपके नाम की घोषणा जब हुई, उसके बाद से क्या स्थिति है। आपको किस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। मैं पूरा चित्र समझना चाह रहा हूं। इसके बाद रेखा पात्रा ने कहा, “संदेशखाली की जो मां-बहन हैं सब एकसाथ अत्याचार का शिकार हुई हैं। हमारे साथ जो हुआ उसे तो जेल हुई। हम लोग 2011 से वोट नहीं दे पाए। हम चाहते हैं कि संदेशखाली के सभी लोग शांति से वोट दे पाएं।
पीएम मोदी ने आगे पूछा, “आपको टिकट मिलने पर आपके पड़ोसियों की कैसी प्रतिक्रिया थी?” इस पर रेखा पात्रा ने कहा, “सब लोग खुश हैं। टीएमसी की 2-4 मां-बहनों ने इसका विरोध किया, मगर बाद में वे मान गईं। उन्होंने वीडियो कॉल से मुझे मैसेज भेजा और कहा कि उन्होंने ऐसा तृणमूल के नेताओं के कहने पर किया। मेरा किसी से विरोध नहीं है। मैं हर किसी के लिए लड़ाई लड़ रही हूं।
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