नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय भाषा में और वह भी अंग्रेजी अनुवाद के बिना याचिका स्वीकार की है। भारतीय भाषा अभियान, सर्वोच्च न्यायालय इकाई प्रमुख पुनीत श्योराण ने भारतीय भाषा में अंग्रेजी अनुवाद के बिना सुप्रीम कोर्ट में याचिका स्वीकार करने पर खुशी जताई है। उन्होंने बताया कि 22 मार्च को कपिल साव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य की आपराधिक अपील को देश की सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने बताया कि इस अपील में पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित अंतिम आदेश के विरुद्ध एसएलपी (क्रिमिनल) याची के विशेष अनुरोध पर केन्द्रीय कारागार अधीक्षक की अनुमति से प्राधिकृत शोधकर्ता नानएओआर अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद द्वारा तैयार याची द्वारा इन पर्सन याचिका सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करने की अनुमति मिली। 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भारतीय भाषा में प्रस्तुत उपरोक्त याचिका को आरंभ में निबंधक कार्यालय ने स्वीकार करने में असमर्थता व्यक्त की। मगर पूर्व में भारतीय भाषाओं में सुप्रीम कोर्ट के सम्मुख प्रस्तुत याचिकाओं का विवरण देने और भारतीय भाषा अभियान की दिल्ली प्रांत की सर्वोच्च न्यायालय इकाई के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के विशेष अनुरोध पर रजिस्ट्रार ने भारतीय भाषा में कपिल साव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य की एसएलपी (क्रिमिनल) आवेदन, याचिका, संलग्नकों के अंग्रेजी अनुवाद के बिना याचिका स्वीकार किया।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकार्ड एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के सहयोग के लिए आभार जताया है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी याचिकाकर्ताओं को अपनी भारतीय भाषाओं में याचिका प्रस्तुत करने में कोई अड़चन नहीं आएगी और उन्हें भारतीय भाषा में शीघ्र निर्णय प्रदान किया जाएगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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