सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने अहिल्याबाई होलकर की त्रिशताब्दी के संदर्भ में एक वक्तव्य जारी किया। सरकार्यवाह ने स्वयंसेवकों से देवी अहिल्या के दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि 31 मई, 2024 से देवी अहिल्याबाई होलकर का 300 वां जयंती वर्ष प्रारंभ हो रहा है। उनका जीवन भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम पर्व है। ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले सामान्य परिवार की बालिका से एक असाधारण शासनकर्ता तक की उनकी जीवनयात्रा आज भी प्रेरणा का महान स्रोत है। वे कर्तृत्व, सादगी, धर्म के प्रति समर्पण, प्रशासनिक कुशलता, दूरदृष्टि एवं उज्ज्वल चारित्र्य का अद्वितीय आदर्श थीं।
‘श्री शंकर आज्ञेवरुन’ (श्री शंकर की आज्ञानुसार) अंकित राजमुद्रा से चलने वाला उनका शासन हमेशा भगवान शंकर के प्रतिनिधि के रूप में ही काम करता रहा। उनका लोक कल्याणकारी शासन भूमिहीन किसानों, भीलों जैसे जनजाति समूहों तथा विधवाओं के हितों की रक्षा करने वाला एक आदर्श शासन था। समाज सुधार, कृषि सुधार, जल प्रबंधन, पर्यावरण रक्षा, जनकल्याण और शिक्षा के प्रति समर्पित होने के साथ-साथ उनका शासन न्यायप्रिय भी था।
समाज के सभी वर्गों का सम्मान, सुरक्षा, प्रगति के अवसर देने वाली समरसता की दृष्टि उनके प्रशासन का आधार रही। केवल अपने राज्य में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण देश के मंदिरों की पूजन-व्यवस्था और उनके आर्थिक प्रबंधन पर भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया। बद्रीनाथ से रामेश्वरम तक और द्वारिका से लेकर पुरी तक आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए मंदिरों का उन्होंने पुनर्निर्माण करवाया। प्राचीन काल से चलती आयीं और आक्रमण काल में खंडित हुईं तीर्थयात्राओं में उनके कामों से नवीन चेतना आयी। इन वृहद् कार्यों के कारण उन्हें ‘पुण्यश्लोक’ की उपाधि मिली। संपूर्ण भारतवर्ष में फैले इन पवित्र स्थानों का विकास वास्तव में उनकी राष्टÑीय दृष्टि का परिचायक है।
पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए समस्त स्वयंसेवक एवं समाज बंधु-भगिनी इस पर्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मनोयोग से सहभाग करें। उनके दिखाए सादगी, चारित्र्य, धर्मनिष्ठा और राष्टÑीय स्वाभिमान के मार्ग पर अग्रसर होना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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