संगठन श्रेणी एवं जागरण श्रेणी के कार्य करने से संगठनात्मक सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ सामाजिक दृष्टि से भी उल्लेखनीय प्रगति संभव हुई है। शाखाओं के विस्तार, स्वयंसेवकों की संख्यात्मक वृद्धि के साथ गुणात्मक तथा प्रभावात्मक दृष्टि से भी हम आगे बढ़े हैं।
यह अतीव दु:खद है कि गत वर्ष के इस कालावधि में अनेक बंधु एवं भगिनी अपनी जीवन यात्रा को समाप्त कर हम से दूर चले गए। उनके प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम उनकी सद्गति के लिए प्रार्थना करते हैं।
आरोग्य भारती ने 173 जिलों में 574 स्थानों पर 10,294 महिलाओं के उत्थान के लिए भी काम किया है। इसके संगठनात्मक ढांचे में कुल 871 जिले हैं, जिनमें से 379 जिलों में समितिया, 217 जिलों में सक्रिय टीमें और 165 जिलों में समन्वयक नियुक्त हैं। कुल 761 जिले क्रियाशील हैं। आरोग्य भारती ने 6 दिसंबर, 2023 को तमिलनाडु में मिचौंग चक्रवात के कारण बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान कीं। इसके तहत, 49 शिविरों के माध्यम से 4,369 लोगों (1,752 पुरुष, 2,179 महिलाएं, 438 बच्चे) को लाभ हुआ। इस परियोजना में 230 श्रमिकों ने भाग लिया, जिनमें 8 विभिन्न संगठन, 114 डॉक्टर, 45 मेडिकल छात्र, 168 नर्स और फार्मासिस्ट शामिल थे।
लोक संस्कृति के विभिन्न पहलू सामने आए हैं, जिनके माध्यम से देशज ज्ञान की परंपरा आगे बढ़ी है। लोक ज्ञान की सभी संपदा का प्रतिनिधित्व करने वाली लोक कथाएं, सामाजिक रीति-रिवाजों और त्योहारों का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसके अतिरिक्त, संस्था के परामर्शदाताओं ने सामाजिक उत्थान के लक्ष्य के साथ हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने के लिए विविध सामाजिक रीति-रिवाजों और दृष्टिकोणों का निर्माण किया है।
वर्ष 2023-24 में महिला समन्वय ने 43 प्रांतों में कई महिला सम्मेलनों का आयोजन किया, जिसमें कुल 5,57,555 बहनों की उपस्थिति रहीं। बंगाल के संदेशखाली में हिंदू विरोधी घटनाओं के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रव्यापी संदेश प्रसारित किया गया, जिससे राज्य सरकार के रुख के विरोध में लगभग 40 स्थानों पर प्रदर्शन हुए और ज्ञापन सौंपा गया। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से तीन कार्यशालाएं आयोजित की गईं। पहली, 8 सितंबर, 2023 को ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित की गई, जिसका विषय था- ‘महिलाएं और निर्णय लेने में कॉरपोरेट की भूमिकाएं’, 13 सितंबर, 2023 को गुजरात के अमदाबाद में आयोजित दूसरी कार्यशाला का विषय था ‘महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य’ और 11 दिसंबर को वडोदरा में आयोजित तीसरी कार्यशाला ‘महिलाएं और स्वास्थ्य’ विषय पर केंद्रित थी। इसके अलावा, मणिपुर में संकटग्रस्त महिलाओं के बारे में मीनाक्षी ताई पशिवेजी के साथ एक बैठक की गई और उनके उत्थान के लिए अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए विद्या भारती को 1,60,000 रुपये की राशि दी गई।
2023-24 में सरसंघचालक जी के सात प्रांतों के प्रवास हुए। शारीरिक प्रधान प्रकट कार्यक्रम, दायित्ववान कार्यकर्ता परिवार संवाद, प्रचारकों से संवाद, मकर संक्रांति उत्सव आदि जैसे कार्यक्रमों में उपस्थित रहना हुआ। इसके अलावा प्रबुद्धजन गोष्ठी, पुस्तक विमोचन, समारोह आदि में आप उपस्थित रहे। इस वर्ष 5 स्थानों पर सभी 11 क्षेत्रों की क्षेत्र कार्यकरिणी की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई। इस वर्ष किसी न किसी निमित्त 35 प्रान्तों मे जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। कर्णावती, नागपुर तथा दिल्ली में युवा उद्यमियों के साथ कार्यक्रम संपन्न हुए। प्रचार विभाग कोंकण प्रांत द्वारा मुंबई में हिन्दी तथा मराठी सिने जगत के ख्यातनाम चयनित निर्माता, निर्देशकों, कलाकारों, लेखकों तथा पुरस्कार प्राप्त गणमान्यों के साथ अनौपचारिक संवाद हुआ। प्रवास में विभिन्न स्थानों पर संत-महात्माओं से आशीर्वाद प्राप्त किये। 26 जनवरी 2024 को नागपुर संघ कार्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर तिरंगा झंडा फहराया। 23 नवंबर 2023 को उन्होंने थाईलैंड में वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस 2023 का उद्घाटन किया।
2023-24 में सभी 11 क्षेत्रों में प्रवास हुआ। स्वयंसेवक एकत्रीकरण, ज्येष्ठ प्रचारक एवं वरिष्ठ स्वयंसेवकों के साथ संवाद, कार्यकर्ता शिविर, विशिष्ट जन संपर्क आदि कार्यक्रम भी अनेक स्थानों पर हुए। देशभर में कार्य विस्तार की दृष्टि से नित्य शाखा, बस्ती, मंडल को लेकर कार्यक्रम, योजनाओं के माध्यम से कार्य को गति देने में सर्वत्र कार्यकर्ता उत्साह से लगे हैं। जयपुर, उत्तर बिहार, उत्तर तमिलनाडु, अरुणाचल, पंजाब आदि प्रांतों में एकत्रीकरण तथा केरल के कोट्टायम में वैकोम सत्याग्रह की शताब्दी वर्ष को निमित्त बनाकर स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम संपन्न हुए।
दक्षिण बिहार, महाकौशल, ब्रज, कानपुर, काशी प्रांतों में मुख्य शिक्षक, कार्यवाह एवं शाखा टोली को लेकर प्रबोधन के कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। कोयंबतूर एवं भुवनेश्वर में नगर स्तर के कार्यकर्ताओं के साथ संवाद हुआ। प्रवास में दक्षिण बेंगलुरु (कर्नाटक), कोरबा (छत्तीसगढ़), (देहरादून) उत्तराखंड, गुवाहाटी (उत्तर असम) में कार्यकर्ता कुटुंब मिलन के कार्यक्रम हुए तथा हिमाचल के ऊना में स्वयंसेवक परिवारों के साथ मकर संक्रांति उत्सव में सहभागिता रही।
ग्राम विकास के प्रभात ग्राम दर्शन हेतु मालवा प्रांत में हरदा और प. महाराष्ट्र में शिवे नामक गांवों में दिन भर रहकर ग्राम विकास के कार्यों का दर्शन एवं कार्य में लगे कार्यकर्ता एवं ग्रामजन के साथ संवाद हुआ। समरसता गुरुकुल प्रकल्प में जाना हुआ। जयपुर में अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय सेवा भारती द्वारा संपन्न राष्ट्रीय सेवा संगम, कर्णावती में जुलाई में माईग्रेंट पाकिस्तानी हिन्दू डॉक्टरों को भारत में मिले नागरिक अधिकारों के निमित्त स्वागत समारोह और मुंबई में अगस्त 2023 में आयोजित हिंदू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के कार्यकर्ता सम्मेलन में सहभाग एवं उद्बोधन हुआ। जुलाई 2023 में इंदौर में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350वें वर्ष के उपलक्ष्य में व्याख्यान और दिल्ली में इसी उपलक्ष्य में सार्वजनिक समारोह तथा श्री शैलम में छत्रपति शिवाजी स्फूर्ति केन्द्र का दर्शन किया।
अखिल भारतीय खेल कार्यशाला 17 से 19 नवंबर 2023 को कर्णावती (गुजरात) में संपन्न हुई। 37 प्रांतों से 72 शिक्षार्थी तथा 14 शिक्षक उपस्थित थे। अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ 16 दिसंबर 2023, सहभागी शाखा 42,455, मिलन 6,885, स्वयंसेवक 6,53,1651.
21-23 जुलाई 2023 को बौद्धिक विभाग की अखिल भारतीय बैठक मेरठ प्रांत के गाजियाबाद महानगर में संपन्न हुई। कुल 103 में से 90 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस वर्ष की योजना के अनुसार सभी प्रांतों के 324 विभागों में से 207 विभागों में बैठकें हुईं। 10698 अपेक्षित कार्यकर्ताओं में से 5387 कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी प्रांतों में प्रांत, विभाग या जिला स्तर पर प्रार्थना, गीत, मानचित्र परिचय, समाचार समीक्षा, दीर्घ कथा और वीडियो
कर्नाटक उत्तर-मंडल में कार्य विस्तार को गति देने के लिए पिछले तीन वर्ष से मंडल केंद्रित प्रवास की योजना चल रही है। इस वर्ष की योजना में 1659 कार्यकर्ताओं ने 15 दिन के प्रवास किये। 17 दिसंबर 2023 को प्रांत के 1990 मंडलों में से 1717 पर प्रवास हुआ। 5005 स्थानों पर 6954 शाखाएं चली। 706 बस्ती में से 638 बस्ती में शाखा चलीं। उस दिन की उपस्थिति तरुण 35586, बालक 22600 और शिशु 6039 रही।
आंध्र प्रदेश-पिछले 3 साल से करनूल विभाग ने 2025 तक विभाग के हर गांव में संघ कार्यकर्ता तयार हों, इसके लिए हर गांव में प्रवास की योजना बनाई। 2021 में श्री राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में 13500 कार्यकर्ता गांव-गांव गए।
गुजरात-साबरकांठा जिले मे कार्यविस्तार और दृढ़ीकरण के लक्ष्य को लेकर वार्षिक योजना बैठक में एक दिवसीय सम्मलेन हुआ। 2022 में 15 स्थानों पर 37 शाखाएं, 36 मिलन तथा 6 मंडलियां थीं। 3 वर्ष के सतत प्रयास से अब 73 स्थानों पर 111 शाखाएं, 112 मिलन तथा 149 मंडलियां हैं।
सौराष्ट्र-राजकोट महानगर में 7 जनवरी 2024 को सभी बस्तियों से स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण के लिए कार्यविस्तार कुंभ-2024 का आयोजन किया गया। कुल 223 बस्तियों में से 200 बस्तियों में 2271 संख्या रही तथा 1100 नए गणवेश बने।
महाकौशल-प्रांत में शाखा विस्तार एवं मण्डल स्तर तक कार्यविस्तार के लिए उपखंड /उपनगर शीत शिविर की योजना बनी। खंड एवं जिला स्थानों पर संचालन टोली का प्रशिक्षण हुआ। 170 नवीन शाखाओं की वृद्धि हुई।
चित्तौड़-तीन वर्ष पूर्व उदयपुर महानगर के कार्यकर्ताओं ने कार्य विस्तार की योजना तैयार की। वर्तमान में 266 उपबस्तियों में से 221 उपबस्तियों में शाखा अथवा मिलन है। सभी 33 सेवा बस्ती में शाखा चल रही है। पिछले तीन वर्ष में 45 मिलन में ध्वज प्रदान कार्यक्रम हुए। महानगर में 12 शाखाओं के माध्यम से नई शाखाएं प्रारंभ हुई है।
जोधपुर-जालोर जिले में कार्य विस्तार के लिये 3 वर्ष की योजना बनाई गयी। जहां पिछले 10 वर्ष में शाखाएं लगी थीं वे स्थान, प्रवासी कार्यकर्ता के स्थान, संघ शिक्षा वर्ग शिक्षित कार्यकर्ता के स्थान आदि पर प्रयत्न हुआ। मार्च 2022 में स्थान 68, शाखा 90, मिलन 13, मंडली 10 थीं वहीं अब फरवरी 2024 में स्थान 100, शाखा 116, मिलन 16, तथा मण्डली 14 हैं।
हरियाणा-12-14 जनवरी 2024 को प. पू. सरसंघचालक जी का प्रांत प्रवास हुआ।
मेरठ-सराहनपुर महानगर में प्रत्येक नगर की बस्तियों में जहां कभी शाखा अथवा मिलन रहा है या जहां संपर्क है, ऐसे स्थान निश्चित कर महानगर के प्रत्येक प्रवासी कार्यकर्ता द्वारा एक सप्ताह उसी स्थान पर जाकर शाखा शुरू करने का अभियान लिया गया। 255 प्रवासी कार्यकर्ताओं ने 160 स्थानों पर प्रवास किया।
ओडिशा-पश्चिम कोरापुट जिला अन्तर्गत कुन्द्रा विकास खण्ड में शाखा कुम्भ का आयोजन किया गया। एक ही मैदान में 108 ध्वज लगाकर अलग अलग शारीरिक कार्यक्रम किये गए।
उत्तर असम-कार्य विस्तार हेतु 23 जनवरी 2024 को बरपेटा जिले में नई शाखा प्रारंभ करने और शाखा विहीन मंडलों में शाखा अथवा साप्ताहिक मिलन शुरू करने हेतु ‘आजाद हिंद शाखा संगम’ संपन्न हुआ।
दक्षिण असम-विस्तारक सप्ताह योजना में 76 स्थानों पर 104 विस्तारक निकले, जिसमें 57 नये स्थान थे।
कर्नाटक दक्षिण -प्रांत का घोष वर्ग 23-25 दिसंबर 2023 को सम्पन्न हुआ। 37 जिलों के 50 तहसील तथा 111 नगरों के 831 वादक वर्ग में सम्मिलित हुए।
कर्नाटक उत्तर-धारवाड़ के पास गरग में आयोजित शिविर में 235 मंडलों से 630 कार्यकर्ता तथा होसपेट के पास हगरीबोम्मनहल्ली में आयोजित शिविर में 309 मंडलों से 735 कार्यकर्ता उपस्थित थे।
आन्ध्र प्रदेश-विशाखा महानगर में जून 2023 में 58 शाखाओं में 26 घोष शिक्षकों का 7 दिन प्रवास हुआ। 8 जनवरी 2024 को ‘स्वर सागर’ कार्यक्रम में 32 घोष वादकों का लगातार 78 मिनट का वादन हुआ।
छत्तीसगढ़-दंतेवाड़ा जिले में विजयादशमी के उत्सव पर 495 बाल स्वयंसेवकों का पथ संचलन हुआ। खंडों व नगरों में 13 नई शाखाएं शुरू हुईं।
चित्तौड़-प्रांत के आठ विभाग केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण शारीरिक प्रदर्शन हुए जिसमें 1531 स्वयंसेवकों द्वारा शारीरिक प्रदर्शन तथा 202 स्वयंसेवकों द्वारा घोष प्रदर्शन हुए।
जोधपुर-बीकानेर महानगर के स्वयंसेवकों को ग्रामीण जीवन शैली का परिचय कराने हेतु हुए उपक्रम में 80 स्वयंसेवक सहभागी हुए। 21 जनवरी को गुणवत्तापूर्ण पथ संचलन व शारीरिक प्रधान कार्यक्रम संपन्न हुआ।
दिल्ली-सभी गतिविधियों से जुड़ी समाज की सज्जन शक्ति को संपर्क करने की व्यापक योजना बनायी गई। प्रांत स्तर पर प्रत्येक गतिविधि की सज्जन शक्ति संगम आयोजित हुआ।
जम्मू-कश्मीर-कार्यवाह श्रेणी के दायित्व के कार्यकर्ता बंधुओं के प्रशिक्षण का वर्ग सम्पन्न हुआ। सहसरकार्यवाह मुकुंदा जी उपस्थित थे। वर्ग में अपेक्षित 272 कार्यकर्ता में से 161 उपस्थित थे। 4 फरवरी 2024 को जम्मू में प्राध्यापक स्वयंसेवकों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।
काशी-प्रयाग दक्षिण भाग द्वारा 6-7 जनवरी 2024 को 5वीं से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए शिविर का आयोजन किया गया। सुल्तानपुर नगर में बाल शिविर एवं पथ संचलन का आयोजन किया गया। 5 नई संयुक्त विद्यार्थी शाखाएं प्रारम्भ हुईं।
मध्यबंग प्रान्त-6 जिलों में नियमित उत्सव केंद्रित वक्ता प्रशिक्षण, 8 नगरों में प्रार्थना अभ्यास कार्यशालाएं, 32 शाखाओं एवं 13 मिलन में मानचित्र परिचय कार्यक्रम आयोजित किये गए।
पौष शुक्ल द्वादशी, युगाब्द 5125 (22 जनवरी 2024) को श्रीराम जन्मभूमि पर श्री रामलला के विग्रह की भव्य-दिव्य प्राणप्रतिष्ठा विश्व इतिहास का एक अलौकिक एवं स्वर्णिम पृष्ठ है। हिन्दू समाज के सैकड़ों वर्ष के सतत संघर्ष एवं बलिदानों, पूज्य संतों और महापुरुषों के मार्गदर्शन में चले राष्ट्रव्यापी आंदोलन तथा समाज के विभिन्न घटकों के सामूहिक संकल्प के परिणामस्वरूप संघर्षकाल के एक दीर्घ अध्याय का सुखद समाधान हुआ।
इस पवित्र दिवस को जीवन में साक्षात् देखने के शुभ अवसर के पीछे शोधकर्ताओं, पुरातत्वविदों, विचारकों, विधिवेत्ताओं, संचार माध्यमों, बलिदानी कारसेवकों सहित आंदोलनरत समस्त हिन्दू समाज तथा शासन-प्रशासन का महत्वपूर्ण योगदान विशेष उल्लेखनीय है। अ.भा.प्र.सभा इस संघर्ष में जीवन अर्पण करने वाले सभी हुतात्माओं के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उपर्युक्त सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती है।
श्रीराम मन्दिर में अभिमंत्रित अक्षत वितरण अभियान में समाज के समस्त वर्गों की सक्रिय सहभागिता रही। लाखों रामभक्तों ने सभी नगरों और अधिकांश गांवों में करोड़ों परिवारों से संपर्क किया। 22 जनवरी 2024 को भारत ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण विश्व में अद्भुुत आयोजन किये गए। गली-गली और गांव-गांव में स्वप्रेरणा से निकली शोभायात्राओं, घर-घर में आयोजित दीपोत्सवों तथा लहराती भगवा पताकाओं और मंदिरों-धर्मस्थलों में हुए संकीर्तनों आदि के आयोजनों ने समाज में एक नवीन ऊर्जा का संचार किया।
श्री अयोध्याधाम में प्राणप्रतिष्ठा के दिन देश के धार्मिक, राजनीतिक एवं समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व तथा सभी मत-पंथ-सम्प्रदायों के पूजनीय संतवृंद की गरिमामयी उपस्थिति थी। उनकी उपस्थिति इस बात की द्योतक है कि श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप समरस, सुगठित राष्ट्रजीवन खड़ा करने का वातावरण बन गया है। यह भारत के पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारंभ का संकेत भी है। श्रीराम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से परकीयों के शासन और संघर्षकाल में आई आत्मविश्वास की कमी और आत्मविस्मृति से समाज बाहर आ रहा है। सम्पूर्ण समाज हिंदुत्व के भाव से ओतप्रोत होकर अपने ‘स्व’ को जानने तथा उसके आधार पर जीने के लिए तत्पर हो रहा है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन हमें सामाजिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए समाज व राष्टÑ के लिए त्याग करने की प्रेरणा देता है। उनकी शासन पद्धति ‘रामराज्य’ के नाम से विश्व इतिहास में प्रतिष्ठित हुई, जिसके आदर्श सार्वभौमिक व सार्वकालिक हैं। जीवन मूल्यों का क्षरण, मानवीय संवेदनाओं में आई कमी, विस्तारवाद के कारण बढ़ती हिंसा व क्रूरता आदि चुनौतियों का सामना करने हेतु रामराज्य की संकल्पना सम्पूर्ण विश्व के लिए आज भी अनुकरणीय है।
प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित मत है कि सम्पूर्ण समाज अपने जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को प्रतिष्ठित करने का संकल्प ले, जिससे राममंदिर के पुनर्निर्माण का उद्देश्य सार्थक होगा। श्रीराम के जीवन में परिलक्षित त्याग, प्रेम, न्याय, शौर्य, सद्भाव एवं निष्पक्षता आदि धर्म के शाश्वत मूल्यों को आज समाज में पुन: प्रतिष्ठित करना आवश्यक है। सभी प्रकार के परस्पर वैमनस्य और भेदों को समाप्त कर समरसता से युक्त पुरुषार्र्थी समाज का निर्माण करना ही श्रीराम की वास्तविक आराधना होगी।
अ.भा.प्र.सभा समस्त भारतीयों का आवाहन करती है कि बंधुत्वभाव से युक्त, कर्तव्यनिष्ठ, मूल्याधारित और सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता करने वाले समर्थ भारत का निर्माण करें, जिसके आधार पर वह एक सर्वकल्याणकारी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण करने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर सकेगा।
पूरे देश में सभी मातृसंस्थाओं सहित कुल सेवाकार्य (दैनिक या साप्ताहिक) व उपक्रमों की संख्या 1,22,890 है। शिक्षा, स्वावलम्बन तथा सामाजिक सेवाकार्यों में 21,45,000 व्यक्तियों ने किसी न किसी रूप में नियमित सेवा प्राप्त की। वहीं स्वास्थ्य प्रकल्पों में 87,16,000, अन्नदान योजना में 27,35,000 से अधिक व्यक्ति लाभान्वित हुए।
दक्षिण तमिलनाडु-7 दिसंबर 2023 को आई बाढ़ के बाद स्वयंसेवकों ने सेवा भारती के माध्यम से राहत कार्य में योगदान दिया। 42 केन्द्रों से 3,45,000 भोजन पैकेट तथा अन्य नित्य उपयोगी वस्तुएं वितरित की गईं। 3,775 स्वयंसेवक सहभागी हुए।
कर्नाटक दक्षिण-गत 3 वर्ष से मंगलुरु महानगर के व्यवसायी शाखा तथा मिलन के कार्यकर्ताओं ने 27 में से 25 सेवा बस्तियों को दत्तक लिया है। वहां 15 बाल गोकुलम, भजन कार्यक्रम, परीक्षा के समय ट्यूशन तथा लेखन साहित्य का वितरण जैसे उपक्रम चल रहे हैं।
मालवा-अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पूर्व ही दो महानगरों इंदौर व उज्जैन की हर बस्ती को सेवा कार्य युक्त करने का संकल्प लिया। योजना को नाम दिया ‘मेरी बस्ती मेरी अयोध्या’।
इस वर्ष अखिल भारतीय स्तर से जिला स्तर तक विभिन्न10 श्रेणियों में 95,315 महानुभावों से प्रत्यक्ष संपर्क हुआ। देश में संपर्क विभाग में कुल 12,068 कार्यकर्ता हैं। पू. सरसंघचालक और मा. सरकार्यवाह के प्रवास में संपर्क विभाग के माध्यम से देश के गणमान्य महानुभावों को व्यक्तिगत मिलना हुआ। इस वर्ष देश में विभिन्न सामाजिक विषयों पर समाज की सकारात्मक भूमिका तय होने हेतु संपर्क विभाग का सक्रिय सहभाग रहा। अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, सेनाधिकारी, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी तथा विदेश सेवा से जुड़े महानुभावों से व्यक्तिगत संपर्क व बैठकों के माध्यम से राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा में अच्छी सहभागिता बनी है।
पू. सरसंघचालक व मा. सरकार्यवाह के प्रवास कार्यक्रमों के अतिरिक्त प्रचार विभाग कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण व क्षमतावर्धन की दृष्टि से क्षेत्रश: दो दिवसीय कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। वारंगल, मंगलूरू, धार, सीकर, काशी और गुवाहाटी में साहित्योत्सव सम्पन्न हुए। प्रचार विभाग मध्य क्षेत्र द्वारा उज्जैन में ज्वलंत विषयों पर लेखन करने वाले स्तंभ लेखकों, संपादकों, पैनलिस्ट, ब्लॉगर, लेखकों, साहित्यकारों, रचनाकारों, कथा-कहानीकारों, यूट्यूबर, नवीन एवं पुरातन के लिए आधुनिकतम ‘साहित्यिक सृष्टि भारतीय दृष्टि लेखन संवादशाला का 30 सितंबर-2 अक्तूूबर 2023 को आयोजन किया गया।
जोधपुर प्रांत में 29-30 जुलाई, 2023 को सभी प्रांत प्रमुखों एवं संयोजकों की बैठक हुई। सरकार्यवाह दत्ताजी व पालक अधिकारी भैयाजी जोशी ने पूर्ण समय रहकर मार्गदर्शन किया। इस वर्ष 241 यात्राएं निकाली गई। 42 प्रांतों के 2 दिवसीय अभ्यास वर्ग हुए। आंध्रप्रदेश में 399 हिन्दू सम्मेलनों में 4992 गांवों से 1,57,205 हिन्दू सम्मिलित हुए। प्रयाग दक्षिण भाग, देवप्रयागम नगर की अम्बेडकर बस्ती में कुल 12 परिवार कन्वर्ट हुए थे। नित्य संपर्क से इन परिवारों का फिर हिन्दू धर्म अपनाने का मन बना।
ग्रामविकास-7 दिसंबर को मालवा प्रांत में गांव हरदा में सरकार्यवाह जी ने गांव वालों से संवाद किया। ग्राम समिति द्वारा किये जा रहे विशेष कार्य जैसे जल संरक्षण एवं संवर्धन को प्रत्यक्ष जाकर देखा। 10-15 गांव के समूह में स्वावलंबन की दृष्टि से समाज आधारित कम खर्चे में जरूरतमंद बंधुओं को रोजगार का अवसर प्रदान करने का प्रयास 2014 से देश के 10 प्रांतों के15 संकुलों में हो रहा है।
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का दिव्य ध्येय साकार करने के लिये, अपने घर में, पड़ोस के पांच दस परिवारजन के साथ एवं अपना परिवार चलाने के लिये जिस व्यक्ति, परिवार, संस्था से संबंध आता है, उन सभी के साथ प्रेम, आदर, विश्वास स्थापित करने का प्रयास ‘कुटुम्ब मित्रों’ के माध्यम से चल रहा है। प्रांतो में कुटुंबमित्र नियुक्त होते हैं। वर्तमान में कुल 1,25,000 कुटुंबमित्र हैं। आयु के अनुसार उपक्रमों में बालक बालिकाओं को कथा, खेल, श्लोक, स्तोत्रपाठ, जन्मदिन भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखकर मनाना, मोबाइल का विवेकपूर्ण उपयोग करना आदि द्वारा संस्कारित परिवार का वातावरण निर्माण किया जा रहा है।
भगवान वाल्मिकी श्री रामतीर्थ ज्योती यात्रा पंजाब एवं उत्तर क्षेत्र के रामलीला समितियों को अमृतसर स्थित वाल्मीकि श्री रामतीर्थ आश्रम से ज्योती ले जाने का आवाहन किया गया। आंध्र प्रदेश में 5 स्थानों पर समरसता सम्मेलन संपन्न हुए। गुजरात प्रांत में पू. सरसंघचालक जी की उपस्थिति में अनुसूचित समाज से गणमान्य व्यक्तियों की गोष्ठी का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र राज्य सफाई कर्मचारी उत्थान परिषद 30 सितंबर को मुंबई में संपन्न हुई। राज्य से 480 कर्मचारी प्रतिनिधि, संगठन प्रतिनिधि, विद्यार्थी एवं सरकारी अधिकारी उपस्थित रहे। आरक्षण बचाव अभियान-कन्वर्टिड हुए पूर्व की अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण देने की मांग का विरोध करने हेतु देशभर में व्यापक अभियान हुआ।
संगठनात्मक संरचना 45 प्रान्तों में से 44 में संयोजक नियुक्त हैं। विभाग संयोजक 220, जिला संयोजक 918 तथा महानगर संयोजक 200 हैं। 75 विश्वविद्यालयों के 4000 से अधिक विद्यार्थियों का प्रतिमाह आनलाइन प्रशिक्षण पिछले तीन वर्ष से चल रहा है। रक्षा विभाग में एक कार्यशाला आयोजित की गयी। लगभग 300 सेना अधिकारियों एवं परिवार के सदस्यों को ईको ब्रिक्स बनाने, कचरा विभाजित करने, रसोई के कचरे से खाद बनाने तथा बायोएंजाइम बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। पर्यावरण पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन आॅनलाइन किया गया। ‘एक पेड़ देश के नाम’ अभियान के अंतर्गत देश में लगभग 575 सघन वन सामाजिक सहभागिता से लगाये गये। राजस्थान में 300 से अधिक सघन वन अभी तक लगे हैं।
केरल-कोट्टायम वायकोम में महादेव मंदिर परिसर के रास्तों को तथाकथित अस्पृश्यों के लिए खोलने के लिए मार्च 30, 1924 को शुरू हुआ सत्याग्रह नवंबर 23, 1925 को समाप्त हुआ था। इसी की शताब्दी के अवसर पर कोलयम विभाग के कार्यकर्ताओं ने 6 अक्तूबर 2023 को पूर्ण गणवेश में सांघिक का आयोजन किया।
तेलंगाना-भाग्यनगर की आई.टी. मिलन टोली के 21 नए मिलन प्रारम्भ हुए। वर्तमान में 91 मिलन व 57 बाल गोकुलम चल रहे हैं।
सौराष्ट्र-कच्छ जिले में 2 नवंबर 2023 को 10,230 गणवेश में तरुणों का विराट महाकुम्भ ‘कच्छ विभाग एकत्रीकरण’ संपन्न हुआ। इस एकत्रीकरण में रापर-कच्छ के श्री रविभाण संप्रदाय गादि के महंत पू. त्रिकालदासजी महाराज के आशीर्वचन प्राप्त हुए तथा सह सरकार्यवाह श्री अरुणकुमार जी का मार्गदर्शन हुआ।
महाकौशल-प्रांत में मकर संक्रमण उत्सव में 35,452 तरुण, 12,226 बाल, 4,223 शिशु उपस्थित रहे। 3,404 मातृ शक्ति की सहभागिता तथा 55,812 कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व हुआ। सतना विभाग ने महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में संघ कार्य का विस्तार करने की दृष्टि से महाविद्यालयीन विद्यार्थी शताब्दी शिविर का आयोजन किया।
छत्तीसगढ़-रायगढ़ विभाग में भगवान महावीर स्वामी जी के 2550वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर भगवान महावीर स्वामी जी की दिग्दर्शिका का विमोचन किया गया।
चित्तौड़-बाबा रामदेव जयंती के अवसर पर खेल महोत्सव का आयोजन किया गया।
दिल्ली-12 फरवरी 2024 को दिल्ली के विज्ञान भवन में भगवान महावीर स्वामी के 2550वें निर्वाण वर्ष के उपलक्ष्य में ‘कल्याणक महोत्सव’ का भव्य आयोजन किया गया।
हरियाणा-मकर संक्रांति पर प. पू. सरसंघचालक जी ने सोनीपत के गोहाना कस्बे के प्राचीन महर्षि वाल्मीकि मंदिर में दर्शन किये।
झारखण्ड- जनजातीय बहुल झारखण्ड में कन्वर्जन, मुसलमानों द्वारा जनजातीय समाज की जमीन हड़पना, नक्सल उपद्रव जैसे कई गंभीर मुद्दों पर व्यापक विरोध शुरू हो गया है। जगह जगह जनजाति कार्यकर्ता कन्वर्जन के खिलाफ खड़े हो रहे है।
ओडिशा पूर्व-पुरी विभाग में ‘विश्व गुरु भारत में शिक्षकों का योगदान’ विषय पर भुवनेश्वर महानगर स्थित आंचलिक शिक्षा अनुष्ठान में एक प्राध्यापक चिंतन संगोष्ठी कार्यक्रम संपन्न हुआ। ओडिशा पश्चिम-प्रांत के 129 खंड व 34 नगरों में 160 स्थानों पर सभी जाति-बिरादरी प्रमुखों की सामाजिक सद्भाव बैठकें हुईं।
दक्षिण बंग-12 जनवरी 2024 को स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती के उपलक्ष्य में कोलकाता के ईस्टर्न जोनल कल्चरल सेंटर सभागार में युवा कार्यकर्ता एकत्रीकरण हुआ। सरकार्यवाह जी का उद्बोधन हुआ।
उत्तर असम-28-29 दिसंबर, 2023 को माजुली के उत्तर कमलाबारी सत्र में आयोजित ‘पूर्वोत्तर मणिकांचन 2023’ संत सम्मेलन में अनेक समुदायों के धार्मिक नेताओं ने भाग लिया।
अरुणाचल प्रदेश- मा. सरकार्यवाह जी के प्रवास के दौरान ईटानगर कैपिटल काम्प्लेक्स नगर का एकत्रीकरण, ग्राम लेकी, नाहालार्गुन में 12 फरवरी 2024 को संपन्न हुआ।
‘श्री शंकर आज्ञेवरुन’ (श्री शंकर की आज्ञानुसार) अंकित राजमुद्रा से चलने वाला उनका शासन हमेशा भगवान शंकर के प्रतिनिधि के रूप में ही काम करता रहा। उनका लोक कल्याणकारी शासन भूमिहीन किसानों, भीलों जैसे जनजाति समूहों तथा विधवाओं के हितों की रक्षा करने वाला एक आदर्श शासन था। समाज सुधार, कृषि सुधार, जल प्रबंधन, पर्यावरण रक्षा, जनकल्याण और शिक्षा के प्रति समर्पित होने के साथ-साथ उनका शासन न्यायप्रिय भी था। समाज के सभी वर्गों का सम्मान, सुरक्षा, प्रगति के अवसर देने वाली समरसता की दृष्टि उनके प्रशासन का आधार रही। केवल अपने राज्य में ही नहीं, अपितु सम्पूर्ण देश के मंदिरों की पूजन-व्यवस्था और उनके आर्थिक प्रबंधन पर भी उन्होंने विशेष ध्यान दिया। बद्रीनाथ से रामेश्वरम तक और द्वारिका से लेकर पुरी तक आक्रमणकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए गए मंदिरों का उन्होंने पुनर्निर्माण करवाया। प्राचीन काल से चलती आयीं और आक्रमण काल में खंडित हुईं तीर्थयात्राओं में उनके कामों से नवीन चेतना आयी। इन वृहद् कार्यों के कारण उन्हें ‘पुण्यश्लोक’ की उपाधि मिली। संपूर्ण भारतवर्ष में फैले इन पवित्र स्थानों का विकास वास्तव में उनकी राष्ट्रीय दृष्टि का परिचायक है।
पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए समस्त स्वयंसेवक एवं समाज बंधु-भगिनी इस पर्व पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में मनोयोग से सहभाग करें। उनके दिखाए सादगी, चारित्र्य, धर्मनिष्ठा और राष्टÑीय स्वाभिमान के मार्ग पर अग्रसर होना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कर्नाटक दक्षिण – बंगलुरु दक्षिण में ‘कलिका केंद्र’ नाम से प्रचलित अभ्यासिका, रक्तदान शिविर, सेवा बस्ती के बच्चों के लिए साईकल वितरण, स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण जैसे उपक्रम शाखा द्वारा चलाए जाते हैं।
आंध्र प्रदेश-अनकापल्ली जिले के मछुआरा बहुल वाडनरसापुरम ग्राम को प्लास्टिक मुक्त गांव बनाने की पहल हुई।
गुजरात-महेसाणा जिले की महाराणा प्रताप व्यवसायी शाखा ने पानी के 85 नये पंप सशुल्क खरीदकर लगवाये।
विदर्भ-अकोला जिले के अंदुरा ग्राम के वीर भगत सिंह शाखा द्वारा रक्तदान शिविर, महाआरोग्य शिविर, पर्यावरण संरक्षण, कृषकों के लिए मार्गदर्शन, विद्यार्थियों के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण, गणपति विसर्जन, दुर्गा देवी विसर्जन के समय प्लास्टिक विलगीकरण तथा निर्माल्य का विनियोग तथा सुव्यवस्था, बालक बालिकाओं का ज्ञानवर्धन करने के लिए पुण्य भूमि भारत स्पर्धा, दुग्ध व्यवसाय मागदर्शन इत्यादि उपक्रम चलाए जाते हैं।
मालवा-शाजापुर के मक्सी खंड में मातृशक्ति को पौष्टिक अन्न के प्रति प्रशिक्षण दिया गया। जैविक खेती, दूध उत्पादन एवं मावे का निर्माण, गांव का बैंक, प्याज के फूड प्रोसेसिंग यूनिट, व्यसन मुक्ति एवं संस्कार हेतु संतों द्वारा प्रबोधन जैसे विषयों पर काम करने हेतु टोलियां बनाई गई हैं।
चित्तौड़-राजसमंद विभाग के आमेट जिले में ग्राम काछबली में स्वयंसेवकों ने समाज में सुपरिवर्तन करने में भूमिका निभाई है।
मथुरा महानगर की शाखा द्वारा तालाब का सौन्दर्यीकरण, महिलाओं को शराब मुक्ति हेतु जागरूक करने जैसे काम हुए।
जोधपुर-जूनागढ़, बीकानेर की माधव तरुण व्यवसायी शाखा द्वारा जूनागढ़ किले में स्थित गणेश मन्दिर की सुव्यवस्था में सहयोग किया। यहां लग भग एक लाख श्रद्धालु आते है।
मध्य बंग-प्रान्त के तारकेश्वर जिले में राधानगर गांव में 70 परिवारों में आज साक्षरता बढ़ी है और अन्य समस्याओं का निराकरण हुआ है।
यह वर्ष अयोध्या में नवनिर्मित भव्य मंदिर में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के स्वर्णिम वर्ष के रूप में सदैव याद किया जायेगा। अयोध्या में मंदिर के पुनर्निर्माण ने भारतीयों के बीच राष्ट्रभाव की वृद्धि का अनुभव कराया है। जयपुर में राष्ट्रीय सेवा संगम के आयोजन में, सामाजिक पंच परिवर्तन तथा गतिविधियों के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों में, सेवा प्रकल्पों में, गंगा समग्र (गंगा बचाओ, निर्मल गंगा, अविरल गंगा) या घुमंतू जनजातियों के बीच काम जैसे विविध आयामों तथा सामाजिक सद्भाव कार्य आदि के तहत किये गये कार्यों में आए अनुभवों से नि:संदेह यह साबित हुआ है कि समाज सभी सकारात्मक बदलावों के लिए तैयार है।
जहां एक ओर हिंदू समाज में रचनात्मक कार्यों के प्रति जागरूकता और उत्साह दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर विघटनकारी और विभाजनकारी ताकतें हैं जो सकारात्मक कार्य से कभी खुश नहीं होतीं। मेवात में नूह में मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग ने विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित यात्रा पर हिंसक हमला किया। मणिपुर की स्थिति ने समाज के दो वर्गों, मैतेई और कुकी के बीच गहरे घाव पैदा कर दिए हैं। पंजाब में अलगाववादी आतंकवाद ने पुन: एक बार फिर अपना सिर उठाया है। लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले, विशेष रूप से पंजाब में किसान आंदोलन के आड़ में फिर से अराजकता फैलाने का प्रयास प्रारंभ हुआ। पश्चिम बंगाल में संदेशखाली में सैकड़ों माता-बहनों, विशेषकर अनुसूचित जाति और जनजाति समाज की बहनों पर अत्याचारों की घटना ने पूरे समाज के अंत:करण को झकझोर कर रख दिया है। अधिक आक्रोशकारी बात यह है कि वहां के शासन द्वारा दोषी व्यक्तियों को कठोरतम दंड देने के बजाय उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे है।
जो शक्तियां भारत, हिंदुत्व या संघ की शत्रु हैं, वे सामाजिक सौहार्द को बाधित या बदनाम करने के लिए नई योजनाओं और षड्यंत्रों की तलाश में हमेशा सक्रिय रहती है। भारत, हिंदुत्व और संघ राष्ट्रीय-स्वत्व की अभिव्यक्ति हैं। उन्हें मजबूत करने का अर्थ है राष्ट्रीय स्वत्व को बढ़ावा देना। हमारे राष्ट्रीय जीवन के हर पहलू में इस राष्ट्रीय स्वाभिमान का पुनर्जागरण ही संघ का जीवन-व्रत है।
अगले महीने देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। स्वयंसेवकों को न केवल अपने मताधिकार का प्रयोग करने का पवित्र कर्तव्य निभाना है, बल्कि शत-प्रतिशत मतदान भी सुनिश्चित करना है। संघ कार्य के संतुलित और समग्र विकास के लिए दो मोर्चों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है-एक, गुणवत्ता वृद्धि के साथ संगठनात्मक विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण, और दूसरा, सज्जन शक्ति संचालन के साथ-साथ समाजोन्मुखी आयाम एवं गतिविधियां। परिस्थिति उत्कृष्ट है; संघ का शताब्दी वर्ष हमें संकेत दे रहा है। आइए, हम आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें; आइए, हम निश्चितता के साथ काम करें। समय हमारा है; वह हमारी प्रतीक्षा कर रहा है।
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