पड़ोसी इस्लामवादी देश में एक मुस्लिम महिला को ही कुरान जलाने का दोषी पाते हुए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उसके विरुद्ध ईशनिंदा कानून के तहत मामला चल रहा था। पाकिस्तान में यूं भी ईशनिंदा कानून का ऐसा शिकंजा है कि इसमें जो एक बार फंसा, उसे कड़ी सजा भुगतनी ही पड़ती है। इस महीने दो और मामलों में दो ‘दोषियों’ को इस कानून के तहत सजा दी गई है। हालांकि इस इस्लामी देश में इस कानून के तहत मौत तक की सजा देने का प्रावधान है।
मामला लाहौर का है। यहीं की एक अदालत ने दोषी मुस्लिम महिला को उम्रकैद की सजा दी है। बताते हैं उस पर इस्लाम में पवित्र मानी जाने वाली कुरान के कुछ पन्ने जलाने का आरोप सिद्ध हुआ था। दरअसल इस कट्टर इस्लामी देश में मजहब और उससे जुड़े चरित्रों के लिए कुछ भी उल्टा—सीधा बोलने या कुरान का अपमान करने पर ईशनिंदा कानून जड़ दिया जाता है, जिसे दुनियाभर में एक आसुरी कानून माना जाता है। इसके दोषी को फिर कड़ी सजा देने के अलावा वहां की अदालतों के पास और कोई विकल्प नहीं रह जाता।
करीब 8 साल पहले इसी नाम की एक ईसाई महिला को भी ईशनिंदा कानून के तहत पकड़ा गया था। तब उसे मौत की सजा दी गई थी। लेकिन वह मामला आगे की अदालतों में चलता रहा और आखिरकार साल 2019 में उसे रिहा की दिया गया। वह महिला रिहा होने के बाद कट्टर मजहबी तत्वों की जान से मारने की धमकियों के चलते जान बचाने को कनाडा में रहने लगी थी।
सरकार की तरफ से मुकदमा लड़ रहे वकील मोहजीब अवैस ने बताया कि आसिया बीबी नाम की उस महिला को दो साल पहले 2021 में गिरफ्तार किया गया था। उसके पड़ोसियों ने उस पर कुराने के पन्ने जलाने का आरोप लगाया था। लेकिन अवैस के अनुसार आसिया ने अपने पर लगे इस आरोप से अदालत में इनकार किया था। इसलिए अदालत ने सजा सुनाने के साथ ही उसे इस संबंध में आगे अपील करने का हक दिया है।
इसी तरह करीब 8 साल पहले इसी नाम की एक ईसाई महिला को भी ईशनिंदा कानून के तहत पकड़ा गया था। तब उसे मौत की सजा दी गई थी। लेकिन वह मामला आगे की अदालतों में चलता रहा और आखिरकार साल 2019 में उसे रिहा की दिया गया। वह महिला रिहा होने के बाद कट्टर मजहबी तत्वों की जान से मारने की धमकियों के चलते जान बचाने को कनाडा में रहने लगी थी।
पाकिस्तान और विदेशों के कई मानवाधिकार गुटों का साफ मानना है कि पाकिस्तान में विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों को ‘मजा चखाने’ की गरज से ईशनिंदा कानून को दुरुपयोग होता आ रहा है। पंजाब सूबे के गुजरांवाला शहर की एक अदालत ने इसी महीने दो अलग-अलग केस में पैगंबर मुहम्मद का ‘अपमान’ करने के दोषी 22 साल के एक छात्र को मौत की सजा दी है। इसी तरह एक अन्य मामले में एक किशोर लड़के को उम्रकैद की सजा दी गई है।
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