रोहिंग्या मुसलमानों पर केंद्र सरकार अपने पहले के रुख पर कायम है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में बसने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार ने यह भी कहा है कि भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने कहा है कि रोहिंग्याओं के भारत में अवैध प्रवास से सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे में उन्हें देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में हलफनामा दाखिल कर एक बार फिर रोहिंग्या मुसलमानों पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील दोहराई। केंद्र ने कहा कि यह सरकार और संसद का नीतिगत मामला है। सरकार ने कहा कि यह अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है। केंद्र ने कोर्ट से कहा कि रोहिंग्या मुसलमानों के मामले में सरकार पूरी तरह से स्पष्ट है कि रोहिंग्याओं को भारत में रहने या बसने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए सरकार संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत क्षेत्र में नहीं जा सकती है। सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का जिक्र है। इसमें सरकार ने कहा है कि विदेशियों को सिर्फ अनुच्छेद 21 के तहत आजादी का अधिकार है और उन्हें भारत में बसने का अधिकार नहीं है।
सरकार का कहना है कि अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों से विदेशी अधिनियम (फॉरेनर्स एक्ट) के प्रावधानों के तहत निपटा जाएगा।
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