चीन ने नेपाल के लुम्बिनी में गौतम बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का प्रस्ताव देने दिया है। काठमांडू स्थित चाइना के दूतावास ने नेपाल के संस्कृति तथा पर्यटन मंत्रालय को यह प्रस्ताव भेजा है। जानकारी के अनुसार लुम्बिनी समेत पूरे नेपाल में आपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन के तरफ से इस तरह का प्रस्ताव दिया गया है।
लुम्बिनी विकास कोष के सदस्य सचिव ल्हारकार लामा के अनुसार- चीन सरकार लुम्बिनी में विश्व की सबसे ऊंची बुद्ध की प्रतिमा निर्माण करने का प्रस्ताव लेकर आई है। इस समय चीन में ही बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसकी ऊंचाई 128 मीटर है। लामा ने बताया कि लुम्बिनी में 130 मीटर ऊंची बुद्ध की प्रतिमा बनाने का प्रस्ताव किया गया है। चीन की इस प्रतिमा के निर्माण पर 50 मिलियन डॉलर खर्च करने की योजना है।
बता दें की विस्तारवादी चीन अपनी नई चाल से नेपाल को भारत के बुद्ध सर्किट से अलग करने के लिए यह योजना ला रहा है। इसके साथ ही इस योजना से चीन भारत के लुम्बिनी में बनाए जा रहे सांस्कृतिक केन्द्र को टक्कर देने का प्रयास करेगा। चालाक चीन लुम्बिनी को केन्द्र बनाकर भारत सहित पश्चिम देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों में दरार लाने का षड्यंत्र रच रहा है ।
चीन की तरफ से दिए गए प्रस्ताव में कहा गया है इस प्रतिमा के निर्माण का सम्पूर्ण खर्च चीन के पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय, सिचुआन की प्रोंसियल गवर्नमेंट के तरफ से किया जाएगा। जिसके बदले में नेपाल सरकार से सैकडों बीघा जमीन प्रोजेक्ट के लिए देनी होगी, जिसमें चीनी कंपनियों द्वारा होटल, रेस्टोरेंट, कैसिनो और रिक्रिएशन सेंटर खोलने की बात कही गई है।
तिब्बत, नेपाल, भारत के अलावा भूटान को भी बनाया है निशाना
बता दें कि विस्तारवादी चीन की पड़ोसी देशों की जमीन कब्जाने की भूख लगातार बढ़ती जा रही है। तिब्बत, नेपाल, भारत के अलावा उसकी नजर भूटान को भी अधिक से अधिक निगल जाने की है। दरअसल कम्युनिस्ट ड्रैगन ने भूटान के कई इलाके कब्जाए हुए हैं। जिसका हैरतअंगेज खुलासा ब्रिटेन के थिंक टैंक चैथम हाउस ने किया है।
ब्रिटिश थिंक टैंक चैथम हाउस का कहना है कि हिमालयी देश की राजधानी थिम्पू तथा बीजिंग के मध्य सीमा को लेकर कोई भी समझौता हो या द्विपक्षीय कूटनीति संबंध, पड़ोसी भारत को उस पर गंभीर नजर रखनी होगी क्योंकि ये विषय उसकी चिंताओं में से एक है।
दरअसल भूटान भारत और चीन के बीच एक ‘बफर जोन’ जैसा रहा है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण जकारलुंग वैली के ताजा उपग्रह चित्र वहां नई बन रही चीन की बस्ती दिखाते हैं। चित्रों से ही पता चला है कि चीन ने उस इलाके में सड़कों का एक संजाल भी खड़ा कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये दोनों ही गतिविधियां भारत के ध्यान में हैं।
चीन-भूटान सीमा के जानकारों को मानना है कि चीनी उस इलाके में नए निर्माणों पर काफी पैसा झोंक रहे हैं। वहां मेनचुमा वैली में भी चीन ने कई इमारतें खड़ी कर ली हैं। यह वही मेनचुमा वैली है जो साल 2021 में कुछ वक्त के लिए चीन के शिकंजे में थी। लेकिन फिर इस पर द्विपक्षीय चर्चा हुई। इस इलाके में फिलहाल दोनों ही देशों की फौजें मोर्चे संभाले हुए हैं।
भारत के खिलाफ नेपाल को हथियार बनाना चाहता है चीन
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से चीन नेपाल में विशेष रुचि दिखा रहा है। वह नेपाल में निवेश बढ़ा रहा है। उसने वहां पन बिजली योजनाओं में भी निवेश किया है। इसके अलावा चीन नेपाल में चीनी भाषा और संस्कृति के केंद्र भी खोला है।
दरअसल चीन चाहता है कि नेपाल की निर्भरता भारत पर न होकर उस पर रहे और वह नेपाल के जरिए दक्षिणी एशिया में अपना व्यवसाय बढ़ा सके। इसके अलावा चीन की मंशा सदैव से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की रही है। यदि भारत और नेपाल संबंधों की बात करें तो दोनों देशों के पुराने और गहरे संबंध हैं।
पड़ोसी धर्म निभाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुले दिल से नेपाल की सहायता करने का वादा किया और उसे निभाया भी। अप्रैल 2015 में नेपाल में भूकंप आया तो दुनिया जानती है कि वहां मदद पहुंचाने में भारत सबसे आगे रहा।
वहीं चीन जो हमेशा से भारतीय सीमा में घुसपैठ करता रहा है वह अपनी मंशा पूरी करने के लिए नेपाल में पैर जमाना चाहता है ताकि नेपाल में पैर जमाकर वह आसानी से भारत पर दबदबा बढ़ा सके।
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