ग्लोबल वॉर्मिंग का असर देखने को मिलने लगा है। एक तरफ जहां तापमान में बढ़ोतरी हो रही है तो दूसरी ओर इसके कारण जलवायु परिवर्तन भी हो रहा है। इसका पर्यावरण में हो रहे इन बदलावों से धरती भी अछूती नहीं है। इसका असर आइसलैंड में देखने को मिल रहा है। जहां, बीते चार माह में चार बार ज्वालामुखी विस्फोट हुआ है। इससे धरती में 2.9 किलोमीटर लंबी दरार बन गई है।
ये ज्वालामुखी विस्फोट आईसलैंड के रेक्जेन्स प्रायद्वीप पर हुआ है। आइसलैंड के मौसम कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा, “रेक्जेन्स प्रायद्वीप पर स्टोरा स्कोगफेल और हागाफेल के बीच ये विस्फोट हुआ है।” इसका वीडियो भी जारी किया गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि धरती को चीर कर लाल चमकता लावा चारों तरफ फैल रहा है। ज्वालामुखी फटने के बाद आइसलैंड में इमरजेंसी घोषित कर दिया गया है।
आईएमओ के अनुसार, यह 8 फरवरी को हुए पिछले विस्फोट वाली जगह के करीब ही हुआ। लावा मछली पकड़ने वाले गांव ग्रिंडाविक की सुरक्षा के लिए बनाए गए बांधों की ओर दक्षिण की ओर बहता हुआ दिखाई दिया। प्रशासन का कहना है कि धरती के गर्भ में मैग्मा जमा हो रहा है था, जो कि संभवत: इस धमाके के साथ खत्म हो गया।
इसे भी पढ़ें: UNGA में इस्लामोफोबिया का प्रस्ताव लाकर पाकिस्तान ने राम मंदिर और CAA का किया जिक्र, भारत ने धो डाला
इस बीच कई लोग अपना घर बेचकर दूसरी जगहों पर पलायन करने लगे हैं। शुक्रवार को ही 300 से अधिक लोगों ने स्टेट गवर्नमेंट को अपना घर बेचने का अनुरोध किया।
आइसलैंड में 33 सक्रिय ज्वालामुखी
गौरतलब है कि आइसलैंड में कुल 33 ज्वालामुखी सक्रिय हैं, जो कि यूरोप में सबसे अधिक है। आइसलैंड की ज्वालामुखी मध्य-अटलांटिक रिज तक फैला हुआ है, जो यूरेशियन और उत्तरी अमेरिकी टेक्टोनिक प्लेटों को अलग करने वाले समुद्र तल में एक दरार है। हालांकि, मार्च 2021 तक बीते 8 सदियों से इनमें विस्फोट नहीं हुआ था। लेकिन अब एक बार फिर से इसमें धमाके होने शुरू हो गए हैं।
टिप्पणियाँ