देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने 2027 तक देहरादून और अन्य शहरों से डीजल वाहन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। डीजल वाहन और वो भी पुराने डीजल वाहनों के इंजन से सबसे अधिक प्रदूषण होता है। सरकार ने देहरादून में चलने वाले विक्रम और सिटी बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक वाहन चलाने के लिए नीति बनाई है, इसके लिए कीमत की आधी सब्सिडी दिए जाने का प्रस्ताव भी पास किया गया है।
परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने बताया कि प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए राज्य सरकार कई उपाय करने का रही है। राज्य में बाहर से आने वाले डीजल वाहनों से फास्टैग के माध्यम से ग्रीन सेस वसूला जाएगा और इसके लिए शीघ्र ही राष्ट्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से करार होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य में डीजल वाहनों से पंजीकरण के समय ही ग्रीन सेस ले लिया जाता है। बाहर से आने वाले डीजल वाहनों से वसूले सेस की रकम को इलेक्ट्रिक और सीएनजी वाहनों को चलन में लाने और उन्हें बढ़ावा देने में इस्तेमाल किया जाएगा।
उल्लेखनीय है दिल्ली से बाहर किए दस साल पुराने डीजल वाहन बड़ी संख्या में यूपी-उत्तराखंड में चल रहे हैं। इसके अलावा चारधाम यात्रा में बढ़ते डीजल वाहनों की संख्या से सरकार चिंतित है। जिस पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार भविष्य में हिमालय क्षेत्र में पुराने डीजल वाहनों के चलने पर रोक लगा सकती है। ताकि हिमालय क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। सरकार फिलहाल चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहनों के लिए प्रदूषण जांच को सख्ती से लागू करने जा रही है। साथ ही पहाड़ी मार्गों पर चार्जिंग स्टेशन और सीएनजी पंप की उपलब्धता बढ़ाने जा रही है।
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