देहरादून । चुनाव से पूर्व धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, शासन में सचिव शैलेश बगौली ने कैबिनेट निर्णय की जानकारी दी। परिवहन विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति 2024 को मंजूरी मिली है। देहरादून में चलेगा पायलट प्रोजेक्ट। सिटी बस एवं विक्रम संचालकों को पर्यावरण फ्रेंडली इलेक्ट्रिक व सीएनजी वाहनों को क्रय करने के लिए सब्सिडी इत्यादि के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।
कैबिनेट के निर्णय
- उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा नियमावली को मंजूरी
- कार्मिक विभाग के अंतर्गत ज्येष्ठता नियमावली में संशोधन को मंजूरी। एक चयन के स्थान पर एक चयन वर्ष को मंजूरी
- वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी। इको टूरिज्म आदि को दिया जाएगा बढ़ावा
- शहरी विकास विभाग के अंतर्गत हरिद्वार में यूनिटी मॉल के निर्माण को 0.9 हेक्टेयर भूमि हरिद्वार विकास प्राधिकरण को होगी हस्तांतरित
- न्याय विभाग के अंतर्गत बागेश्वर, चंपावत, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में कुटुंब न्यायालयों में 18 पदों को मंजूरी
- न्याय विभाग के अंतर्गत देहरादून, हरिद्वार व रुड़की में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना होगी। 9 पदों को मंजूरी
- आदि कैलाश पैदल यात्रा को प्रोत्साहित किए जाने तथा इस क्षेत्र में होम स्टे को बढ़ावा दिए जाने का लिया गया निर्णय
- परिवहन विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति 2024 को मिली मंजूरी। देहरादून में चलेगा पायलट प्रोजेक्ट। सिटी बस एवं विक्रम संचालकों को पर्यावरण फ्रेंडली इलेक्ट्रिक व सीएनजी वाहनों को क्रय करने के लिए सब्सिडी इत्यादि के माध्यम से किया जाएगा प्रोत्साहित।
- उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा नियमावली को मंजूरी
- कार्मिक विभाग के अंतर्गत ज्येष्ठता नियमावली में संशोधन को मंजूरी। एक चयन के स्थान पर एक चयन वर्ष को मंजूरी
- वन पंचायत संशोधन नियमावली को मंजूरी। इको टूरिज्म आदि को दिया जाएगा बढ़ावा
- शहरी विकास विभाग के अंतर्गत हरिद्वार में यूनिटी मॉल के निर्माण को 0.9 हेक्टेयर भूमि हरिद्वार विकास प्राधिकरण को होगी हस्तांतरित
- न्याय विभाग के अंतर्गत बागेश्वर, चंपावत, चमोली, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में कुटुंब न्यायालयों में 18 पदों को मंजूरी
- न्याय विभाग के अंतर्गत देहरादून, हरिद्वार व रुड़की में पारिवारिक न्यायालयों की स्थापना होगी। 9 पदों को मंजूरी
उत्तराखंड वन पंचायत नीति को मिली मंजूरी
उत्तराखंड, भारत का एकमात्र राज्य है जहां वन पंचायत है। ये एक ऐतिहासिक सामुदायिक वन प्रबंधन संस्था है, जोकि 1930 से संचालित हो रही है। 11217 वन पंचायतों के पास 4.52 लाख हैक्टेयर वन है। नये नियम के अनुसार 9 सदस्यों की वन पंचायत बनाई जाएगी, इसमें एक सदस्य ग्राम प्रधान द्वारा और एक सदस्य जैवविविधता प्रबंधन समिति द्वारा नामित किया जायेगा। ऐसी वन पंचायतें जो नगर निकाय क्षेत्र में आती है वहां नगर निकाय प्रशासन द्वारा एक सदस्य को वन पंचायत में नामित किया जायेगा। धामी सरकार द्वारा पहली बार त्रिस्तरीय स्थानीय निकायों को वन पंचायत के वन प्रबंधन से जोड़ा गया है। वन पंचायतें अपने अपने क्षेत्रों में जड़ी-बूटी उत्पादन, वृक्ष रोपण, जल संचय, वन अग्नि रोकथाम, इको टूरिज्म में भागीदारी करेंगी, इससे वन पंचायतों की आय में अभूतपूर्व वृद्धि होने की संभावना है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के विजन पर वन पंचायतों की नियमावली में करीब 12 साल बाद संशोधन किया गया है।
धामी सरकार द्वारा वन पंचायतों को मजबूत करने के लिए उन्हें गैर प्रकाष्ठीय वन उपज जैसे फूल पत्ती जड़ी-बूटी , झूला घास आदि के रवन्ने/अभिवहन पास जारी करने का अधिकार दिया गया है, इससे प्राप्त शुल्क को भी वन पंचायतों के बैंक खाते में जमा करने का अधिकार दिया गया है। वन पंचायतों को वन अपराध करने वालों को से जुर्माना वसूलने जाने का अधिकार भी पहली बार धामी सरकार द्वारा दिया जा रहा है। वन पंचायतों को सीएसआर फंड अथवा अन्य स्रोतों से मिली धनराशि को उनके बैंक खाते में जमा करने का अधिकार दिए जाने की भी व्यवस्था नये नियमावली में की गई है । जिससे वन पंचायतों की आर्थिक स्तिथि को मजबूत किया जा सकेगा।
धामी सरकार द्वारा वन पंचायतों के अधिकार बढ़ाये गये हैं व इनके साथ वन पंचायत पदाधिकारियों की कर्तव्यों को भी निर्धारित किया गया है। जिसके तहत हरेक की जिम्मेदारी तय की गई है। वन पंचायतों के वनों में कूड़ा निस्तारण को भी प्राथमिकता में रखा गया है।
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