उत्तरखंड में ‘समान नागरिक संहिता बिल’ को राष्ट्रपति की मजूरी मिलने के बाद भी उत्तराखंड में इसे लागू करने में तीन माह का समय लग सकता है। इस बिल को कानून व्यवस्था के रूप में कैसे लागू किया जाए, इस पर अभी मंथन चल रहा है।
विधानसभा से समान नागरिक संहिता का बिल पास होते ही राज्य की धामी सरकार ने इसके इंप्लीमेंट के लिए पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बना दी थी। इस समिति में यूसीसी के तीन सदस्य मनु गौड़, सुरेखा डंगवाल और शत्रुघ्न सिंह के अलावा दो और सदस्य शामिल हैं। समिति एक बैठक हो चुकी है, समिति द्वारा सरकार को समान नागरिक संहिता कानून का अनुपालन कैसे होगा? ये राय देनी है। समिति ने पहले ही कह दिया है कि ये कानून व्यवस्था जनता को सुविधाएं देने के लिए है न कि उन्हें पेचीदा बनाने के लिए। इसलिए इसे सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा।
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समिति द्वारा सरकार को अगले कुछ हफ्तों में रिपोर्ट दी जाएगी, उसके बाद दी गई सिफारिशों के आधार पर ही इस अनुपालन कराया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार उत्तराखंड समान नागरिक संहिता कानून व्यवस्था को अगले तीन महीनो में यानि लोकसभा चुनाव के उपरांत लागू कर देगी।
हालांकि, राष्ट्रपति की अनुमति के तुरंत बाद इसे लागू माना जाता है, उत्तराखंड सरकार ने इसका गजट जारी भी किया है किंतु उसका अभी पहला पृष्ठ ही जारी किया है, संभव है कि बाद में एक बार फिर से राजपत्र आज्ञा जारी की जाएगी, जब सरकार इसे लागू करेगी। जिसके लिए फिलहाल इंतजार किया जा रहा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी के लागू करने के प्रावधानों को लेकर बनाई गई उच्च सत्रीय समिति की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद इसे राज्य में लागू कर दिया जाएगा।
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