केंद्र ने सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) 2019 के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही देशभर में CAA कानून लागू हो गया है। CAA को नागरिकता संशोधन कानून के नाम से जाना जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेजों के आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो गया है। आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2014 तक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। आइए जानते हैं CAA कानून से जुड़ी कुछ अहम बातें।
- नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 ऐसा कानून है जिसके तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए छह धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 मार्च 2024 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 की अधिसूचना जारी कर दी है।
- भारतीय नागरिकता केवल उन्हीं लोगों को मिलेगी जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में शरण ली थी। केवल इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे।
- CAA नियमों का उद्देश्य हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था। इसके बाद CAA कानून को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी, हालांकि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद देश के विभिन्न राज्यों में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए।
- भारतीय नागरिकों को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 से कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है, CAA कानून भारतीय नागरिकता नहीं छीन सकता।
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