नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के नोटिफिकेशन का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के खिलाफ इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने याचिका दायर कर नोटिफिकेशन के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है।
आईयूएमएल ने याचिका में कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून असंवैधानिक और मुसलमानों के खिलाफ है। ये कानून भेदभाव पूर्ण है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसी नोटिफिकेशन को आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
ये कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को संरक्षण देता है। इससे भारत के मुसलमानों का कोई अहित नहीं होगा। इस कानून का भारत के मुसलमानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, इसके बावजूद इस कानून को लेकर भ्रांति फैलाई जा रही है।
सीएए नागरिकता छीनने का नहीं, नागरिकता देने का कानून है
नागरिकता संशोधन कानून देश में लागू हो गया है। गृहमंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कि मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया। ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को हमारे देश में नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम बनाएंगे। इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं, नागरिकता देने का कानून है। संकल्प से सिद्धि तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी एक और गारंटी पूरी कर दी है।
विश्व हिन्दू परिषद ने फैसले का स्वागत किया
विश्व हिन्दू परिषद ने भी फैसले का स्वागत किया है। सरकार का धन्यवाद देते हुए विहिप ने कहा है कि इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित शरणार्थियों के लिए भारत की नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता अब साफ हो गया है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वे भारत में सम्मान के साथ और समान व्यक्ति के रूप में रहें।
(इनपुट सिंडिकेट फीड)
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