कर्नाटक में जल संकट शुरू हो गया है। इसका असर ये हो रहा है कि कर्नाटक जलापूर्ति और सीवरेज बोर्ड ने बड़ा कदम उठाते हुए कार धोने, बागवानी और निर्माण व रखरखाव के लिए पीने के पानी के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही बोर्ड ने उल्लंघन के लिए 5000 रुपए का जुर्माना लगाने का भी ऐलान किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरू में पानी का संकट काफी ज्यादा है। कई इलाकों में बोरवेल सूख चुके गए, जलस्तर काफी नीचे गिर चुका है। रोजमर्रा की जिंदगी में पीने के पानी और दैनिक कार्यों के लिए निजी टैंकरों पर लोगों को निर्भर रहना पड़ रहा है। ऐसे में टैंकर वाले उनसे दोगुने दाम वसूल रहे हैं। इस बीच गुरुवार को जिल प्रशासन ने निजी टैंकरों के लिए 200 रुपए का रेट तय कर दिया है।
गौरतलब है कि बेंगलुरू की लगभग 60 फीसदी आबादी टैंकरों के पानी पर ही निर्भर है। पता चला है कि जिले में कुछ जगहों पर 12000 लीटर पानी के लिए 1800 से 2000 रुपए के बीच चार्ज किया जा रहा है, जिसको लेकर लोगों ने शिकायत की थी। इसके बाद प्रशासन ने मामले में कार्रवाई की। राज्य के सीएम सिद्धारमैया ने खुद अकाल की पुष्टि करते हुए कहा है कि प्रदेश की 136 तालुका में से 1263 तालुका सूखाग्रस्त हैं। इनमें से 109 तहसीलों की स्थिति तो बहुत ही बुरी है।
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क्या हैं रेट
बेंगलुरू में 5 किलोमीटर के भीतर की दूरी के लिए 6000 लीटर पानी के टैंकरों की कीमत 600 है, 8000-12000 लीटर पानी के लिए 700-1000 रुपए निर्धारित है। इसके अलावा 5 किलोमीटर से अधिक और 10 किमी से अंदर की दूरी के 6000 लीटर पानी के लिए 750 रुपए, 8,000-लीटर और 12,000-लीटर के टैंकर के लिए क्रमशः 850 रुपए और 1,200 रुपए का रेट तय किया गया है।
विशेषज्ञों की चेतावनी को सरकार ने नजरअंदाज किया
इस बीच बेंगलुरू के हालात को लेकर भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने विशेषज्ञों की चेतावनी को नजरअंदाज करने का आरोप सिद्धारमैया सरकार पर लगाया है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों ने सरकार को चेतावनी दी थी कि मानसून इस बार धोखा देगा, फिर भी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार टैंकरों पर कब्ज़ा करने का प्रयास कर रही है।
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