लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों की जांच एसआईटी से कराई जा रही थी। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दी है। जांच में करीब 13 हजार मदरसों को अवैध पाया गया है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद मदरसा बोर्ड इन सभी अवैध मदरसों को बंद करने पर विचार कर रहा है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में अवैध पाए गए ज्यादातर मदरसे भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित हैं। यह भी कहा जा रहा है कि इन अवैध मदरसों का निर्माण गत दो दशकों में खाड़ी देशों से मिले फंड से किया गया है।
ज्यादातर अवैध मदरसों का निर्माण भारत और नेपाल सीमा से सटे जनपद – बहराइच, श्रावस्ती और महराजगंज- में हुआ है। जांच में मदरसों के संचालक आय और व्यय का विवरण नहीं दे सके। यह भी आशंका है कि हवाला के जरिए खाड़ी देशों से धनराशि भेजी जा रही थी। इस धनराशि का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया जा रहा था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 के नवंबर माह में उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के मदरसों का सर्वे किया गया था। उस समय कुल 8,496 गैर मान्यता प्राप्त मदरसे मिले थे। मदरसों में छात्र-छात्राओं की स्थिति के बारे में सर्वे किया गया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अपेक्षा के अनुसार सर्वे में देखा गया था कि मदरसों में बुनियादी सुविधा उपलब्ध है या नहीं। प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में पाठ्यक्रम को भी खंगाला गया था। मदरसा का संचालन करने वाले का नाम, मदरसा निजी भवन में चल रहा है या किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है, मदरसे में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या कितनी है, पेयजल, कुर्सी – मेज, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था का भी सर्वे किया गया। मदरसे में शिक्षकों की संख्या और किस स्रोत से मदरसे में आय हो रही है। इस बिंदु पर भी सर्वे किया गया।
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने उस समय कहा था कि सरकार की मंशा है कि अल्पसंख्यक बच्चे भी बेहतर शिक्षा ग्रहण करें। उन बच्चों को आधुनिक शिक्षा दी जाएगी। अब भी काफी मदरसों में विदेशों से फंडिंग की जाती है। अल्पसंख्यक बच्चों की गरीबी का लाभ उठाकर उन लोगों को बाहर ले जाया जाता है। संदिग्ध गतिविधियों में बच्चों को लगा दिया जाता है।
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