धारचूला । सीमांत शहर धारचूला में इन दिनों व्यापारी, स्थानीय जनता सड़कों पर निकल कर आंदोलन कर रही है। लोगों का आरोप है कि बाहर से आए मुस्लिम लोग इस जनजाति बाहुल्य नगर में अशांति फैला रहे हैं। इन्हें यहां से बाहर किया जाना चाहिए।
दरअसल कुछ हफ्ते पहले एक मुस्लिम नाई द्वारा यहां से दो नाबालिग लड़कियों को बहलाकर बरेली ले जाने की घटना के विरोध में जन आक्रोश पनपा। जिसने अब जनआंदोलन का रूप ले लिया है। तमाम संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोगों ने एक स्वर से सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर बाहरी व्यापारियों को 15 दिन में धारचूला जौलजीवी क्षेत्र से बाहर करने की मांग उठाई है।
जन आंदोलन की वजह से धारचूला बाजार दिनभर बंद रहा जिसका असर नेपाल के दार्चुला बाजार पर भी देखा गया और वहां से भी इस घटना के विरोध में स्वर सुनाई दिए।
व्यापार संघ के महासचिव महेश सिंह गर्ब्याल और कोषाध्यक्ष खड़क सिंह दानू के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने गांधी चौक से जुलूस निकाला और विवेकानंद चौक, घटधार, मल्ली बाजार और अटल चौक से नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। गांधी चौक में हुई सभा में महासचिव गर्ब्याल ने कहा कि बाहर से आए लोग क्षेत्र में अराजकता फैला रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश पनप रहा है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड राज्य बनने के दौरान सीमांत नगर धारचूला तक इनरलाइन थी और वहां जाने के लिए जौलजीबी से परमिट लेना पड़ता था। इस प्रक्रिया से बाहर के लोग अपना कारोबार या पर्यटन करके एक समय सीमा के भीतर वापस चले जाते थे, ऐसा सीमांत सुरक्षा की दृष्टि से किया गया था। धारचूला से आगे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के निर्माण के दौरान इनरलाइन परमिट व्यवस्था को हटा कर छियालेक तक कर दिया गया। उसका दुष्परिणाम ये हुआ कि हाइड्रो पावर और सड़क प्रोजेक्ट के काम के लिए आए सैकड़ों मुस्लिम मजदूर ठेकदार यहां आकर सरकारी जमीनों पर बसते चले गए और उनकी व्यापारिक धार्मिक गतिविधियां भी स्थानीय जन जातीय समुदाय के लिए परेशानियां पैदा करने लगी हैं।
धारचूला से ही कैलाश आदि कैलाश ओम पर्वत, दारमा व्यास घाटी और धौली गंगा पावर प्रोजेक्ट के लिए रास्ता जाता है, तिब्बत और नेपाल से जुड़े इस सीमांत शहर में रं जनजाति के लोग अपने परंपरागत सांस्कृतिक तौर तरीकों से रहते आए हैं।
इनरलाइन हटने के बाद धारचूला में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी जबकि पहले यहां ये आबादी नही थी, हालात ये हो गए है कि यहां अब मस्जिद बना दी गई है। नाबालिग बच्चियों की घटना के बाद स्थानीय व्यापार संघ ने बाहर से आए 197 व्यापारियों को चिह्नित कर लिया गया है जिनको वापस भेजने के लिए आंदोलन शुरू किया है।
स्थानीय लोगों ने एसडीएम मंजीत सिंह से मुलाकात कर व्यापार संघ की ओर से चिह्नित किए गए बाहर के व्यापारियों को 15 दिन में क्षेत्र से बाहर करने की मांग रखते हुए एक ज्ञापन भी दिया है।। एसडीएम ने लोगों से शांति सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा की वैधानिक ढंग से स्थानीय लोगों की चिंता का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।
लोगों में आक्रोश, प्रशासन भी एक्शन में
एसडीएम मंजीत सिंह ने बताया कि जिले भर से बुलाई पुलिस टीम ने शांति व्यवस्था के लिए नगर में फ्लैग मार्च निकाला है। पुलिस ने लाउडस्पीकर द्वारा लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। इस दौरान चार पुलिस निरीक्षक और एसएसबी के 100 से अधिक जवान तैनात रहे।
स्थानीय कांग्रेस विधायक के खिलाफ गुस्सा
धारचूला के स्थानीय लोगों में विधायक हरीश धामी के खिलाफ गुस्सा है। बीजेपी के कार्यकर्ता भी विधायक पर मुस्लिम लोगों की अवैध बसावट कराने के आरोप लगाते हैं। आरोप है कि विधायक ही मुस्लिम वोटबैंक की लालच में उन्हें संरक्षण देते रहे हैं।
क्षेत्र के ब्लॉक प्रमुख धन सिंह धामी का कहना है कि यह आंदोलन किसी जाति, धर्म या व्यक्ति के खिलाफ नहीं है। क्षेत्र में सांस्कृतिक, व्यापारिक तौर पर तेजी से बदलाव हो रहा है जो सीमांत के स्थानीय लोगों में भविष्य को लेकर चिंता पैदा कर रहा है।
भाजपा नेता महेंद्र सिंह बुदियाल ने कहा कि सीमांत क्षेत्र में स्थानीय लोगों का व्यापार पूरी तरह से चौपट हो चुका है। बाहर से आए व्यापारियों ने पगड़ी प्रथा को भी बढ़ावा दिया है। इससे स्थानीय गरीब व्यक्ति के लिए दुकान तक लेना मुश्किल हो गया है। वीरेंद्र सिंह, अर्चना गुंज्याल और शकुंतला आगरी ने भी बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की।
बीजेपी के जिला उपाध्यक्ष महेंद्र बुदियाल ने कहा कि व्यापार संघ की ओर से वर्ष 2000 के बाद बाहर से आए व्यापारियों को हटाने को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है। लेकिन स्थानीय विधायक वोट बैंक की लालच में बीजेपी कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से यहां जनसंख्या असंतुलन की समस्या पैदा हो रही है, जिसकी वजह से हमारी सांस्कृतिक विरासत को खतरा हो गया है।
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