अजमेर । 6 दिसम्बर, 1993 को हुए धमाकों के मामले में अब्दुल करीम टुंडा को अजमेर की एक TADA कोर्ट ने बरी कर दिया है। इस दौरान कोर्ट ने उसके खिलाफ पर्याप्त सबूत ना होने की बात कही है। वह वर्तमान में अपने खिलाफ चल रहे अन्य मामलों में सजा काट रहा है।
टुंडा पर 5-6 दिसम्बर, 1993 यानी बाबरी मस्जिद विध्वंस के एक वर्ष पूरे होने पर कोटा, लखनऊ, मुंबई, कानपुर, हैदराबाद और सूरत की ट्रेनों में सीरियल धमाके करने का आरोप था। जिस पर अजमेर के स्पेशल टाडा कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए बरी करते हुए उसके अन्य साथियों इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।
टुंडा की ओर से पैरवी शफकत सुल्तानी ने की थी। अदालत के बाहर मीडियाकर्मियों से बातचीत में वकील सुल्तानी ने कहा कि मामले में सीबीआई ने अब्दुल करीम टुंडा को सिलसिलेवार बम धमाकों का मास्टर माइंड और मुख्य आरोपित बताया था। सीबीआई के वकील ने अदालत में हर बार कहा कि टुंडा ने ही अपने साथियों को बम बनाना सिखाया। उससे प्रेरित होकर देशभर में सिलसिलेवार बम धमाके किए गए, लेकिन न्यायालय ने आरोपित टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया। अदालत ने 27 फरवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला 29 फरवरी के लिए सुरक्षित रखा था।
बता दें कि अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस की बरसी पर सिलसिलेवार बम धमाके किए गए थे। इस मामले में अजमेर के टाडा कोर्ट में सुनवाई हुई। आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान अहमद, हमीदुद्दीन पर लगे आरोपों पर कोर्ट में आखिरी बहस पूरी हो गई। टाडा कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाने के लिए 29 फरवरी की तारीख तय की थी। गुरुवार को आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया। जिसके बाद फैसला सुनाया गया
अयोध्या में 06 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने की बरसी पर देश भर में सिलसिलेवार बम विस्फोट करने के तीन आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान और हमीमुद्दीन जेल में बंद हैं। टुंडा की ओर से पैरवी शफकत सुल्तानी, इरफान व हमीदुदीन की ओर से एडवोकेट अब्दुल रशीद, सीबीआई की ओर से भवानी सिंह रोहिल्ला व राज्य सरकार की ओर से बृजेश पांडे ने पैरवी की।
कौन है अब्दुल करीम टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा होम्योपैथिक दवाई से लेकर कबाड़ बेचने और कपड़े बेचने तक धंधा कर चुका है। बताया जाता है कि 1980 के बाद वह आतंकी सगठनों के सम्पर्क में आया। टुंडा 1993 में पाकिस्तान में ISI की ट्रेनिंग लेने भी जा चुका है। इससे पहले भी टुंडा को कई मामलों में बरी किया जा चुका है। हालाँकि, उसे 2017 में सोनीपत की एक अदालत ने एक धमाके के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
बता दें कि वर्तमान में टुंडा की उम्र 80 साल है और वह गाजियाबाद के पिलखुवा का रहने वाला है। वह वर्तमान में गाजियाबाद जेल में सजा काट रहा है। उसके नाम के पीछे की भी एक कहानी है। उसका असल नाम सैयद अब्दुल करीम टुंडा है। बताया जाता है कि एक बार बम बनाते हुए बम उसके हाथ पर ही ब्लास्ट कर गया जिसके बाद उसका हाथ धमाके में उड़ गया था और वह एक हाथ का ही रह गया। इसके बाद उसका नाम टुंडा ही पड़ गया और वह इसी नाम से जाना जाने लगा।
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