संदेशखाली के विलेन ममता बनर्जी के खास टीएमसी नेता शेख शाहजहां को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उसे बशीरहाट कोर्ट के लॉकअप में ले गई है। दक्षिण बंगाल के एडीजी सुप्रतिम सरकार ने कहा है कि उसे 5 जनवरी 2024 को ईडी के अधिकारियों पर हमले के मामले में गिरफ्तार किया गया है।
#WATCH | West Bengal | TMC leader Sheikh Shahjahan brought to Basirhat Court lockup after his arrest.
ADG (South Bengal) Supratim Sarkar said that he has been arrested in a case which happened on 5th January 2024 where ED officers were assaulted during the course of raid they… pic.twitter.com/ItD5468T3s
— ANI (@ANI) February 29, 2024
समाचार एजेंसी एएनआई ने बशीरहाट कोर्ट के अंदर जाते वक्त शेख शाहजहां की वीडियो पोस्ट किया है। इसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि शेख शाहजहां आगे-आगे ऐसे चल रहा है, जैसे कि उसे पता है कि ये कार्रवाई और गिरफ्तारी उसके लिए बाएं हाथ का खेल है। उसने कमरे के अंदर दाखिल होने से पहले विक्ट्री का साइन भी दिखाया। इसको लेकर नेटिजन्स ने अपना गुस्सा व्यक्त किया है।
सोशल मीडिया यूजर डॉ गौरव कुमार ने वीडियो पर कमेंट करते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में शेख शाहजहाँ की कितनी ताकत है इसका पता स्थानीय अदालत में पेशी के दौरान उनके रुख को देखकर लगाया जा सकता है।”
द स्किन डॉक्टर नाम के यूजर ने टीएमसी नेता की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए कहा, “ये गिरफ्तारी कहां से लग रही है? ऐसा लगता है जैसे कोई बाहुबली नेता प्रकाश झा की फिल्म में अपने बॉडी गॉर्ड्स के साथ किसी सरकारी अधिकारी को धमकाने के लिए सरकारी दफ्तर में घुस रहा हो।”
इसी तरह से दर्शन पाठक नाम के यूजर कहते हैं कि शेख शाहजहां की बॉडी लैंग्वेज देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि उसने ही पुलिसवालों को ही गिरफ्तार किया है और लॉकअप में ले जा रहा है।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि शेख शाहजहां टीएमसी का जिला स्तर का नेता है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बहुत ही खास आदमी है। उस पर अपने साथियों के साथ मिलकर संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं के साथ गैंगरेप करने और उनकी जमीनों पर अवैध तरीके से जमीनों पर कब्जा करने का आरोप है। इस मामले में भाजपा ने बहुत ही जोरदार तरीके से प्रदर्शन किए हैं। भाजपा ही इस मामले को लेकर हाई कोर्ट तक गई, जिसके बाद कोर्ट को मामले में दखल देना पड़ा।
दरअसल, संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं के साथ हुई बर्बरता के मामले के सामने आने के बाद ममता सरकार ने वहां पर धारा 144 लगा दी। जब भाजपा नेताओं ने वहां जाकर पीड़ितों से मिलने की कोशिशें की तो पुलिस ने उन्हें संदेशखाली की पीड़ितों से मिलने ही नहीं दिया। ममता सरकार ने शुरुआत में इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए कहा कि ‘वहां पर कुछ हुआ ही नहीं है’। हालांकि, धारा 144 ने कथनी और करनी के बीच के अंतर को स्पष्ट कर दिया। बाद में भाजपा की केंद्रीय पर्यवेक्षकों की 6 सदस्यीय टीम भी संदेशखाली गई, लेकिन उन्हें भी नहीं मिलने दिया गया। इसके बाद भाजपा नो कोलकाता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर संदेशखाली जाने देने की इजाजत मांगी। बाद में कोर्ट की परमीशन से सुवेंदु अधिकारी समेत 5 भाजपा नेताओं ने पीड़ितों से मुलाकात की।
संदेशखाली की पीड़ितों से राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम भी मिली। सभी ने एक स्वर में पश्चिम बंगाल में ‘राष्ट्रपति शासन’ लगाने की मांग की।
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