नई दिल्ली। आयुष और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से किशोरियों में पोषण सुधार के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। यह मिशन उत्कर्ष के तहत पांच राज्यों के पांच जिलों में आयुर्वेद का उपयोग करने वाली किशोरियों के बीच एनीमिया नियंत्रण के लिए एक संयुक्त सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल है।
सोमवार को विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि दोनों मंत्रालयों को ‘एनीमिया मुक्त भारत’ बनाने के लिए अपने हाथों में कमान लेनी होगी । दोनों मंत्रालयों के बीच इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समझौता किया गया है। आज का दिन मानव जाति के कल्याण के लिए समर्पित है।
आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने लगभग 94 प्रतिशत पोषण सुधार के उद्देश्य से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह परियोजना पांच जिलों के लगभग 10,000 आंगनबाड़ी केंद्रों को कवर करेगी। पांच जिलों में जिला प्रशासनिक अधिकारी, सीडीपीओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस कार्यक्रम को सुचारू रूप से चलाने की सुविधा देनी है।
इस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अपने विचार साझा करते हुए आयुष के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर और आयुष के बीच साझेदारी इस बात का प्रमाण है कि आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा दुनिया भर के नागरिकों को लाभ पहुंचाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आईसीएमआर जैसे संस्थानों से साक्ष्य के आधार पर आयुष चिकित्सा को शुरू करने से एनीमिया से निपटने के लिए कम लागत में समाधान उपलब्ध कराए जाएंगे। 95,000 लाभार्थियों को कम लागत में वैश्विक स्तर पर चिकित्सा समूहों को अध्ययन और शोध करने के अवसर मिलेंगे।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि पहले चरण में दोनों मंत्रालयों ने संयुक्त रूप से कार्य करने का निर्णय लिया है। पांच राज्यों के पांच जिलों में 14 से 18 वर्ष की लड़कियों की शारीरिक स्थिति में सुधार लाने पर ध्यान दिया जाएगा जिसमें असम में धुबरी, छत्तीसगढ़ में बस्तर, झारखंड में पश्चिम सिंहभूम, महाराष्ट्र में गढ़चिरौली और राजस्थान में धौलपुर शामिल है। अभियान के पहले चरण के लिए पहचाने गए इन पांच जिलों में ज्यादातर जनजातीय आबादी शामिल है। इन पांच जिलों में प्रजनन आयु के अंतर्गत महिलाओं में रक्ताल्पता (एनीमिया) की स्थिति लगभग 69.5 प्रतिशत है।
किशोरावस्था में एनीमिया शारीरिक और मानसिक क्षमता को कम करता है और काम करने की क्षमता और बालिकाओं के शैक्षिक प्रदर्शन में एकाग्रता को कम करता है। इन समस्याओं के कारण लड़कियों में भविष्य में सुरक्षित मातृत्व के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो जाता है। भारत में चिकित्सा की पारंपरिक पद्धतियां प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था में स्वास्थ्य देखभाल का अभिन्न अंग हैं। हालांकि, देश के एनीमिया आधिकता क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करने वाले आयुष उपचारों को अभी तक सार्वजनिक स्वास्थ्य में पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है। सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (सीसीआरएएस) के पास इस क्षेत्र में अच्छे स्तर का परिणाम दे रहे हैं । क्लिनिकल ट्रायल करने के अलावा देश के 13 राज्यों के 323 स्वास्थ्य केंद्रों पर आयोजित आयुर्वेद के माध्यम से एनीमिया नियंत्रण पर राष्ट्रीय अभियान शुरू किए गए हैं ।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव इंदेवर पांडेय ने अपने भाषण में कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का एक प्राथमिक उद्देश्य बच्चों में कुपोषण की चुनौती से निपटना है। किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के लिए हम सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण योजना चला रहे हैं। इस योजना को देश भर में 13.97 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से लागू किया जा रहा है। 14 से 18 साल की लड़कियों पर ध्यान केंद्रित करना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि 18 साल बाद जब उनकी शादी हो जाती है तो वे भविष्य में स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं। आयुष के साथ हमने पोषण माह और पोषण पखवाड़ा के साथ 2.7 करोड़ आयुष आधारित गतिविधियां की हैं।
कार्यक्रम में अन्य गण्यमान्य व्यक्ति, प्रोफेसर रवि नारायण आचार्य, महानिदेशक – सीसीआरएएस, पुष्पा चौधरी, टीम लीड प्रजनन, मातृ, बाल और किशोर स्वास्थ्य डब्ल्यूएचओ, राजीव बहल, आईसीएमआर के महानिदेशक और अन्य महत्वपूर्ण हस्तियां सम्मिलित हुए।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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