देहरादून: कॉर्बेट सिटी रामनगर में कोसी नदी किनारे वन भूमि पर अवैध कब्जे करके बाहर से आए मुस्लिम परिवारों को बसाने का काम चल रहा है। इस मामले में राजनेताओं के संरक्षण का खेल भी सामने आया है।
रामनगर की कोसी नदी किनारे पुछड़ी बस्ती बसी हुई है। ये बस्ती पहले कोसी नदी में खनन का काम करने वाले श्रमिकों की झोपड़ बस्ती थी। जिसने अब पक्की बस्ती का रूप ले लिया है, जबकि ये नदी किनारे वन भूमि है।
इस वन भूमि को 50 रुपए के स्टांप पेपर पर खुर्दबुर्द कर ऊंची कीमतों पर बेचा जा रहा है। राम नगर की इस बस्ती का अब नया नाम रहमत नगर हो गया है। इस बस्ती में आधार कार्ड बनाने से लेकर वोटर कार्ड बनाने का खेल पिछले कुछ समय से चल रहा है।
यहां यूपी, बिहार से आए मुस्लिमों ने अपने ठिकाने बना लिए हैं और राम नगर की डेमोग्राफी ही बदल डाली है। उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन का ये एक नया उदाहरण है। जानकारी के मुताबिक वन भूमि पर अवैध रूप से कब्जाकर बसावट का खेल 2005 में शुरू हुआ था। जो अभी तक चल रहा है। जानकारी के मुताबिक यहां राजनीतिक कारणों से बिजली के कनेक्शन लगाए गए, फिलहाल नए कनेक्शन लगाए जाने पर रोक लगा दी गई है।
क्या कहता है वन विभाग
डीएफओ प्रकाश आर्य का कहना है कि यहां 1002 लोगों के अवैध कब्जे हैं जिन्हें अपनी भूमि के दस्तावेज दिखाने के लिए दो बार नोटिस दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि अवैध रूप से बसे लोग सरकारी जमीन से हट जाएं अन्यथा वन विभाग शीघ्र ही उन्हें हटाएगा।
नोडल अधिकारी का बयान
उत्तराखंड सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते का कहना है कि जो भूमि सरकारी है उस पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा लोग खुद ही अवैध कब्जा हटा लें अन्यथा शासन प्रशासन अपनी भूमि खाली करवाएगा। डॉ. धकाते ने बताया कि जिन लोगों ने अतिक्रमण करवाया या वनभूमि को खुर्दबुर्द किया उनकी पहचान भी की जा रही है। इन पर कड़ी धाराएं लगाकर उन्हें सबक सिखाया जाएगा।
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