असम सरकार सरकार ने यूसीसी कानून बनाने की तरफ की तरफ कदम बढ़ा दिया है। इसी क्रम में सरकार ने मुस्लिम विवाह कानून को खत्म कर दिया है। लेकिन इसी के साथ ही कथित लिबरल नेताओं ने कट्टरपंथी सोच दिखानी चालू कर दी है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा है कि कितने ही कानून बना लो मुसलमान केवल ‘शरिया और कुरान’ के ही हिसाब से चलेगा।
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समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एसटी हसन ने असम सरकार द्वारा असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने पर कहा, “इस मामले को इतना आगे क्यों बढ़ा रहे हो। मुसलमान शरीयत और कुरान का पालन करेंगे। वे (सरकार) जितना चाहें उतने अधिनियमों का मसौदा तैयार कर सकते हैं… हर धर्म के अपने रीति-रिवाज हैं। हजारों वर्षों से लोग उनका पालन कर रहे हैं। आगे भी उनका पालन किया जाता रहेगा।”
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की कैबिनेट ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए असम के 89 साल पुराने मुस्लिम विवाह अधिनियम को खत्म कर दिया था।
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इस बात की जानकारी खुद जयंत मल्ला बरुआ ने दी। उन्होंने कहा कि सीएम सरमा ने पहले ही प्रदेश में यूसीसी लागू करने की बात कही थी और इसी कदम के तहत हमने असम मुस्लिम विवाह, तलाक रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1935 को समाप्त कर दिया है। मंत्री ने कहा कि समान नागरिक संहिता की दिशा में आगे बढ़ते हुए कैबिनेट ने ये महसूस किया है कि मुस्लिम विवाह अधिनियमों को निरस्त करना जरूरी है, क्योंकि ये अंग्रेजों के शासनकाल से चला आ रहा है औऱ मौजूदा परिस्थितियों से मेल नहीं खाता है। इसका इस्तेमाल कम उम्र के लड़के और लड़कियों का निकाह करने के लिए किया जा रहा था।
वहीं इस फैसले को लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि इस कानून के रद्द होने से प्रदेश में बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर लगाम लगेगी। अब सरकार के इस फैसले के बाद खुद को मुस्लिमों का रहनुमा बताने वाले नेताओं और कथित कार्यकर्ताओं को राजनीति अपने हाथ से जाती दिख रही है तो वे कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने की कोशिशें कर रहे हैं।
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