नई दिल्ली । दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने न्यूज क्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती की न्यायिक हिरासत 15 मार्च तक बढ़ा दी है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मामले में चार्जशीट दाखिल करने के लिए 20 दिनों का समय और दे दिया है। एडिशनल सेशंस जज हरदीप कौर ने ये आदेश दिया।
आज दोनों की न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी, जिसके बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। इसके पहले कोर्ट ने 17 फरवरी को दोनों की न्यायिक हिरासत अवधि आज तक के लिए बढ़ाई थी। 29 जनवरी को कोर्ट ने दोनों की न्यायिक हिरासत 17 फरवरी तक के लिए बढ़ाई थी। 20 जनवरी को कोर्ट ने दोनों की न्यायिक हिरासत 29 जनवरी तक बढ़ाई थी। 22 दिसंबर, 2023 को कोर्ट ने दोनों को 20 जनवरी तक की न्यायिक हिरासत में भेजा था। 22 दिसंबर, 2023 को ही कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को न्यूज क्लिक के खिलाफ यूएपीए के तहत लगे आरोपों की जांच के लिए 60 दिनों का समय और दे दिया था। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इस मामले की जांच के लिए और समय की जरूरत है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जांच के लिए 90 दिन और दिए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने 9 जनवरी को अमित चक्रवर्ती को सरकारी गवाह बनने की अनुमति दे दी थी।
प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को दिल्ली पुलिस ने तीन अक्टूबर, 2023 को गिरफ्तार किया था। दोनों को न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी खबर के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। न्यूयॉर्क टाइम्स में खबर छपी थी कि न्यूज क्लिक को चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ाने के लिए पैसे मिले हैं। खबर के मुताबिक अमेरिकी मिलियनेर नेविली रॉय सिंघम ने न्यूज क्लिक को चीनी प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देने के लिए धन दिए।
तीन अक्टूबर, 2023 को इस मामले में कई पत्रकारों, यूट्यूबर्स और कार्टूनिस्ट के यहां छापा डाला गया था। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक न्यूज क्लिक को चलाने वाली कंपनी पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड ने देश को बदनाम करने के लिए पेड न्यूज के जरिये विदेशों से धन हासिल किया।
जानिए क्या है UAPA एक्ट
संसद ने 1967 में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) को बनाया था। हालांकि, 2004, 2008, 2012 और 2019 में कानून में बदलाव किए गए। लेकिन 2019 के संशोधन में इसमें कठोर प्रावधान जोड़े गए, इसे आतंकवाद के खिलाफ, देश की एकजुटता और अखंडता को मजबूती देने वाला कानून बनाया गया।
2019 के संशोधनों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्थाओं को ही नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकी घोषित कर सकती है। इसमें जमानत मिलना बड़ा ही कठिन होता है। ऐसे में आरोपी आसानी से कानून की गिरफ्त से छूट नहीं पाते हैं। कानून के तहत किसी भी आरोपी की संपत्ति जब्त की जा सकती है। दोष सिद्ध होने पर दोषी को फांसी की सजा तक हो सकती है।
सौजन्य- सिंडिकेट फीड
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