प्राचीन सभ्यताओं का संगम
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

प्राचीन सभ्यताओं का संगम

डिब्रूगढ़ में आई.सी.सी.एस. ने आयोजित किया आठवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन। इसमें 33 देशों के प्रतिनिधियों ने एक-दूसरे की प्रथाओं और परंपराओं को जानने और समझने का प्रयास किया

by रवि शंकर
Feb 22, 2024, 03:24 pm IST
in भारत, असम, संस्कृति
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अतिथियों के साथ (बाएं से) श्री हेमंत बिस्व सरमा और श्री मोहनराव भागवत

सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अतिथियों के साथ (बाएं से) श्री हेमंत बिस्व सरमा और श्री मोहनराव भागवत

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विश्व की प्राचीन सभ्यताओं के वाहकों का भी जुटान हुआ, जिन्हें ‘एल्डर’ कहा जाता है। सम्मेलन का मुख्य विषय था- साझा स्थायी विकास और जीवंत प्राचीन संस्कृतियां। विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में व्याप्त स्थायी विकास के बिंदुओं में साझापन तलाशने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया।

गत दिनों शिक्षा वैली स्कूल, डिब्रूगढ़ (असम) में इंटरनेशनल सेंटर फॉर कल्चरल स्टडीज (आई.सी.सी.एस.) ने पांच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस अवसर पर विश्व की प्राचीन सभ्यताओं के वाहकों का भी जुटान हुआ, जिन्हें ‘एल्डर’ कहा जाता है। सम्मेलन का मुख्य विषय था- साझा स्थायी विकास और जीवंत प्राचीन संस्कृतियां। विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में व्याप्त स्थायी विकास के बिंदुओं में साझापन तलाशने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया।

सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत तथा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने किया। उद्घाटन से पूर्व एक शोभायात्रा भी निकाली गई। इसमें विदेशों से आए विभिन्न समुदायों के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा तथा वाद्ययंत्रों के साथ शामिल हुए। इनके साथ पूर्वोत्तर के कुछ जनजातीय समुदाय भी थे।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि आज विश्व में भरपूर भौतिक विकास हुआ है और समृद्धि आई है, परंतु इसके साथ-साथ ढेर सारी समस्याएं भी बढ़ी हैं। इनका एकमात्र समाधान है आध्यात्मिक एकात्मता की भारतीय दृष्टि। पूरे विश्व को एकात्म भाव से देखने की भारतीय दृष्टि से ही समस्त वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है। उन्होंने कहा कि समस्याओं का समाधान करने के लिए विभिन्न सिद्धांतों और वादों का निर्माण किया गया, परंतु उससे अधिक लाभ नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की यह एकात्म दृष्टि विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं में प्राप्त होती है। उसका संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है।

आज विश्व में भरपूर भौतिक विकास हुआ है और समृद्धि आई है, परंतु इसके साथ-साथ ढेर सारी समस्याएं भी बढ़ी हैं। इनका एकमात्र समाधान है आध्यात्मिक एकात्मता की भारतीय दृष्टि। पूरे विश्व को एकात्म भाव से देखने की भारतीय दृष्टि से ही समस्त वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है। – मोहनराव भागवत

 प्राचीन संस्कृतियां और परंपराएं संग्रहालय में रखने की वस्तु या फिर केवल पुस्तकों में पढ़ने के विषय मात्र नहीं हैं। ये जीवंत परंपराएं हैं। आज की वैश्विक व्यवस्था का भाग हैं और इसलिए वैश्विक नीतियों के निर्माण में इनकी भूमिका होनी चाहिए।
-दत्तात्रेय होसबाले  

अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता का उल्लेख करते हुए उनके बीच के सामंजस्य को रेखांकित किया और यह भी बताया कि किस प्रकार उनकी सरकार इस सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। -मुख्यमंत्री पेमा खांडू 

उन्होंने इन प्राचीन समुदायों के प्रमुखों की प्रशंसा करते हुए कहा कि भरपूर विरोधी वातावरण में भी उन्होंने सभ्यता की अपनी परंपरा को जीवित रखा है और इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि असम सांस्कृतिक वैविध्य का ज्वलंत प्रतीक है, परंतु आज यहां की मौलिक तथा प्राचीन संस्कृति खतरे में है। कन्वर्जन और सांस्कृतिक परावर्तन जैसी समस्याएं उनके अस्तित्व के लिए संकट का निर्माण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि असम सरकार असम की प्राचीन संस्कृति और उसके वाहक समुदायों की रक्षा के लिए सतत् प्रयत्नशील है।

सम्मेलन की विशेषता थी विश्व के प्राचीन समुदायों का जीवंत प्रदर्शन। यहां केवल भाषण और शोधपत्रों का वाचन नहीं हुआ, बल्कि प्राचीन परंपराओं का प्रत्यक्ष प्रदर्शन भी किया गया। प्रतिदिन सम्मेलन का प्रारंभ इन प्राचीन समुदायों की उपासना से ही किया गया। लगभग डेढ़ घंटे के इस सत्र में विश्व के अलग-अलग समुदाय अपनी परंपरा के अनुसार प्रार्थना और उपासना करते थे और उनके साथ सम्मेलन में आए सभी प्रतिनिधि भी उसमें सहभागी होते थे। इन विभिन्न उपासना पद्धतियों और उनकी प्रार्थनाओं में एक साझा बात जो देखने में आई, वह थी अग्नि, सूर्य तथा अपने पूर्वजों आदि की उपासना।

लगभग सभी पद्धतियों में अग्नि की पूजा की जाती थी और आर्मेनिया, लिथुआनिया आदि यूरोपीय देशों से लेकर कोलंबिया, बोलिविया आदि दक्षिण अमेरिकी देशों तथा अफ्रीकी देशों तक की परंपराओं में भी अग्नि में आहुति देने की परंपरा देखी गई। सभी समुदाय अपनी-अपनी भाषा में अग्नि की स्तुति करते हुए उसमें आहुति प्रदान करते थे। आहुति की सामग्री भी स्थानीय होती थी, परंतु उसमें एक समानता फिर भी दिखती थी और वह थी सुगंधित पदार्थों की। सम्मेलन की दूसरी विशेषता थी सायंकाल होने वाली कार्यशालाएं। इनमें विश्व के विभिन्न समुदायों की सांस्कृतिक परंपराओं का प्रदर्शन हुआ और सम्मेलन के प्रतिभागी अपनी रुचियों के अनुसार विभिन्न कार्यशालाओं में सहभागी हुए। उदाहरण के लिए कोलंबिया की कथावार्ता परंपरा की कार्यशाला में कोलंबिया में प्रचलित कहानी कहने की प्राचीन परंपरा को प्रदर्शित किया गया।

ग्रीस की कार्यशाला में वहां सूर्योपासना के प्रकारों के बारे में बताया गया, तो विएतनाम की चाम परंपरा की कार्यशाला में उनकी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी दी गई। दक्षिण अफ्रीका के जुलू समुदाय में पारिवारिक व्यवस्थाओं पर कार्यशाला में जानकारी दी गई तो, घाना की कार्यशाला में उनके पारंपरिक भजनों के साथ घाना के प्रतिभागियों ने भारतीय भजन भी प्रस्तुत किए। नेपाल की कार्यशाला में वहां की पारंपरिक ध्वनि चिकित्सा का प्रदर्शन किया गया तो लिथुआनिया की कार्यशाला में अग्नि और पृथ्वी माता की स्तुतियों की परंपरा पर चर्चा की गई। अन्य कार्यशालाओं में दक्षिण अमेरिका की माया और जापान की शिंतो परंपराओं की जानकारी दी गई, तो किसी कार्यशाला में आर्मेनिया और न्यूजीलैंड के पारंपरिक माओरी नृत्य शैलियां सिखाई गईं।

‘रिवाच’ एक शोध संस्थान है, जहां प्राचीन संस्कृतियों के ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन के लिए शोध कार्य किया जाता है। यहां पर प्राचीन विश्व संस्कृतियों का एक संग्रहालय भी है। सम्मेलन में आए अनेक प्रतिनिधियों ने अपने समुदाय की कुछ पारंपरिक वस्तुएं यहां के संग्रहालय के लिए दान भी कीं।

प्रतिभागियों ने बहुत ही उत्साह के साथ इन परंपराओं को जानने का प्रयास किया, नृत्य में सहभागी हुए, उनके गीत गाए और उपासना की विभिन्न पद्धतियों में उपासना की, विश्व की विभिन्न भाषाओं में प्रार्थनाओं और स्तुतियों का गायन किया। यह सब कुछ एक चकित कर देने वाला दृश्य था, जो आज के संघर्षशील विश्व में दुर्लभ है। सभ्यताओं के संघर्ष की स्थापना देने वाली वैश्विक व्यवस्था को यह आयोजन एक चुनौती देता हुआ प्रतीत हो रहा था कि हम आज भी संवाद और सहअस्तित्व की बात कर रहे हैं, संघर्ष की नहीं।

सम्मेलन के चौथे दिन अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने अपने संबोधन में अरुणाचल प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता का उल्लेख करते हुए उनके बीच के सामंजस्य को रेखांकित किया और यह भी बताया कि किस प्रकार उनकी सरकार इस सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिन के अंतिम सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि यहां उपस्थित प्राचीन संस्कृतियां और परंपराएं संग्रहालय में रखने की वस्तु या फिर केवल पुस्तकों में पढ़ने के विषय मात्र नहीं हैं। ये जीवंत परंपराएं हैं। आज की वैश्विक व्यवस्था का भाग हैं और इसलिए वैश्विक नीतियों के निर्माण में इनकी भूमिका होनी चाहिए।

सम्मेलन के आखिरी दिन सभी प्रतिनिधि आई.सी.सी.एस. की ही एक परियोजना ‘रिवाच’ को देखने के लिए गए, जो कि अरुणाचल प्रदेश के रोइंग नामक स्थान में है। ‘रिवाच’ एक शोध संस्थान है, जहां प्राचीन संस्कृतियों के ज्ञान के संरक्षण और संवर्धन के लिए शोध कार्य किया जाता है। यहां पर प्राचीन विश्व संस्कृतियों का एक संग्रहालय भी है। सम्मेलन में आए अनेक प्रतिनिधियों ने अपने समुदाय की कुछ पारंपरिक वस्तुएं यहां के संग्रहालय के लिए दान भी कीं। परस्पर आत्मीयता और एकात्मता को अनुभूत करते हुए सभी प्रतिनिधि एक-दूसरे के साथ संपर्क बनाए रखने के संकल्प के साथ इस सम्मेलन से विदा हुए।

Topics: Chief Minister Himanta Biswa Sarmaमुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमासूर्योपासनापाञ्चजन्य विशेषप्राचीन संस्कृतियांराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघरिवाचRashtriya Swayamsevak SanghAncient CulturesसरसंघचालकSuryopasnaश्री मोहनराव भागवतRivachSarsanghchalakShri Mohanrao Bhagwat
Share18TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

1822 तक सिर्फ मद्रास प्रेसिडेंसी में ही 1 लाख पाठशालाएं थीं।

मैकाले ने नष्ट की हमारी ज्ञान परंपरा

मार्क कार्नी

जीते मार्क कार्नी, पिटे खालिस्तानी प्यादे

हल्दी घाटी के युद्ध में मात्र 20,000 सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने अकबर के 85,000 सैनिकों को महज 4 घंटे में ही रण भूमि से खदेड़ दिया। उन्होंने अकबर को तीन युद्धों में पराजित किया

दिल्ली सल्तनत पाठ्यक्रम का हिस्सा क्यों?

स्व का भाव जगाता सावरकर साहित्य

पद्म सम्मान-2025 : सम्मान का बढ़ा मान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies