नई दिल्ली । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बिहार में मदरसों से जुड़े अपने सवालों का असंतोषजनक जवाब मिलने को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को तलब किया है। शीर्ष बाल अधिकार संस्था ने मदरसों के संचालन पर ध्यान केंद्रित करते हुए बिहार में शिक्षा के लिए सरकारी निधि के उपयोग की जांच बढ़ा दी है।
बता दें कि बिहार सरकार के द्वारा मदरसों को बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने से पैसा दिए जाने पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सख्त एतराज जताते हुए इसे संविधान का उल्लंघन बताया है। आय़ोग ने बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी को इस मामले में सफाई देने के लिए हाजिर होने को कहा है। इसके लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है।
क्या लिखा है पत्र में
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग के पत्र में कहा गया है कि बिहार के मदरसों को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने पहले भी बिहार सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन सरकार की ओर से भेजा गया जवाब असंतोषजनक है। आयोग ने कहा कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत देश के हर बच्चे को शिक्षा देना है। संविधान के मुताबिक भी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करना किसी भी बच्चे का मौलिक अधिकार है। संविधान में ये भी कहा गया है कि सरकार को किस तरह बच्चों को शिक्षा दिलाना है।
मदरसों से संविधान का उल्लंघन
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि बच्चों को किसी स्कूल में भेजने के बजाय मदरसों में सरकारी पैसे से शिक्षा दिलाना संविधान का उल्लंघन है। बिहार सरकार कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पायी है कि मदरसों को क्यों सरकारी मदद दी जा रही है।
सरकार से मांगा जबाब
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आय़ोग ने बिहार सरकार से कहा है कि वह हलफनामा दायर करे कि बिहार में कोई ऐसा मदरसा नहीं चल रहा है जो रजिस्टर्ड ना हो। सरकार ये भी बताये कि मदरसों में कितने गैर मुस्लिम छात्र पढ़ रहे हैं। उनकी पूरी जानकारी दी जाये। सरकार ये भी बताये कि मदरसों से कितने गैर मुस्लिम बच्चों ने 12वीं तक की शिक्षा पूरी की है। इसके अलावा मदरसों की शिक्षा पूरी करने के बाद कितने गैर मुस्लिम बच्चों को मौलवी बनाया गया है। इसकी भी जानकारी दी जाए
मुख्य सचिव को हाजिर होने को कहा
बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यूनिसेफ और एनसीईआरटी को भी नोटिस भेजा है कि मदरसों में कौन सा पाठ्यक्रम पढाया जा रहा है। आयोग ने कहा है कि कई बार समय दिये जाने के बावजूद बिहार सरकार ने मदरसों को लेकर कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया है। लिहाजा बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी खुद 22 फरवरी को दोपहर तीन बजे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में हाजिर होकर इन सारे बिन्दुओं पर जवाब दें।
टिप्पणियाँ