पाकिस्तान में एक लंबे समय से बलूचों, विशेष रूप से कॉलेज के छात्रों को अगवा किया जाता रहा है। स्थानीय लोग कई बार इस मुद्दे पर इस्लामाबाद में बैठी सरकार के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन वहां की सेना और पुलिस बलूच लोगों से सौतेला व्यवहार ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनके मानवाधिकारों तक कह परवाह नहीं करते हैं। लेकिन अब अदालत ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री को एक बार फिर इस मुद्दे पर समन भेजा है। अदालत ने उन्हें अदालत में पेश होने को कहा है। बलूचिस्तान में लोगों में एक उम्मीद तो जगी है लेकिन इससे कोई ठोस नतीजा निकलेगा इसके आसार कम ही हैं।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर आगामी 28 फरवरी को भी अदालत में हाजिर होंगे कि नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है। लेकिन इसमें शक नहीं है कि बलूच छात्रों को अगवा करना बलूचिस्तान में एक शर्मनाक चलन बन गया है। आएदिन युवाओं का गायब होना जारी है और पुलिस या सेना पीड़ितों की परवाह नहीं करती, उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती। लेकिन पहले दो बार समन पर गौर न करने पर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने न सिर्फ कार्यवाहक प्रधानमंत्री को सख्त संकेत दिया है बल्कि अब तीसरे समन पर उन्हें पेश होने को कहा है।
कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर आगामी 28 फरवरी को भी अदालत में हाजिर होंगे कि नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है। लेकिन इसमें शक नहीं है कि बलूच छात्रों को अगवा करना बलूचिस्तान में एक शर्मनाक चलन बन गया है। आएदिन युवाओं का गायब होना जारी है और पुलिस या सेना पीड़ितों की परवाह नहीं करती, उनकी रिपोर्ट तक नहीं लिखी जाती।
हालांकि अदालत की हालत यह है कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री काकर के नाम समन तो तैयार हुआ फिर 28 फरवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी गई। मामले को देख रहे न्यायाधीश मोहसिन अख्तर कयानी का कहना था कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री ये न सोचें कि कोर्ट में हाजिर होने से अपमान नहीं होता है। यहां यह बता दें कि गत नवंबर माह में कोर्ट ने सात दिन के अंदर लापता बलूच छात्रों का पता लगाने को कहा भी था, लेकिन उस विषय में आगे कुछ खास नहीं हुआ।
न्यायाधीश ने बताया कि अफसरों ने अदालत के आदेश का पालन नहीं किया, तब अदालत ने गृह मंत्री तथा रक्षा मंत्री के साथ ही सचिवों सहित काकर को कहा था कि 29 नवंबर को अदालत में हाजिर हों। लेकिन देश से बाहर होने की वजह से काकर अदालत में पेश नहीं हो पाए थे।
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