पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं पर हुए अत्याचार के बाद अब वहां पर पुलिस ने धारा 144 लगाकर सभी को रोक रखा है, लेकिन कोर्ट से इजाजत लेकर पश्चिम बंगाल भाजपा के 5 विधायकों का दल आज संदेशखाली में पीड़ितों से मिलने जा रहा है। इस बात की जनकारी भाजपा एमएलए अग्निमित्रा पॉल ने दी है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पॉल ने कहा कि भाजपा जो कहती है वो करके दिखाती है। हमारे विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा था कि हम लोग इस मामले में अदालत जाएंगे तो हम लोग अदालत गए। वहां से हम लोगों ने संदेशखाली जाने की इजाजत ली और अब हम वहां जा रहे हैं। इस पांच सदस्यीय कमेटी टीम में अग्निमित्रा पॉल, तापसी मंडल, स्मिता सिन्हा, शंकर घोष (विधायक) और एलओपी सुवेंदु अधिकारी शामिल हैं।
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भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने ममता सरकार के कामकाज के तरीके पर उंगली उठाते हुए कहा, “अगर ये कोई दूसरा राज्य होता तो शायद हमें कोर्ट की इजाजत की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन ये पश्चिम बंगाल है और अदालत के परमीशन के बावजूद हम लोग वहां संदेशखाली पहुंच पाएंगे या नहीं ये बहुत बड़ी बात है। क्योंकि यहां की टीएमसी सरकार अदालत के निर्देश को भी नहीं मानती है। अदालत की परमीशन लेकर हम लोग जा रहे हैं और सोचते हैं कि वहां तक शायद पहुंच पाएंगे, लेकिन ममता बनर्जी की सरकार किसी को नहीं मानती। ममता सबसे ऊपर हैं..जा पाएंगे या नहीं ये तो भगवान ही जानते हैं।”
चुने हुए प्रतिनिधि के तौर पर अधिकार होने के सवाल पर भाजपा विधायक कहती हैं पूरे भारत में जो नियम और संविधान चलता है वो आज पश्चिम बंगाल में नहीं है। यहां तो टीएमसी के लिए एक नियम है और बाकियों के लिए एक नियम है। हां टीएमसी के मंत्री या नेता संदेशखाली जा सकते हैं, उनके लिए कोई नियम नहीं है, लेकिन जब केंद्र सरकार के मंत्री संदेशखाली जाने के लिए आए तो उन्हें बेइज्जत किया जाता है। उनके साथ धक्का-मुक्की की जाती है..ये है पश्चिम बंगाल। उन्होंने आगे कहा कि सीरिया की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी कोई नियम नहीं है। यहां हमारी सुबह बमबाजी से होती है और सोने जाते हैं तो महिला की चीखों के साथ
बंगाल के लोग चाहते हैं लगे राष्ट्रपति शासन
अग्निमित्रा पॉल ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा द्वारा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर कहा कि ये बंगाल के लोगों की आवाज है कि राज्य में पाष्ट्रपति शासन लगे। यहां के लोगों को केवल रोटी, कपड़ा मकान और शांति चाहिए, लेकिन आज बंगाल अशांत है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बंगाल अराजकता, अनैतिकता और अत्याचार की राजधानी बन गया है। अगर ममता बनर्जी की आंखों में थोड़ी सी भी शर्म बाकी है तो उन्हें इस्तीफा देना चाहिए।
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