पश्चम बंगाल के संदेशखाली में हिन्दू महिलाओं से अत्याचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार की शिकायत पर बंगाल सरकार के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ लोकसभा विशेषाधिकार समिति की जांच पर रोक लगा दी है। सुकांता मजूमदार ने संदेशखाली के दौरे के वक्त दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था।
संदेशखाली मामले में भाजपा सांसद ने लोकसभा की विशेषाधिकार समिति से शिकायत की थी, जिसके बाद समिति ने ममता सरकार के पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और अन्य शीर्ष अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया था। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका, DGP राजीव कुमार, उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट शरद कुमार द्विवेदी, बशीरहाट के एसपी हुसैन मेहदी रहमान और अतिरिक्त एसपी पार्थ घोष को आज सुबह 10:30 बजे पैनल के सामने पेश होने के लिए कहा गया था।
पार्लियामेंटरी कमेटी के समन के खिलाफ इन अधिकारियों ने सुप्रीम की चौखट खटखटाई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने लोकसभा की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए लोकसभा सचिवालय को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने लोकसभा सचिवालय से चार सप्ताह के अंदर जबाव मांगा है। इसके बाद ही अदालत सुनवाई को जारी रखेगी।
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पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के वकील कांग्रेसी
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल के अधिकारियों के केस की पैरवी कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने की। इन वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संदेशखाली में कर्फ्यू लगाया गया है बावजूद इसके बीजेपी सांसद मजूमदार समर्थक वहां गए। कांग्रेसी वकीलों ने भाजपा सांसद को झूठा साबित करते हुए दावा किया कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने ही पुलिस पर हमले किए थे।
इन वकीलों का तर्क है कि संसदीय विशेषाधिकार राजनीतिक गतिविधियों को कवर नहीं करते हैं। अधिकारियों के वकीलों ने लोकसभा सचिवालय पर अधिकार क्षेत्र से बाहर निकलने का आरोप लगाया।
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