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‘RSS की उत्पत्ति सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एक करने के लिए हुई है’: RSS प्रमुख मोहन भागवत

संघ प्रमुख ने कहा कि हम इसलिए गुलाम नहीं हुए कि विदेशी आक्रान्ता हमसे अधिक शक्तिशाली थे, बल्कि इसलिए पराजित हुए क्योंकि हममें बंधुभाव का अभाव था।

by Kuldeep singh
Feb 19, 2024, 11:37 am IST
in भारत
Dr Mohan Bhagwat RSS

डॉ मोहन भागवत जी, सरसंघचालक, आरएसएस

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी ने स्पष्ट किया है कि RSS की उत्पत्ति सम्पूर्ण हिन्दू समाज को एक करने के लिए हुई है। पूर्व में ब्रिटिश समेत सात अन्य विदेशी शक्तियों ने आक्रमण करके पराजित किया और फिर हमें गुलाम बना लिया। ऐसा इसलिए नहीं हुआ कि वे हमसे अधिक शक्तिशाली थे, बल्कि हमारी पराजय का कारण हमारी आपसी फूट थी।

सरसंघचालक जी भाग्यनगर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आई.टी. मिलन कुटुंब सम्मेलन में बोल रहे थे। उन्होंने सम्मेलन के दौरान कहा कि संघ प्रमुख हमारी पराजय का सबसे बड़ा कारण बंधुभाव का अभाव था। संघ के आद्य सरसंघचालक परमपूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने समाज के इस विखण्डन के मर्म को चीन्हा और हिन्दुत्व के आधार पर सम्पूर्ण समाज की एका का प्रयत्न करने में सन्नद्ध ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का बीजवपन किया। हिन्दुत्व के आधार पर कैसे सम्पूर्ण समाज को एक किया जा सकता है इसकी एक बानगी हमें विगत 22 जनवरी को हुए श्रीरामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में दिखी थी, जब देश के प्रत्येक जाति, भाषा, क्षेत्र और राजनीतिक संबद्धता के लोगों ने अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का उत्सव मनाया था।

इसे भी पढ़ें:  West Bengal: पीड़ितों से मिलने संदेशखाली जा रहीं NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा, कहा-महिलाओं के साथ ज्यादती हुई है

संघ प्रमुख ने आगे कहा कि हमारी सभ्यता में विविधता को स्वीकार किया गया है। हम एक थे और विविधता के बावजूद एक रहेंगे क्योंकि हम ‘हिन्दू’हैं। हमारी संस्कृति हमें विविधता को स्वीकार करना सिखाती है। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दुत्व की विशेषता-विविधता में एकता, त्याग, आत्मसंयम और कृतज्ञता की भावना है। हिन्दू दृष्टिकोण के अनुसार-समाज की मूल इकाई ‘परिवार’ है, व्यक्ति नहीं । सरसंघचालक जी ने स्वयंसेवकों से व्यक्तिवाद छोड़कर सभी के साथ सौहार्दपूर्वक रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भौतिक सुखों की चाह में हम हमेशा प्रयासरत रहते हैं, किन्तु उससे हमें वास्तविक आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती, जबकि हमारा अभीष्ट वही है । वास्तविक ख़ुशी तो हमारे आस-पास के लोगों की भलाई के लिए हर प्रकार से उद्धत रहने में निहित है, न कि केवल अपनी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति में रत रहने में ।

सरसंघचालक जी ने पुरुष और महिलाओं में भेद को लेकर कहा कि इस पर बहस करना मूर्खतापूर्ण है। वे एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने मातृशक्ति से ‘सेविका समिति’ में शामिल होने और राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में अपना सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सिर्फ शालाओं पर न छोड़ें। हमारे राष्ट्र और संस्कृति के प्रति बच्चों के दृष्टिकोण को आकार देने में ‘परिवार’ और ‘समाज’ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम घर पर अपनी मातृभाषा में अपने बच्चों से बात करें। हम भारतवासी विश्व को सुख और संतुष्टि का मार्ग दिखाने में सक्षम हैं, क्योंकि हम संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानते हैं। इसे अन्यथा न लेते हुए विश्व को भारत से सौहार्दपूर्वक रहने की कला सीखनी चाहिए।

इस मौके पर सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्रीनिवास रेड्डी जी ने पिछले दो दशकों में भारत द्वारा विविध क्षेत्रों, विशेषकर आर्थिक क्षेत्र में हासिल की गई प्रगति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करते हुए उसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन-यापन का ढंग अब विश्व के अन्य देशों की तुलना में स्तरीयता को प्राप्त कर रहा है, देश में उन्नति के विभिन्न नूतन अवसरों का प्राचुर्य है, यही कारण है कि अवसरों की चाह में विदेशों में बस गए लोग स्वदेश वापसी कर रहे हैं। देश की कर्मठ जनशक्ति की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की जनसांख्यिकी में देश को एक आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए आवश्यक सभी सामग्रियाँ मौजूद हैं। उन्होंने आरएसएस और उसके विविध अनुसांगिक संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की।

उल्लेखनीय है कि आई.टी. मिलन, भाग्यनगर की ओर से 17 फरवरी 2024 को कुटुम्ब सम्मलेन का आयोजन ‘सन्ध्या कन्वेंशन गचीबोवली में किया गया था। कार्यक्रम में आई.टी. मिलन के स्वयंसेवकों व बालगोकुलम् के शिक्षकों ने स्व-परिजनों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में सहभाग की पूर्व शर्त के रूप में इच्छुक स्वयंसेवकों को विगत 1 नवंबर 2023 से कार्यक्रम होने की तिथि तक कम से कम पाँच मिलन समारोहों में सहभाग करना अनिवार्य था। इसी प्रकार कार्यक्रम में सहभाग के इच्छुक बालगोकुलम् के शिक्षकों को पूर्वोक्त तिथि (1 नवंबर 2023 से कार्यक्रम होने की तिथि तक) के मध्य कम से कम पाँच बार बालगोकुलम् की गतिविधियों में सहभाग करना अनिवार्य था ।

स्वयंसेवकों के आई.टी. मिलन की विभिन्न गतिविधियों में सहभाग व नए लोगों के आई.टी. मिलनों से जुड़ाव के बारे में बताते हुए आई.टी. मिलन के सह-कार्यवाह श्री लक्ष्मण राव जी ने कहा, ‘इससे महानगर में 21 नए आई.टी. मिलनों की स्थापना हुई और आई.टी. मिलन में 800 नए आई.टी. पेशेवरों को जोड़ा गया है।’ वे आगे बताते हैं कि वर्तमान में भाग्यनगर में प्रति सप्ताहांत 91 आई.टी. मिलन चल रहे हैं । साथ ही पूरे जुड़वाँ शहर में 57 बालगोकुलम् क्रियाशील हैं। इन बालगोकुलम् को चलाने में 150 से अधिक कार्यकर्ता सक्रिय हैं, जिनमें मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है । साप्ताहिक रूप से आयोजित होने वाले इन बालगोकुलम् में औसतन 1500 बच्चे प्रति सप्ताह सहभाग करते हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परमपूज्य सरसंघचालक श्री मोहनजी भागवत की गरिमामयी उपस्थिति रही। मंच पर उनके साथ मुख्य अतिथि श्री श्रीनिवास रेड्डी जी कोफैक्स इंडिया के महाप्रबंधक और एम.डी. माननीय क्षेत्र संघचालक श्री वी. नागराज जी, तेलंगाना प्रांत संघचालक श्री सुंदर रेड्डी जी और सम्भाग संघचालक डॉ. श्री कृष्ण प्रसाद जी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में आई.टी. मिलन में पूर्व में सहभाग कर चुके स्वयंसेवकों के साथ-साथ महानगर के प्रीमियर शैक्षणिक संस्थानों के आचार्यों को सपरिवार सहभाग हेतु आमंत्रित किया गया था। सम्मलेन-स्थल से संलग्न एक अन्य सभागार में ‘बाल विभाग’ ने दस साल से कम उम्र के बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की रोचक क्रीडा-गतिविधियों की भी व्यवस्था की थी। सम्मेलन में कुल 1051 पुरुष, 548 महिलाएँ और 505 बच्चों की उपस्थिति रही ।

Topics: हिन्दू एकीकरणआरएसएस आईटी मिलन समारोहRSS Chief Dr. Mohan BhagwatHindu IntegrationRSS IT Milan CeremonyRashtriya Swayamsevak Sanghराष्ट्रीय स्वयं सेवक संघआरएसएस प्रमुख डॉ मोहन भागवत
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