पश्चिम बंगाल का संदेशखाली हिन्दू महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर चर्चा में है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शागिर्द शेख शाहजहां पर हिन्दू महिलाओं के साथ बर्बरता करने का आरोप है। घटना मुर्शिदाबाद के हरिहरपाड़ा से सामने आई। यहां बीते दिनों एक खेत में एक हिन्दू लड़की का शव मिला, जिसका रेप और हत्या होने की बात कही जा रही थी। आरोप है कि बंगाल पुलिस ने बड़ी ही चालाकी से मामले को दबाने की कोशिश की। पीड़िता के परिजनों की एक भी मांग को नहीं माना। लेकिन, जब कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश के बाद शव को जमीन से निकाला गया तो दिल दहला देने वाला मंजर सामने आया। दरिंदों में दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी उस 13 साल की बच्ची के साथ।
रिपोर्ट के मुताबिक, महज 13 वर्ष की मृतका के साथ ऐसी हैवानियत तो कोई जानवर भी शायद न करे। हत्यारों ने पहले बच्ची का रेप किया, फिर उसके दोनों स्तनों को काट दिया। इसके बाद उसकी दोनों आंखें भी निकालकर फेंक दिया। इसके बाद उसे दफना दिया। 27 जनवरी को गाव के ही सरसों के एक खेत में उसका शव बरामद किया गया। बच्ची के परिजनों का कहना था कि बच्ची के दोनों स्तन काट दिए गए थे, उसकी आखें निकालकर फेंक दी गई थीं, उसके शरीर पर दांत के काटे के स्पष्ट निशान थे।
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आरोप है कि जब परिजनों ने पुलिसवालों से शव को पोस्टमार्ट के लिए कहा तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया। उन्होंने शव का पंचनामा करने के बाद शव फिर से दफना दिया। इसके बाद मृतका के परिजन मामले को लेकर हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करने के बाद पुलिस को शव को बाहर निकालकर उसका पोस्टमार्टम कराने का आदेश दिया। इसके बाद 20 दिन के बाद बच्ची के शव को बाहर निकाला गया। तब जाकर उसके साथ बर्बरता का खुलासा हुआ।
वहीं शव को निकाले जाने के दौरान पुलिस की भारी फोर्स को गांव में तैनात कर दिया गया। लेकिन, सवाल पश्चिम बंगाल पुलिस की क्रेडिबिलिटी पर उठ रहे हैं। कि आखिर बंगाल पुलिस ने पहले क्यों एक्शन नहीं लिया? किसके कहने पर पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की? जिस पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की, क्या उससे सही जांच की उम्मीद की जा सकती है? ऐसे कई सवाल पुलिस पर उठ रहे हैं।
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