जयंती विशेष: कश्मीर के भारत विलय में श्री गुरुजी का बड़ा योगदान, जानिए आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक जी के बारे में सबकुछ
May 28, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संघ

जयंती विशेष: कश्मीर के भारत विलय में श्री गुरुजी का बड़ा योगदान, जानिए आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक जी के बारे में सबकुछ

श्री गुरुजी ने संघ को दुनिया के पहले गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन का दर्जा दिलाया

by सुरेश कुमार गोयल
Feb 19, 2024, 06:00 am IST
in संघ
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

1940 में जब देश को स्वतंत्र करवाने का आंदोलन पूरे यौवन पर था तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बागडोर संभाल कर अपने 33 साल के लम्बे कार्यकाल में लगभग 70 बार पूरे देश का प्रवास कर इसको वट वृक्ष का रूप देने वाले दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवरकर ( श्री गुरुजी ने संघ को दुनिया के पहले गैर सरकारी स्वयंसेवी संगठन का दर्जा दिलाया। उस समय हिन्दू समाज को पुनः शक्ति सम्पन्न करने का कार्य चुनौतियों भरा था। गुरु जी ने विकट परिस्थितियों में संगठन का नेतृत्व संभाल कर स्वयंसेवकों का उचित मार्गदर्शन किया।

इस महान विभूति का जन्म नागपुर में 19 फरवरी 1906 को फाल्गुन मास की एकादशी को पिता सदाशिवराव के घर माँ लक्ष्मी बाई की पवित्र कोख से चौथी संतान के रूप में हुआ, जिससे परिवार में खुशियों की लहर दौड़ गई और इनका नाम माधव रखा गया। परिवार में इन्हें सभी प्यार से मधु कहकर ही बुलाते थे। धार्मिक विचारों वाली मां और अध्यापन का कार्य करने वाले पिता की छाप के कारण इनकी धार्मिक साहित्य और विद्यालय की पुस्तकों में खास रुचि थी। जब वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में बीएससी करने आए तब यहां के केंद्रीय ग्रंथालय में लाखों पुस्तकों का भंडार मिला। यहां आकर उनमें ज्ञान और अध्यात्म की भूख काफी बढ गई। रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद, तुलसीदास और कबीर समेत हजारों किताबें पढ़ीं। इसी अध्ययनकाल ने उनके भीतर आध्यात्मिकता, वैचारिक समृद्धता और राष्ट्रवाद की भावना का जागरण हुआ।

बचपन से ही व्यायाम के बहुत शौकीन थे और भरपूर हाकी खेलने के साथ-साथ कभी-कभी टेनिस भी खेलते थे। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने बांसुरी एवं सितार वादन में अच्छी खासी प्रवीणता हासिल कर ली थी।

अपनी विलक्षण बुद्धि के कारण हर कक्षा में प्रथम रहने वाले माधव एम. एस. सी (MSC) करने के बाद काशी विश्वविद्यालय में अध्यापन का कार्य करने लगे। अपनी विलक्षण प्रतिभा और योग्यता के कारण छात्रों में से अति लोकप्रिय हो गए थे। गुरु की इन्हें कोई उपाधि तो नहीं मिली थी, लेकिन बीएचयू के छात्र इन्हें इसी संबोधन से पुकारते थे जिसके कारण गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध हुए। यहीं पर इनकी मुलाकात भैया जी दाणी के माध्यम से संघ के संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवार से हुई जो धीरे-धीरे मित्रता में बदल गई। इसी दौरान माता-पिता द्वारा शादी करने का दबाव डालने पर शादी करने से साफ मना कर दिया। अब माधव अपना ज्यादा समय डॉक्टर हेडगेवार के साथ संघ कार्य के लिए प्रवास में बिताने लगे। डॉक्टर हेडगेवार जी ने इनकी योग्यता को देखते हुए धीरे-धीरे संघ कार्य की जिम्मेदारी देनी शुरू की और 1938 में नागपुर संघ शिक्षा वर्ग के सर्वाधिकारी के बाद 1939 में सर कार्यवाह नियुक्त किया।

संघ कार्य और समाज को संगठित करने की दिन रात चिंता के कारण हेडगेवार जी का स्वास्थ्य खराब होने लगा। वह बीमार रहने लगे तो डॉ हेडगेवार जी ने संघ के बाकी पदाधिकारियों से विचार-विमर्श कर गुरु जी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया, जिसकी घोषणा हेडगेवार जी की मृत्यु के बाद 3 जुलाई 1940 को नागपुर के रेशिम बाग में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में प्रांत संघचालक बाबा साहिब पाध्या ने किया। सरसंघचालक का कार्यभार संभालते ही गुरु जी ने पूरे देश का भ्रमण शुरू कर घर-घर जाकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन किया और आजादी के बाद उजड़ कर आए हिंदुओं के पुनर्वास का प्रबंध करवाया।

केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार पटेल ने जम्मू-कश्मीर रियासत के दीवान मेहरचन्द महाजन से भारत के साथ विलीनीकरण (accession) करने के लिए कश्मीर-नरेश श्री हरि सिंह जी को तैयार करने के लिए कहा था। मेहरचन्द महाजन ने श्रीगुरुजी के पास संदेश भिजवाया कि वे कश्मीर-नरेश से मिलकर उन्हें इस विलीनीकरण के लिए तैयार करें। महाजन जी के प्रयास से कश्मीर-नरेश और श्रीगुरुजी की भेंट की तिथि निश्चित हो सकी।

श्रीगुरुजी 17 अक्तूबर, 1947 को विमान से श्रीनगर पहुँचे। 18 अक्टूबर को प्रातः भेंट हुई। भेंट के समय 15-16 वर्षीय युवराज कर्ण सिंह जांघ की हड्डी टूटने से प्लास्टर में बंधे वहीं लेटे हुए थे। मेहरचन्द महाजन भी भेंट के समय उपस्थित थे। कश्मीर-नरेश का कहना था – मेरी रियासत पूरी तरह से पाकिस्तान पर अवलम्बित है। सारे रास्ते सियालकोट तथा रावलपिण्डी की ओर से हैं। रेल सियालकोट की ओर से है। मेरे लिये हवाई अड्डा लाहौर का है। अतः हिन्दुस्थान के साथ मेरा सम्बन्ध किस तरह बन सकता है?

श्रीगुरुजी ने समझाया – आप हिन्दू राजा हैं। पाकिस्तान में विलय करने से आपको और आपकी हिन्दू प्रजा को भीषण संकटों से संघर्ष करना होगा। यह ठीक है कि अभी हिन्दुस्थान से रेल के रास्ते और हवाई मार्ग का कोई सम्पर्क नहीं है, किन्तु इन सबका प्रबन्ध शीघ्र ही हो जायेगा। आपका और जम्मू-कश्मीर रियासत का भला इसी में है कि आप हिन्दुस्थान के साथ विलीनीकरण कर लें। मेहरचन्द महाजन ने कश्मीर नरेश से कहा कि गुरुजी ठीक कह रहे हैं। आपको हिन्दुस्थान के साथ रियासत का विलय करना चाहिए। अन्ततः कश्मीर-नरेश ने श्रीगुरुजी को तूस की शाल भेंट की। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर के भारत-विलय में श्रीगुरुजी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा।

30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गांधी की हत्या हुई तो सभी शाखाओं में 13 दिन तक शोक मनाने को कहा। संघ की बढ़ रही शक्ति से परेशान कांग्रेस को महात्मा गांधी की हत्या से बहाना मिल गया और संघ पर झूठा आरोप लगाकर 1 फरवरी 1948 को आधी रात को नागपुर पुलिस ने गाँधी की हत्या का षड्यंत्र रचने के आरोप में इन्हें  गिरफ्तार कर लिया और 4 फरवरी को संघ पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 17 महीने के बाद 12 जुलाई 1949 को भारत सरकार को संघ पर से प्रतिबंध हटाकर 13 जुलाई को गुरुजी को रिहा करना पड़ा। बेतुल जेल से रिहा  होते ही इन्होंने दोबारा देश का भ्रमण कर स्वयंसेवकों को प्रतिबंध के कड़वे दिनों को भुलाकर नए सिरे से पूरी ताकत के साथ संघ कार्य में जुटने का संदेश दिया तथा इसी के साथ संघ कार्य के लिए अपना परिवार छोड़ने वाले युवा प्रचारकों को संघ के अलावा अन्य सामाजिक कार्यों के लिए नए संगठन के गठन का कार्य सौंपा। उस समय में ही बनाई गई राजनीतिक पार्टी की देश और कई राज्यों में सरकारें चल रही हैं। इसके अतिरिक्त कई राज्यों में संघ के ही स्वयंसेवक राज्यपाल के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

1948 में संघ पर प्रतिबंध लगाने वाली नेहरूजी की सरकार ने 1962 में चीन के साथ युद्ध के समय संघ द्वारा निभाई भूमिका से प्रधानमंत्री नेहरू इतने खुश हुए कि 1963 की गणतंत्र दिवस की परेड में संघ की पूर्ण गणवेश धारी टुकड़ी को बैंड (घोष) सहित भाग लेने के लिए बुलाया गया। 300 स्वयंसेवकों का पूर्ण गणवेश में घोष की ताल पर कदम मिलाकर चलना उस कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण था।

1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के समय स्वयंसेवकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर भी सेना के अग्रिम मोर्चों तथा बंकरों तक हथियार और खाना पहुंचाकर सेना और सरकार का सहयोग किया।

संघ कार्य के लिए कड़ी मेहनत और भ्रमण के कारण गुरुजी को कैंसर जैसे भयानक रोग ने अपनी चपेट में ले लिया और स्वास्थ्य धीरे-धीरे गिरने लगा। मार्च 1973 की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक तक इनका स्वास्थ्य काफी बिगड़ चुका था और 25 मार्च को दिया इनका बौद्धिक अंतिम बन गया। मई-जून 1973 के संघ शिक्षा वर्ग तक शरीर कमजोर और स्थिति बिगड़ने के कारण वर्ग में आए स्वयंसेवकों ने टोलियां बनाकर गुरु जी के दर्शन किए। 5 जून रात्रि 9:05 पर भारत माता की जय बोलते हुए विश्व के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठन के सर्वोच्च नेता ने अपनी देह त्याग कर अपनी जीवन यात्रा को सम्पूर्ण किया।

आज पूरी दुनिया में फैले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और समर्थक, श्री गुरुजी को उनकी जयंती (19 फरवरी) पर याद कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

Topics: Birth Anniversary of Golwalkar alias Guru JiBirth Anniversary of Second Sarsanghchalak of RSSSecond Sarsanghchalak of RSSराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघMadhavrao Sadashivrao GolwalkarRashtriya Swayamsevak Sangh19 February Specialपाञ्चजन्य विशेषगोलवरकर उर्फ गुरु जी की जयंतीआरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक की जयंतीमाधवराव सदाशिवराव गोलवरकर19 फरवरी विशेषBirth Anniversary Special
Share2TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

पाक उच्चायोग का अधिकारी दानिश और जासूसी के आरोप में पकड़ी गई यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा

ऑपरेशन मीर जाफर : चेहरे चमकदार, दामन दागदार

डॉ. शशि थरूर

‘सिंदूर का रंग खून  के रंग से अलग नहीं’ -डॉ. शशि थरूर

विदेश में पकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत द्वारा भेजे जा रहे प्रतिमंडल का नेतृत्व कर रहे रविशंकर प्रसाद, शशि थरूर, सुप्रिया सुले, बैजयंत पांडा, कनिमोझी, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और संजय झा

भारत का तरकश भारी

वीर सावरकर

वीर सावरकर: हिंदुत्व के मंत्रदृष्टा और राष्ट्र जागरण के अग्रदूत

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

वीर सावरकर

वीर सावरकर : हिंदुत्व के तेज, तप और त्याग की प्रतिमूर्ति

आज़हरुल इस्लाम

बांग्लादेश में आजाद घूमेगा 1000 से अधिक हत्या करने का आरोपी, जमात नेता आज़हरुल इस्लाम की सजा रद

मुख्य आयोजन स्थल

उत्तराखंड : 21 जून को भराड़ीसैंण में होगा योग दिवस का मुख्य आयोजन, सीएम के साथ 10 देशों के राजदूत होंगे शामिल

विजय पुनम

ओडिशा में नक्सलियों को बड़ा झटका : रायगडा में कुख्यात विजय ने किया आत्मसमर्पण

Representational Image

बांग्लादेशियों संग न करना शादी, जानिए चीन ने क्यों जारी की चीनियों के लिए ऐसी एडवाइजरी

पाकिस्तानी फाैज द्वारा बलूचिस्तान से जबरन गायब किए गए लोगों के परिजन­

हवाई घोषणा नहीं, पूर्ण स्वतंत्रता लक्ष्य

मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मोहम्मद अमीर अहमद खान

शिक्षाविद् का मुखौटा, विचार जहरीले

terrorist tadwas house blew up by the the forces

Amritsar Blast: विस्फोट में मरने वाला आतंकी था, डीआईजी सतिंदर सिंह ने की पुष्टि

AMCA project Approves by defence ministry

रक्षा मंत्रालय ने AMCA को दी मंजूरी: पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान परियोजना को मिलेगी गति

Ghaziabad constable Saurabh murder case

गाजियाबाद में कॉन्स्टेबल सौरभ की हत्या के मामले में कादिर समेत अब तक 15 आरोपी गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies