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साख बढ़ी, कांटे हटे

भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत! अंतत: कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना-कर्मियों को रिहा कर दिया।

by हितेश शंकर
Feb 18, 2024, 07:36 am IST
in सम्पादकीय
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भारत टकराव या दबाव का सहारा लिए बिना, कूटनीति और बातचीत के माध्यम से अपने उद्देश्यों को कैसे प्राप्त कर सकता है। यह इस बात का भी प्रतिबिंब है कि भारत कैसे दुनिया में एक जिम्मेदार और उभरती हुई शक्ति के रूप में अपनी छवि पेश कर सकता है, जो अन्य देशों की संप्रभुता और संवेदनशीलता का सम्मान करते हुए अपने हितों और मूल्यों की रक्षा करने में सक्षम है। यह भारत के लिए गर्व का क्षण और दुनिया के लिए एक सबक है।

यह गौरव का पल है या भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत! अंतत: कतर ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना-कर्मियों को रिहा कर दिया। इनमें सात भारत लौट आए हैं, जबकि एक ने कतर में ही रहने का विकल्प चुना है। निश्चित ही यह भारत सरकार के ठोस प्रयासों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप का परिणाम है।

रिहा किए गए भारतीय कतर में एक निजी कंपनी के लिए काम करते थे। इन्हें अगस्त 2022 में कतर की सैन्य गतिविधियों की जासूसी, कतर की सुरक्षा व हितों को नुकसान पहुंचाने की कथित साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अक्तूबर 2023 में कतर की एक अदालत ने सभी आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी। लेकिन भारत सरकार ने अपने नागरिकों को अधर में नहीं छोड़ा और उनकी रिहाई सुनिश्चित करने के लिए राजनयिक प्रयास जारी रखे।

ध्यान देने वाली बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से इस पूरे घटनाक्रम की निगरानी की और कतर के अधिकारियों को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मनाने की कई पहल की। उन्होंने 1 दिसंबर, 2023 को दुबई में कॉप-28 शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात कर भारतीय नागरिकों का मुद्दा उठाया। साथ ही, संबंधित हितधारकों से मिलने और भारत की स्थिति से अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल को भी दोहा भेजा।

दोहा में भारतीय दूतावास ने कतर के अधिकारियों और भारतीयों की कानूनी टीम के साथ मिलकर काम किया, ताकि उन्हें कांसुलर और कानूनी सहायता प्रदान की जा सके। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राजनयिक रणनीति का नेतृत्व किया तथा इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए कतर व अन्य देशों में अपने समकक्षों के साथ समन्वय किया। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप कतर की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर, 2023 को अपने पहले के फैसले को संशोधित किया और भारतीयों की मौत की सजा को उम्र कैद की सजा में बदल दिया। इसके बाद कतर की सरकार और अमीर ने इन भारतीयों को रिहा करने और उन्हें घर लौटने की अनुमति दी।

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

भारतीयों की रिहाई न केवल उनके परिवारों और दोस्तों के लिए राहत की बात है, बल्कि भारत के राजनीतिक दृढ़ संकल्प और कूटनीतिक कौशल का भी प्रमाण है। यह दर्शाता है कि भारत विदेशों में अपने हितों और नागरिकों की रक्षा के लिए अपनी सॉफ्ट पावर और रणनीतिक साझेदारी का उपयोग कैसे कर सकता है। यह दर्शाता है कि भारत अपने सिद्धांतों और मूल्यों से समझौता किए बिना जटिल और संवेदनशील मुद्दों को परिपक्वता और व्यावहारिकता के साथ कैसे संभाल सकता है।

भारतीयों की रिहाई से भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने का मार्ग भी प्रशस्त होगा, जो पहले से ही मजबूत और बहुआयामी हैं। भारत और कतर के बीच आपसी सम्मान और विश्वास पर आधारित मित्रता एवं सहयोग का एक लंबा साझा इतिहास है। कतर में 7,00,000 से अधिक भारतीय रहते हैं, जो इसकी अर्थव्यवस्था और समाज में योगदान देते हैं। कतर भारत को प्राकृतिक गैस और तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता और भारतीय निर्यात और निवेश के लिए एक प्रमुख गंतव्य भी है। दोनों देशों ने रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, व्यापार, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भी अपना सहयोग बढ़ाया है।

जिस समय पूर्व नौसेना-कर्मियों की रिहाई का सुखद समाचार आया, उसके तत्काल बाद प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय दौरे पर संयुक्त अरब अमीरात गए। वहां उन्होंने अबू धाबी में बने पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। 27 एकड़ में बना यह मंदिर अपने वास्तुशिल्प और भव्यता से पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है। यूएई की यात्रा पूरी करने के बाद वे 14 फरवरी को कतर पहुंचे। जाहिर है यह यात्रा भारतीय नागरिकों को रिहा करने के कतर के फैसले के लिए भारत की सराहना व्यक्त करने तथा क्षेत्रीय, वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए कतर के साथ काम करने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का अवसर भी प्रदान करेगी।

आज डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए भारत सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। अब भारत अपनी डिजिटल लेन-देन प्रणाली यूपीआई को 30 देशों में ले जाने की तैयारी कर रहा है। सिंगापुर, यूएई और भूटान जैसे देश पहले ही यूपीआई को अपना चुके हैं। भारत की पहचान अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण में अगुआ के रूप में हो रही है। वहीं, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कम लागत में उपग्रह प्रक्षेपण, मंगल मिशन सहित उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे देश को वैश्विक मंच पर प्रशंसा और पहचान, दोनों मिली हैं।

भारत ने पिछले एक दशक में कई मील के पत्थर हासिल किए हैं, जिन्होंने वैश्विक मंच पर अपनी कूटनीतिक शक्ति, आर्थिक क्षमता और तकनीकी नवाचार का प्रदर्शन किया है। इनमें कर प्रणाली में सुधार के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), जन-धन योजना और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण जैसी सामाजिक कल्याण एवं वित्तीय समावेशी योजनाएं शामिल हैं। कर प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही, पर्यावरण संबंधी मंजूरी के लिए आनलाइन आवेदन व उसकी आनलाइन निगरानी और भ्रष्टाचार मुक्त शासन ने विदेशी निवेशकों को आकृष्ट किया है। इन कारणों से वित्त वर्ष 2021-22 में देश में सर्वाधिक 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ, जो 2014-15 में केवल 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर था।

डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को ही लें, जिसे 2015 में देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के लिए शुरू किया गया था। आज डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए भारत सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। अब भारत अपनी डिजिटल लेन-देन प्रणाली यूपीआई को 30 देशों में ले जाने की तैयारी कर रहा है। सिंगापुर, यूएई और भूटान जैसे देश पहले ही यूपीआई को अपना चुके हैं। भारत की पहचान अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अन्वेषण में अगुआ के रूप में हो रही है। वहीं, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कम लागत में उपग्रह प्रक्षेपण, मंगल मिशन सहित उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, जिससे देश को वैश्विक मंच पर प्रशंसा और पहचान, दोनों मिली हैं।

भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास कार्यक्रमों पर खर्च बढ़ाया है। साथ ही, रणनीतिक और रक्षा क्षमताओं को भी मजबूत किया है, जैसे-परमाणु त्रय, जो इसे जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियार दागने की क्षमता देता है, एंटी-सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण, जिसने इसका प्रदर्शन किया अंतरिक्ष शक्ति और राफेल लड़ाकू विमान सौदा जिसने इसे बढ़ाया। इसके अतिरिक्त भारत ने अन्य देशों और क्षेत्रों के साथ भी अपने सहयोग और जुड़ाव का विस्तार किया, जैसे-अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ क्वाड गठबंधन, इंडो-पैसिफिक विजन और एक्ट ईस्ट नीति। इसके अतिरिक्त, 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर भारत ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सुरक्षा, डिजिटल सहयोग और सतत विकास जैसे मुद्दों पर वैश्विक एजेंडे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, अन्य देशों और क्षेत्रों के साथ कई साझेदारियां और पहल भी शुरू कीं, जैसे-अफ्रीकी संघ, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन।

बीते 9 वर्ष में सरकार ने कई अभियान चलाकर कोरोना और युद्धग्रस्त देशों में फंसे हजारों भारतीयों को ही नहीं, बिना भेदभाव किए पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी सहित दूसरे देशों के नागरिकों को भी सकुशल निकाला है। चाहे 2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप के बाद आपरेशन मैत्री हो, चाहे कोरोना महामारी के दौरान वंदे भारत मिशन, आपरेशन समुद्र सेतु हो, चाहे युद्धग्रस्त सूडान में आपरेशन कावेरी हो, यूक्रेन में आपरेशन गंगा हो या पूर्व में 2015 में यमन-हूती विद्रोही संघर्ष के दौरान हवाई व समुद्री आपरेशन। ये सारे प्रयास साबित करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को हर भारतीय की चिंता है, चाहे वह दुनिया के किसी भी देश में हो।

पूर्व भारतीय नौसेना-कर्मियों की रिहाई इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि भारत टकराव या दबाव का सहारा लिए बिना, कूटनीति और बातचीत के माध्यम से अपने उद्देश्यों को कैसे प्राप्त कर सकता है। यह इस बात का भी प्रतिबिंब है कि भारत कैसे दुनिया में एक जिम्मेदार और उभरती हुई शक्ति के रूप में अपनी छवि पेश कर सकता है, जो अन्य देशों की संप्रभुता और संवेदनशीलता का सम्मान करते हुए अपने हितों और मूल्यों की रक्षा करने में सक्षम है। यह भारत के लिए गर्व का क्षण और दुनिया के लिए एक सबक है।

@hiteshshankar

Topics: पाञ्चजन्य विशेषमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानीभारतीयों की रिहाईrelease of Indiansपूर्व नौसैनिकएडिटोरियलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीPrime Minister Narendra Modiभारतीय नौसेनाकतरQatar
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