हमारे प्राचीन ग्रंथों की पवित्र शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए मैं इस तरह के भव्य सम्मेलन का आयोजन करने के लिए स्वामीजी और पूरे गीता परिवार का आभारी हूं।
पुणे स्थित आलंदी में चल रहे गीता भक्ति अमृत महोत्सव के छठवें दिन आस्था का भव्य संगम दिखाई दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से उपस्थित थे विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार। समागम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भक्तों और संतों की विशाल सभा हमारे देश के मूल मूल्यों और सिद्धांतों का एक प्रमुख प्रचार है। यह महोत्सव इस बुनियादी तथ्य का प्रमाण है कि हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्य अभी भी कायम हैं और पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। हमारे प्राचीन ग्रंथों की पवित्र शिक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए मैं इस तरह के भव्य सम्मेलन का आयोजन करने के लिए स्वामीजी और पूरे गीता परिवार का आभारी हूं।
श्रीआलोक कुमार ने कहा कि अपनी स्वदेशी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सभी क्षेत्रों के लोग यहां एकत्र हुए हैं। उन सभी को यहां एकजुट देखना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं इस तरह के आध्यात्मिक समारोह में भाग लेकर अपने को धन्य मानता हूं। क्योंकि यह हमारी आत्मा को शुद्ध करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक आदर्श तरीका है।
ऐसे उत्सव धार्मिकता का मार्ग अपनाने को करते हैं प्रेरित
विराट उत्सव के केंद्र बिंदु स्वामी श्री स्वामी गोविन्ददेव गिरिजी महाराज ने इस अवसर पर भक्तों को ज्ञानेश्वर मौली की “मानस पूजा” का अभ्यास कराया। इसके बाद पवित्र आरती की गई। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित सम्मानित विशिष्ट अतिथियों और हजारों भक्तों के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत गीता और वेदों की शिक्षा एक समृद्ध समाज और अग्रणी आध्यात्मिक गुरुओं के निर्माण के लिए एक परिवर्तनकारी शक्ति हो सकती है। हमारा पवित्र उद्देश्य है। ऐसे अवसर दुनिया भर के लाखों लोगों को धार्मिकता का मार्ग अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
नाटक ने छोड़ी हृदयों पर अमिट छाप
महोत्सव के छठे दिन कई अनुष्ठान भी किए गए। श्रीमद्भागवत कथा का पाठ, वेदशास्त्र संवाद, पूज्य गोवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज द्वारा भक्तिरस गायन, कृतज्ञता ज्ञानपर्व, सेवियोः का सम्मान और महानाट्य – यह पुण्य प्रवाह हमारा, गीता परिवार द्वारा लिखित प्रस्तुत किया गया। डॉ.डी.वाई.पाटिल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स, पुणे द्वारा हुए इस नाटक ने दर्शकों के हृदय पर अमिट छाप छोड़ दी। उल्लेखनीय है कि महन्त श्री देवप्रसाद दास स्वामीजी महाराज एवं पूज्य गोवत्स श्री राधाकृष्णजी महाराज ने दैवीय प्रेरणाओं की सच्ची भावनाओं को जागृत कर दिया।
टिप्पणियाँ