आम तौर पर एशिया के देशों या कहें भारतीयों के विषय में पश्चिमी मीडिया यह बात फैलाती रहती है कि भारत में जेबकतरे हैं, चोरी होती है आदि आदि! मगर अब लंदन से ऐसा समाचार आया है जिस पर औपनिवेशिकवादी अंग्रेजी मीडिया बहुत अधिक नहीं बोलेगा। दरअसल भारतीय अमीर लोग लंदन में इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि उनकी रोलेक्स की घड़ियाँ लंदन में मेफेयर जैसे इलाके से चोरी हो रही हैं। भारत के व्यापारिक वर्ग की एक बहुत बड़ी चिंता लंदन में उनके सामानों के साथ हो रही चोरी है। उनकी घड़ियाँ, उनके पर्स आदि कुछ भी सुरक्षित नहीं है, इन दिनों दिल्ली में शैडो विदेश सचिव डेविड लैमी आए हुए हैं। हालांकि वह आए तो क्षेत्र की राजनीति एवं व्यापार के विषय में बात करने के लिए हैं, मगर मंगलवार को उनके पास ऐसी शिकायतें आईं जिसे सुनकर वह दंग रह गए।
ये शिकायतें भारत के उन व्यावसायों की ओर से थीं, जो लगातार लंदन और दिल्ली के बीच व्यापारिक यात्राएं करते हैं और जो महंगे सामानों के शौक़ीन होने के साथ ही उन्हें खरीदने की क्षमता भी रखते हैं। इन दिनों वह लोग लंदन में निशाने पर हैं। रीन्युएबल एनर्जी के उद्यमी देविन नारंग ने लंदन में अपराध को एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बताया है। लैमी और भारतीय व्यापारियों के बीच हुई इस बैठक में नारंग ने कहा कि लंदन में चोरी और डकैती एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि “लोगों को लंदन की सबसे सुरक्षित जगह अर्थात मेफेयर में लूटा जा रहा है।” उन्होंने यह तक कहा कि भारत के सभी सीईओज के साथ लूटपाट हुई है और पुलिस भी कोई जबाव नहीं देती है।
यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि लंदन जैसे कथित सुरक्षित स्थान में इस सीमा तक लोगों के साथ लूटपाट हो रही है और नारंग की इस बात का समर्थन लंदन में बढ़ रहे अपराध के आंकड़े भी करते हैं। मीडिया में आए विभिन्न आंकड़े यह पुष्टि करते हैं कि लंदन में व्यक्तिगत चोरी जैसे सड़क के अपराध तेजी से बढ़े है। यह वह अपराध हैं, जिनमें घड़ी, हैंडबैग और मोबाइल फोन की छीनाझपटी और चोरी शामिल होती है। इन अपराधों में वर्ष 2022 की तुलना में 27 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। मेफेयर इन अपराधों से सबसे अधिक प्रभावित है और यहाँ पर इन अपराधों में 40% तक की वृद्धि हुई है। अपराध के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली वेबसाइट क्राइमरेट के अनुसार प्रति 1000 लोगों से 72 रिपोर्टेड चोरी की घटनाएं हुई हैं।
घड़ियों की चोरी की घटनाओं पर ध्यान रखने वाले डेटाबेस द वाच रजिस्टर के अनुसार वहां पर पिछले पांच वर्षों में 29,000 घड़ियाँ चोरी हो चुकी हैं, और इन पांच में से एक चोरी में हिंसा भी शामिल है। गार्डियन के अनुसार लंदन के मेयर के प्रवक्ता ने कहा है कि वे लोग राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही चोरी और डकैती की घटनाओं का सामना करने के लिए कदम उठा रहे हैं और उन्होंने ऐसे स्थानों के लिए कुछ विशेष टीमें बनाई हैं, जहां पर ऐसी चोरियां अधिक ओ रही हैं।”
वहीं लंदन पुलिस के इंटेलिजेंस कमांडर बेन रसेल चोरों को युवा बताते हुए कहते हैं कि यह 20 और 30 के उम्र के युवकों के समूह हैं, जो बार और क्लब्स के बाहर लोगों को छांटते हैं और उन्हें यह पता होता है कि आखिर वह किसकी तलाश में हैं। जो भी समूह हैं, एक बात तो पूरी तरह से स्पष्ट है कि लंदन में अपराधों की संख्या में वृद्धि हो रही है। क्राइमरेट के अनुसार वर्ष 2022 में इंग्लैण्ड और वेल्स की पुलिस के पास लोगों के साथ चोरी के बारे में 98,781 अपराधों की शिकायतें आई थीं, जो वर्ष 2021 की तुलना में 47% की वृद्धि थी। इसमें यह भी बताया कि व्यक्तियों के साथ चोरी और लूटपाट की घटनाओं में सबसे खतरनाक स्थान हैं वेस्टमिनिस्टर, कैमडेन और इलिंग्सटन हैं, जिनमें वेस्टमिनिस्टर सबसे खतरनाक हैं, जहां पर अपराध दर प्रति एक हजार नागरिकों पर 72 है।
इसके अनुसार व्यक्तियों के साथ चोरी और लूटपाट की घटनाओं के लिए सबसे खतरनाक क्षेत्र लंदन है। इसी लंदन के विषय में नारंग ने फाइनेंसियल टाइम्स के साथ बात करते हुए कहा था कि “भारतीय महंगी चीजें लेकर चलते हैं, मगर पुलिस उस पर ध्यान नहीं देती है।” नारंग बहुत स्पष्ट शब्दों में यह कहते हैं कि दिल्ली में आप सुरक्षित होकर घूम सकते हैं, कोई आपको नहीं लूटने आएगा, मगर लंदन के साथ ऐसा नहीं है। वहां पर आपको कोई भी लूट सकता है।” वह कहते हैं कि आप ऐसे शहर नहीं जाना चाहते हैं, जहां पर आपको सड़क पर लूट लिया जाए। मगर यह भी बहुत हैरान करने वाली बात है कि पश्चिम में बढ़ रहे अपराधों के आंकड़ों पर विश्लेषण करते हुए पश्चिमी औपनिवेशिक मीडिया लजाता क्यों है? जबकि नारंग जैसे कई लोग अपनी शिकायतों के साथ प्रत्यक्ष प्रमाण दे रहे हैं कि लंदन में अपराधों की कितनी गंभीर स्थिति है।
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