केंद्रीय वित मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में गुरुवार को वर्ष 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा श्वेत पत्र पेश किया। इस श्वेत पत्र में केंद्र की कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है। इसमें यूपीए सरकार के मुकाबले नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा-नीत एनडीए सरकार के कामकाज को दर्शाया गया है।
इस ‘श्वेत पत्र’ में यूपीए सरकार के 10 सालों के आर्थिक कुप्रबंधन को दिखाने के साथ-साथ एनडीए सरकार के कामकाज को भी दर्शाया गया है। ‘श्वेत पत्र’ में यूपीए सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रबंधन पर विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें भारत की आर्थिक बदहाली और अर्थव्यवस्था पर इसके नकारात्मक प्रभावों के बारे में बताया गया है। यह ‘श्वेत पत्र’ यूपीए सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और एनडीए सरकार की वित्तीय समझदारी को दिखाने के लिए एक तुलनात्मक विश्लेषण भी है।
जानिए क्या होता है श्वेत पत्र..?
श्वेत पत्र की शुरुआत 99 साल पहले सन् 1922 में ब्रिटेन में हुई थी। यह किसी विषय के बारे में ज्ञात जानकारी या एक सर्वेक्षण/ अध्ययन के परिणाम का सारांश होता है। एक श्वेत पत्र किसी भी विषय के बारे में हो सकता है, लेकिन यह हमेशा चीजों के काम करने के तरीके को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देता है। यह आमतौर पर सरकार द्वारा अनुवर्ती कार्रवाई या कम से कम एक निष्कर्ष के लिए प्रकाशित किया जाता है।
कौन जारी कर सकता है श्वेत पत्र..?
सरकार के अलावा किसी भी संस्था, कंपनी, ऑर्गेनाइजेशन द्वारा श्वेत पत्र जारी किया जा सकता है। जिसमें वह अपने ग्राहकों, कर्मचारियों या जनता को अपने उत्पादों की विस्तृत जानकारी प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कई संस्था अपने द्वारा शुरू की गई तकनीक का प्रचार-प्रसार करने के लिए भी श्वेत पत्र जारी कर सभी स्थानों पर जानकारी पहुंचाती हैं।
क्या-क्या होता श्वेत पत्र में
श्वेत पत्र में सरकार की कमियों, उससे होने वाले दुष्परिणामों और सुधार करने के लिए सुझावों जैसे विषय होते हैं। वहीं उत्पादन/तकनीक से जुड़े श्वेत पत्र में उस उत्पादन/तकनीक से जुड़ी विभिन्न जानकारियां शामिल होती हैं। उदाहरण के तौर पर उस तकनीक की वजह से मिलने वाली सुविधाएं, उसका उपयोग करने का तरीका और आवश्यक वातावरण, अन्य तकनीक से यह कैसे भिन्न है, इसकी कीमत आदि जानकारियां शामिल होती हैं।
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