सनातन धर्म को यूं ही सभी पंथों की जननी नहीं कहा जाता, जो भी इसको एक बार अच्छे से जानने की कोशिश करता है वो बस इसी का होकर रह जाता है। ऐसा ही कुछ वाराणसी में उस वक्त हुआ जब रूस की राजधानी मॉस्को की रहने वाली इंगाबारादोश (40) ने सनातन धर्म अपना लिया। वैदिक विधि से सनातन धर्म अपनाने के साथ ही उन्होंने गुरू दीक्षा भी ले ली।
सनातन धर्म अपनाने के बाद इंगाबारादोश का नाम ‘इंगानंदमई मां’ हो गया है। इंगाबारादोश के सनातन धर्म अपनाने की यात्रा की शुरुआत 2011 से होती है। वर्ष 2011 में इंगाबारादोश मॉस्को से भारत की यात्रा पर आई थीं, वो काशी पहुंचीे। यहां उन्होंने पहली बार सनातन धर्म के बारे में जाना। यहीं से सनातन धर्म के प्रति उनका झुकाव हुआ। फिर मॉस्को लौटने के बाद भी सनातन धर्म और वैदिक परंपराओं के बारे में जानती समझती रहीं। आखिरकार अब 2024 में उन्होंने वाराणसी आकर सनातन धर्म अपना लिया। इस मौके पर उन्होंने रूस-यूक्रेन को लेकर भी यज्ञ किया।
इसे भी पढ़ें: घर वापसी: छत्तीसगढ़ में 2000 से भी अधिक लोगों ने सनातन धर्म में की घर वापसी, प्रबल प्रताप जूदेव पखारते हैं चरण
इंगाबारादोश का कहतीं हैं कि काशी आने के बाद उन्हें असीम ऊर्जा मिलती है। काशी उनके लिए आध्यात्म का केंद्र है। उन्होंने कहा कि मैंने सनातन धर्म अपनाकर आज खुद को धन्य कर लिया है। काशी में सनातन धर्म अपनाने के बाद अब उनका गोत्र कश्यप गोत्र हो गया है। वाराणसी में उन्होंने माता तारा मंत्र की दीक्षा ली थी।
मंदिरों से निकलने वाली वैदिक ध्वनि से प्रभावित
सनातन धर्म को लेकर इंगाबारादोश का कहना है कि वो काशी के मंदिरों, वहां से निकलने वाली वैदिक ध्वनियों, यहां गंगा के घाटों से बहुत ही अधिक प्रभावित हैं। उनका मानना है कि सेवा ही धर्म है। पेश से ट्रांसलेटर इंगाबारादोश के पति मॉस्को में एक प्लेयर हैं और उन दोनों का एक 10 वर्ष का बेटा भी है।
टिप्पणियाँ